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सनातन धर्म : क्या आप जानते हैं ? बैद्यनाथ धाम में त्रिशूल की जगह क्यों है पंचशूल

Published by
Masummba Chaurasia

झारखंड के देवघर स्थित प्रसिद्ध बैद्यनाथ मंदिर, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है, शिव भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां पर भगवान शिव के मंदिर में त्रिशूल के बजाय पंचशूल लगाया गया है, जो इस मंदिर की अनूठी पहचान है। भगवान शिव प्रकृति के रक्षक भी हैं। वह सत्य हैं, सनातन हैं।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल पांच शूलों का प्रतीक है और इसे पंच तत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल, और पृथ्वी) का प्रतिनिधित्व करते हुए माना जाता है। यह न केवल भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक है बल्कि सृष्टि के पांच प्रमुख तत्वों को भी दर्शाता है। इतिहासकारों के अनुसार, पंचशूल का होना बैद्यनाथ मंदिर की विशेषता है और इससे जुड़ी मान्यता है कि यह संसार के पांच मूलभूत तत्वों को संतुलित करने का प्रतीक है। यही कारण है कि यह मंदिर दुनिया भर के शिव भक्तों के लिए अद्वितीय आकर्षण का केंद्र है और यहां श्रद्धालु विशेष रूप से पंचशूल की पूजा करते हैं।

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