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गुजरात: सूरत के किम के पास ट्रेन पलटाने की साजिश में रेलवे के तीन कर्मचारी थे शामिल, हुए गिरफ्तार

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सोनल अनडकट

कर्णावती: सूरत के किम के पास ट्रेन को पलटाने की साजिश में दो दिन की जांच के बाद सूरत पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस पूरी साजिश में शिकायत दर्ज करवाने वाला गैंगमैन सुभाष पोद्दार खुद ही इस साजिश का मुख्य सूत्रधार और आरोपी बन गया है। शिकायतकर्ता सुभाष पोद्दार के मोबाइल फोन से रिट्रैव किए गए फोटो और वीडियो के चलते यह पूरी साजिश का भेद खोलने में सूरत पुलिस को सफलता हासिल हुई है। इस मामले में पुलिस ने रेलवे की पेट्रोलिंग पार्टी के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

सूरत जिले के ओलपाड तालुका के किम नजदीक रेलवे ट्रैक पर 21 सितम्बर को 71 पेडलॉक और दो फिश प्लेट निकालकर ट्रेन को पलटाने की साजिश की गई थी। उसके बारे में रेलवे के गैंगमैन सुभाष पोद्दार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत के चलते हजारों मुसाफिरों की जान तो बच गई। लेकिन इस मामले में सूरत पुलिस ने जांच शुरू की तो चौंका देने वाला खुलासा सामने आया। जांच में सामने आया कि रेलवे का गैंगमेन और शिकायतकर्ता सुभाष पोद्दार, मनीष मिस्त्री और शुभम जयस्वाल जो रेलवे ट्रैक पर वॉच रखने वाली पेट्रोलिंग पार्टी के सभ्य है, यह तीन लोगों ने मिलकर ही यह पूरी साजिश को अंजाम दिया था। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर पूरी साजिश का पर्दाफाश किया है।

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पुलिस को कैसे शक हुआ

ट्रैक मेंटेनेंस सुपरवाइजर यानी की गैंगमेन सुभाष पोदार की शिकायत के बाद सूरत ग्राम्य पुलिस की 16 टीम ने इस साजिश की कड़ी जांच शुरू कर दी थी। पुलिस को शक था की कोई एक्सपर्ट ही पेडलोक और फिश प्लेट इतनी जल्दी निकाल सकता है। इसलिए इस दिशा में जांच आगे बढ़ाई गई और रेलवे ट्रैक के काम के साथ जुड़े हुए कर्मचारियों की पूछताछ की गई। जिसके दौरान सुभाष समेत तीनों कर्मचारियों के मोबाइल फोन चेक किये गए। सुभाष ने पुलिस में जब शिकायत दर्ज करवाई तब उसने टूटे हुए रेलवे ट्रैक के वीडियो के साथ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन, जब पुलिस ने सुभाष को पूछताछ के लिए बुलाया और वही वीडियो दिखाने के लिए कहा तब वह वीडियो गलती से डिलीट हो गया है ऐसा निवेदन सुभाष ने किया। जिसके चलते पुलिस की आशंका मजबूत हो गई और तीनों के मोबाइल फोन के डेटा रिट्रैव किये तो रिसाइकलबिन से रेलवे ट्रेक को खोलते हुए तीन फोटो मिले। जिसके बाद पुलिस ने तीनों की अलग अलग पूछताछ की और पूरा भांडा फुट गया।

तीनो आरोपियों के डेटा रिट्रीव किये गए

मनीष के फोन के रिसाइकलबिन से रात 2:56, 2:57 और रात 3:14 को लिए गए फोटो मिले, जिसमे ट्रैक की क्लिप को निकालकर सामने के ट्रैक पर रखा गया हो ऐसी तस्वीर थी। सुभाष के मोबाइल से भी उसी दिन डिलीट किये गए फोटो रिट्रीव किये गए जिसमें सुबह 4:57 को बनाया गया वीडियो भी मिला।

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आरोपियों ने साजिश को कैसे दिया अंजाम

रेलवे के नियम के मुताबिक, नाइट पेट्रोलिंग में चार-चार लोगों की दो अलग-अलग टीम किम से कोसंबा के बीच में 4 किलोमीटर के विस्तार में सुपरविजन करती है। दोनों टीम बीच के एक पॉइंट पर ड्यूटी एक्सचेंज करती है जिसमें टीम के सदस्य दस्तखत भी करते हैं। चार किलोमीटर का एक राउंड पूर्ण होने के बाद सबको एक घंटे का आराम दिया जाता है और उसके बाद दूसरा राउंड शुरू करना पड़ता है। जिसके तहत सुभाष ने रात को 2:00 बजे अपने राउंड के दौरान ट्रैक पर अलग-अलग जगह पर हथोड़ा मारा और कोसंबा पहुंचने के बाद वहां रेस्ट किया, लेकिन कोसंबा पहुंचने से पहले किम नदी के पास उसने वह हथोड़ा छुपा दिया था। इसके बाद 1 घंटे का रेस्ट लेने के बजाय 20 मिनट जल्दी निकलकर वह मुंबई दिल्ली के ट्रेक के राउंड के लिए निकल गया। किम नदी के पास छुपाए हुए हथौड़े को उसने फिर से उठा लिया और फिश प्लेट निकाल कर सुबह 4:57 को उसने ट्रैक का वीडियो बनाया।

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रेलवे का एवोर्ड पाने के लिए रची साजिश

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह मॉनसून ड्यूटी कर रहे थे जो कि कुछ ही समय में बंद होने वाली है। मॉनसून ड्यूटी रात को करनी होती है और दिन में छुट्टी मिलती है। इसलिए मॉनसून ड्यूटी चालू रखने के लिए तीनों आरोपियों ने मिलकर यह साजिश रची और लाखों लोगों की जान खतरे में डाली। इससे आगे आरोपियों को रेलवे से अवॉर्ड की भी अपेक्षा थी। इतनी बड़ी साजिश को रोकने के बदले में उन्हें एवोर्ड मिलेगा ऐसा सोचकर साजिश रचाई लेकिन खुद ही इस साजिश में फंस गए।

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