नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक न्यायधीश द्वारा दी गई एक टिप्पणी के संबंध में सुनवाई करते हुए कहा कि भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान का हिस्सा कहना भारत की क्षेत्रीय अखंडता के विपरीत है।
आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा दी गई टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लिया था। इस संबंध में हाई कोर्ट के न्यायालय रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट भी माँगी गई थी। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार 21 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायधीश ने इस संबंध में अदालत में मांफी भी मांगी थी।
बुधवार को पांच न्यायधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और ऋषिकेश रॉय शामिल थे। हाई कोर्ट के न्यायाधीश की माफी को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाई।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ‘रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक हाई कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के दौरान की गई टिप्पणीयां कार्यवाही से असंबंधित थीं और उन्हें टाला जाना चाहिए था।’ पीठ ने यह भी कहा कि न्यायधीशों को अपने पूर्वाग्रहों के बारे में पता होना चाहिए। इसी जागरुकता के आधार पर ही हम वास्तव में न्यायधीश के निष्पक्ष न्याय देने के मौलिक दायित्व को प्रति वफादार हो सकते हैं।
पीठ ने सलाह दी कि कार्यवाही की लाइव स्ट्रीम के जरिए अदालत में होने वाली कार्यवाही की पहुंच केवल शारीरिक रुप से मौजूद लोगों तक सीमित नहीं है। बल्कि भौतिक परिसर से आगे के दर्शकों तक भी पहुंचती है। संस्थान में हर हितधारक के लिए यह समझना जरुरी है कि न्यायिक निर्णय लेने में सिर्फ उन्हीं मूल्यों का मार्गदर्शन होना चाहिए जो भारत के संविधान में निहित हैं।
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