सना खान ने जब फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास लिया था तो लोगों को हैरानी हुई थी। सना का कहना था कि उन पर शैतान हावी हो गया था और उन्होंने इस्लाम के अनुसार ज़िंदगी जीने का फैसला किया था।
यह हर किसी की निजी ज़िंदगी है कि वह अपने मजहब के अनुसार ज़िंदगी जी सकता है, मगर यह किसी का भी अधिकार नहीं है कि जब उसने मजहबी पहचान ही पूरी तरह से धारण कर ली है, तो वह उसी के अनुसार उन्हें भी देखे, जो उस मजहब में नहीं हैं। सना खान ने जिंदगी के हर पहलू में मजहबी पहचान धारण कर ली है और उन्हें अब यह स्पष्ट करना होगा कि वे किस हैसियत से बोलती हैं। एक पूर्व अभिनेत्री के रूप में किसी भी पॉड कास्ट में जाती हैं या फिर इस्लामिक प्रचारक के रूप में? यदि वह पूर्व अभिनेत्री के रूप में जाती हैं तो उनका दायरा फिल्में होनी चाहिए और यदि वे इस्लामिक व्यक्ति के रूप में जाती हैं तो उनका दायरा अलग होगा।
जिनके लिए छोटे कपड़े हराम हों, जिनके लिए हलाला हलाल हो, जिनके लिए तीन तलाक हलाल हो, जिनके लिए बुर्का जरूरी हो और भी वे तमाम रिवाज, जो उनके यकीन वालों के लिए हैं। उन्हें यह पूरी तरह से स्पष्ट करके बोलना चाहिए कि वे किसे इंगित कर रही हैं। क्योंकि वह जब इस्लामिक यकीन के अनुसार शैतान की बात करती हैं, तो शैतान बहुत ही अलग अवधारणा है।
उन्होंने हाल ही में रुबीना दिलैक के पॉड कास्ट में कहा था कि हर इंसान को अच्छा लगता है कि उसकी बीवी मॉडेस्ट रहे। और फिर उन्होंने उन आदमियों के बारे में बात की जो अपनी बीवियों को छोटे कपड़े पहनने देते हैं। उन्होने कहा कि लेकिन जब मैं ऐसे मर्दों को देखती हूं तो अजीब लगता है कि जो अपनी बीवी को छोटे कपड़े पहनाकर बाहर ले जाते हैं। उन्हें ऐसा करने में अच्छा लगता है। मुझे हैरानी होती है कि कैसे शौहर अपनी बीवी को कैसे चुनटु-मुनटु कपड़े पहनाकर बाहर ले जा सकता है!
उन्होंने रुबीना के साथ जो भी बातें की, वे पूरी तरह से इस्लामिक ही हैं। उन्होंने कहा कि “हैपी बर्थडे” भी दरअसल सैटेनिक रिवाज है। प्रश्न रुबीना से है कि रुबीना ने यह पॉड कास्ट एक मजहब के प्रचार के लिए प्रयोग किया था, जिसमें हैपी बर्थडे बोलना भी शैतान की बात है। सना ने कहा कि पहले विंटर्स में जो जगह हुआ करती थी, तो वहाँ पर जो लोग बच जाते थे, वे कैन्डल जलाकर बताते थे। सना ने कहा कि हैपी बर्थडे कहने का मतलब है शैतान की पूजा!
अब यह शैतान कौन है? रुबीना सना से बहुत ही अधिक इंप्रेस दिख रही हैं। सना अब अभिनेत्री नहीं हैं तो वह ऐसी कट्टर मजहबी औरत हैं, जिसे यह तो दिखाई देता है कि आदमी (जाहिर है सना हिंदुओं को नीचा दिखाने की कोशिश में है) अपनी बीवियों को छोटे कपड़े पहनाते हैं और उनका अपमान करते हैं, मगर सना को यह नहीं दिखाई देता कि कैसे कट्टरपंथी नाम बदलकर हिन्दू लड़कियों को फँसाते हैं और उन्हें छोटे कपड़ों तो छोड़ दें, छोटे टुकड़ों में काट देते हैं।
उन जैसी महिलाएं न कभी श्रद्धा वाकर जैसे मामलों में बोलती हैं और न ही झारखंड मे शाहरूख द्वारा अंकिता को जिंदा जलाए जाने पर, इतना ही नहीं, वह तो अपने मजहब में उन लड़कियों के लिए भी नहीं बोलती हैं, जो अपने ही परिजनों के हाथों हिंसा का शिकार होती हैं।
सना खान जी, हॉट बेब कहना आपको दिख गया, मगर आपके ही अपने समुदाय में आपकी औरतें हलाला के नाम पर पूरी तरह से गैर मर्द के सामने निर्वस्त्र कर दी जाती हैं, वह आपको नहीं दिखा? आखिर यह आपको क्यों नहीं दिखता है? रुबीना तीन तलाक और हलाला जैसे रिवाजों पर सवाल क्यों नहीं करती हैं?
यह सभी को पता है कि हिन्दू पुरुष अपनी महिलाओं को परदे में नहीं रखना चाहते हैं, वे अपनी बेटियों, पत्नियों और बहनों सभी को वह आसमान देना चाहते हैं, जिसकी वे अधिकारी हैं। वे अबाया जैसी चीजों में अपनी लड़कियों को कैद नहीं करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि लड़कियां उड़ें, लड़कियां तैरें, लड़कियां खेलें और लड़कियां हर वह कार्य करें, जो वे कर सकती हैं।
वे क्षमताओं पर कपड़ों का पहरा नहीं लगाते! यदि लड़कियां तैरना चाहती हैं तो स्विमिंग कास्टूम की जगह वे बांधने वाली बुरकिनी अपनी बेटियों को नहीं देते! समस्या उस दिमाग में है जो लड़की के जीवन को केवल कपड़ों तक सीमित कर रही है।
समस्या उन आदमियों में नहीं है जो अपनी पत्नियों को हर प्रकार के वस्त्र पहनने का खुला आसमान देते हैं, समस्या उन जैसे ख्यालों के लोगों में है जो हर ऐसी लड़की को चरित्रहीन समझते हैं या “माल-ए-गनीमत” मानते हैं, जो मजहब के हिसाब से बने परदे में नहीं है!
गंदगी उनके दिमाग में है, इलाज भी उसी मानसिकता का होना चाहिए जो औरतों को कैद करना चाहते हैं, फिर चाहे वह परदे की हो या फिर किसी और की!
वैसे सना खान ने रुबीना के साथ एक बार भी एक भी शब्द ईरान और अफगानिस्तान की अपनी अभागी उन बहनों के लिए नहीं कहा जिनकी ज़िंदगी उसी परदे के अंधेरे का शिकार हो रही हैं, जिस परदे का महिमामंडन वे रुबीना के शो में कर रही हैं।
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