उत्तराखंड

IIT रुड़की, आर्मी एरिया और गंग नहर जैसे संवेदनशील इलाकों में बना दी अवैध मजारें, हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी

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दिनेश मानसेरा

रूड़की (हरिद्वार) आईआईटी, आर्मी एरिया, गंग नहर जैसे अति संवेदनशील इलाकों में बनी मजारों को लेकर एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इन्हें बनाए जाने की अनुमति किसने दी? रुड़की में एकाएक बाहरी लोगों की घुसपैठ और अवैध कब्जों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, रुड़की में पीर गायब अली शाह दोनों नहरों के बीच गंगनहर पटरी पर बना मजार जिसको नैनीताल हाइकोर्ट ने भी सिंचाई विभाग को हटाने के दिये हैं, इसके बावजूद ये ज्यों की त्यों खड़ी हुई है। जबकि, इस बारे में जो आदेश हुए थे, उस पर मजार खादिमों ने हाई कोर्ट में रिट भी दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था और इसे अवैध अतिक्रमण माना था। रुड़की में ही पुरानी गंगनहर के नीचे सिंचाई विभाग उत्तरी खण्ड गंगनहर यूपी की नाक के नीचे 4 या 5 साल पूर्व बाबा यूसुफ के नाम से गंगनहर की सीढ़ियों के बगल में बने कमरे में मजार बना दी गई।

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ठीक गंग नहर के पुल के पास बनी इस मजार में संदिग्ध लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। जानकारी के मुताबिक, हरिद्वार से लेकर रुड़की की सीमा के बाहर तक गंग नहर के दोनों तरफ बड़ी संख्या में अवैध रूप से लोग बसते जा रहे है, यूपी से लगे इस क्षेत्र पर गंग नहर की वजह से यूपी सिंचाई विभाग का प्रबंधन चलता है, जबकि ये भूमि उत्तराखंड सरकार की है। रुड़की में गंगनहर कोतवाली क्षेत्र में रामपुर गांव के पास लगभग पिछले 15 साल से कुछ संदिग्ध लोग रह रहे है बताया जाता है कि इनमें असम बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी है इनके अलावा कलियर के पास भी कुछ इसी तरह की बस्ती बसी हुई है, जिनमें रहने वाले लोग संदिग्ध दिखते है उनका रहन-सहन यहां उत्तराखंड और पश्चिम यूपी क्षेत्र से बिलकुल अलग है ये लोग कौन है? ये क्यों और कैसे आकर बसे हुए है? इस बारे में प्रशासन खामोश रहता आया है।

सूत्रों के मुताबिक, ये बात यह भी सामने आई है कि इनमें से कुछ लोग अपने आपको असम, बिहार और बंगाल का बताते है। सूत्र बताते हैं कि इनमें से कुछ लोग बांग्लादेश से आकर कुछ समय बिहार,असम और बंगाल में रहे और फिर वहां की पहले की सरकार में अपने धर्म के प्रभावशाली लोगों के कारण वहां का आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज हासिल किए, उसी के आधार पर यहां भी अपने दस्तावेज तैयार करा लिए है।

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रामपुर के पास वाली बस्ती के साथ-साथ कलियर थाना क्षेत्र में धनौरी के आसपास वन गुज्जरों की कई बस्ती बस गई है जो पहले नहीं थी वन गुज्जरों की संख्या भी जिले में बढ़ती जा रही है, यह बस्तियां मुस्लिम वन गुज्जरों की है जो सरकारी भूमि पर बस रही है। सूत्रों के मुताबिक, ये लोग यूपी से आकर यहां डेरा डाले हुए है और वन विभाग खामोश है। इनके डेरो में मुस्लिम कट्टर पंथियों का आना-जाना है और बकायदा यहां मदरसे खुल गए हैं। जानकारी के मुताबिक, रुड़की कलियर अड्डे से कलियर शरीफ दरगाह तक लगभग 500 से ज्यादा झोपड़ी डालकर अतिक्रमण किया हुआ है।

रुड़की माहिग्राम से रामपुर चुंगी तक 200 से ज्यादा पक्के अतिक्रमण बताए जा रहे हैं। रामपुर चुंगी से रामपुर गाँव तक, रुड़की रेल्वे स्टेशन के निकट तेली वाला गाँव, ईदगाह चौक से रामपुर चुंगी, इस्लाम नगर गुलाब नगर,रुड़की के निकट गाँव पाडली, रुड़की के निकट लंढोरा खादर इलाका, रुड़की से मंगलौर रोड, रुड़की में सोत नदी के किनारे हिंदू शमशान घाट तक, रुड़की से इमली रोड पर अवैध कब्जे कर मुस्लिम लोग बसे हुए हैं और यहां दस से सौ रु के स्टांप पेपर पर जमीनों के सौदे कर कब्जे बेचे जाते हैं।

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इस मामले में हरिद्वार जिला प्रशासन को बहुत बारीकी से सर्वे कराने की जरूरत है, ताकि अतिक्रमण करने वालों की पहचान हो सके कि आखिर ये लोग कौन है और कहां से यहां बसे है इनका उद्देश्य क्या है?

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