भुवनेश्वर, पुरी श्रीमंदिर के रत्न भंडार में सुरंग होने के संबंध में पता लगाने के लिए किये गये तकनीकी सर्वेक्षण का दूसरा दौर तय समय से एक दिन पहले ही पूरा हो गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढी ने यह जानकारी दी।
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए श्री पाढी ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने आज रत्न भंडार के तकनीकी सर्वेक्षण का दूसरा दौर पूरा कर लिया है। सर्वेक्षण लगभग 4 घंटे और 5 मिनट तक चला। “तकनीकी सर्वेक्षण राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) द्वारा वैज्ञानिक आनंद कुमार पांडे के नेतृत्व में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके किया गया था। चूंकि यह एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण है, इसलिए रिपोर्ट तैयार करने में कुछ दिन लगेंगे।
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उन्होंने बताया कि एक बार रिपोर्ट पूरी हो जाने के बाद, एनजीआरआई इसे एएसआई को सौंप देगा, जो इसे एसजेटीए को भेजेगा। इसके बाद, एसजेटीए राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश करेगा। निष्कर्षों के आधार पर, हम विशेषज्ञों के साथ आगे परामर्श करेंगे, और एएसआई आवश्यक मरम्मत और जीर्णोद्धार कार्य के साथ आगे बढ़ेंगे ।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने तकनीकी सर्वेक्षण किया। रत्न सर्वेक्षण की तैयारी में रविवार को एक विशेष अनुष्ठान हुआ। दोपहर 2:40 बजे दरवाजा खोला गया, और विशेष अनुष्ठान पूरा होने के बाद दोपहर 1 बजे सार्वजनिक दर्शन बंद कर दिए गए। निर्धारित समय पर, संयुक्त टीम ने तकनीकी उपकरणों के साथ रत्न भंडार में प्रवेश किया, और पूरी प्रक्रिया शाम लगभग 5:50 बजे समाप्त हुई।
उन्होंने बताया कि शुरू में तीन दिनों में तकनीकी सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया था। इस कारण श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इस अवधि के दौरान भक्तों की दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक भगवान के दर्शन पर अस्थायी रुप से रोक लगाया था । चूंकि सर्वेक्षण निर्धारित समय से पहले पूरा हो गया है और इसलिए अब सोमवार को महाप्रभु के दर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
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डॉ. अरविंद पाढी ने श्रद्धालुओं, सेवकों, उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रथ, एएसआई की तकनीकी टीम, श्रीमंडी प्रशासन के साथ-साथ जिला व पुलिस प्रशासन और मीडिया के सहयोग के लिए आभार जताया। साथ ही, उन्होंने सर्वेक्षण के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अस्थायी रूप से भगवान के दर्शन न कर पाने वाले श्रद्धालुओं से क्षमा मांगी ।
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