भुवनेश्वर । ओडिशा सरकार ने पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रसाद और अन्य प्रसाद की गुणवत्ता और शुद्धता को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आंध्र प्रदेश में तिरुपति के लड्डू में सुअर और गोमांस की चर्बी के इस्तेमाल के बारे में हाल ही में लगे आरोपों के मद्देनजर, ओडिशा सरकार ने महाप्रसाद, सूखे भोग और दीयों में इस्तेमाल होने वाले घी की निगरानी के लिए समर्पित खाद्य निरीक्षक नियुक्त करने का फैसला किया है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि विभाग को महप्रसाद व भोग में प्रयुक्त अन्य सामग्री की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक समर्पित खाद्य निरीक्षक नियुक्त करने के लिए अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि श्रीमंदिर में केवल उच्चतम गुणवत्ता वाले उत्पादों का ही उपयोग किया जाए, यह सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है। विभाग इस मुद्दे को काफी गंभीरता से ले रहा है।
उन्होंने बताया कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) मंदिर में घी और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में दिशा-निर्देश जारी करेगा। मंदिर प्रशासन सेवायतों में जागरूकता भी पैदा कर रहा है। ओडिशा सरकार का यह फैसला तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में बनने वाले लड्डुओं की गुणवत्ता को लेकर उठे विवाद के बाद आया है। तिरुमाला मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को बनाने में जानवरों की चर्बी और मिलावटी घी का इस्तेमाल किये जाने संबंधी आरोप लगा है।
उल्लेखनीय है कि 24 सितंबर को पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वाईं ने संकेत दिया था कि प्रशासन ने श्रीमंदिर में विभिन्न भोगों की तैयारी में इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाएगा । उन्होंने कहा था कि श्रीमंदिर में कोठ भोग (देवताओं के लिए प्रसाद) और बाराती भोग (ऑर्डर पर प्रसाद) तैयार करने में इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता के बारे में कोई आरोप नहीं लगाया गया है, फिर भी हम घी के मानकों का आकलन करेंगे। मिलावट की संभावना को देखते हुए, हम श्रीमंदिर को घी के आपूर्तिकर्ता ओमफेड के साथ-साथ मंदिर के सुआर व महा सुआर महासूरा निजोग से परामर्श करने की योजना बना रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घी आवश्यक मानकों को पूरा करता है ।
पुरी श्रीमंदिर में जलाये जाने वाले दीये में भी इस्तमाल होने वाले घी की गुणवत्ता पर भी समय समय पर सवाल उठता रहता है । यह मुद्दा पिछले कुछ साल पहले उठा था और उस समय श्रीमंदिर प्रशासन ने एक दिशानिर्देश जारी कर कहा था कि दीपक केवल ओडिशा स्टेट कोआपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर फेडरशन (ओमफेड) द्वारा तैयार घी से ही दिये जलाये जाएं ।मंदिर के अंदर दीये की दुकान पर मिलावटी घी के दीये बेचने का आरोप लगने के बाद यह दिशानिर्देश जारी किया गया था । इसलिए मंदिर के अंदर ओमफेड का एक विशेष दुकान भी खोला गया था। प्रारंभ में कुछ दुकानदारों पर इस दिशानिर्देश का का अनुपालन नहीं करने के लिए जुर्माना लगाया गया था । कुछ समय तक नियमित अंतराल में इसकी जांच भी की जा रही थी । लेकिन बाद में यह प्रक्रिया बंद हो गया । इस कारण अनेक दुकानदार दीये के लिए निम्न गुणवत्ता वाले घी का उपयोग करने का आरोप लग रहा है। इस बार राज्य सरकार ने महाप्रसाद के साथ साथ दीये में उपयोग होने वाली घी की गुणवत्ता को भी जांच करने का निर्देश दिया है । राज्य सरकार के इस निर्णय का श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया जा रहा है ।
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