कोलकाता रेप केस के लिए डॉक्टरों के प्रदर्शन के बीच आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। संदीप घोष के खिलाफ कानून का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। इसी क्रम में उनका मेडिकल लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब वो कभी भी मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे।
इसे भी पढ़ें: बस्तर के नक्सल पीड़ितों का दिल्ली में प्रदर्शन : लाल आतंक के खिलाफ आवाज उठाई, गृहमंत्री से मिलकर की न्याय की मांग
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है। संदीप घोष उस वक्त आऱजी कर अस्पताल में प्रिंसिपल थे, जब प्रशिक्षु डॉक्टर का रेप और हत्या हुई थी। बहरहाल, घोष कोलकाता रेप पीड़िता की हत्या के बाद से सीबीआई की हिरासत में है। उन्हें 2 सितंबर को ही केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरजी कर अस्पताल में फाइनैंशियल गड़बड़ी के मामले में शामिल होने के चलते गिरफ्तार किया गया था। यहीं नहीं संदीप घोष पर सबूतों से छेड़छाड़ किए जाने का भी आरोप है।
जानकारी के मुताबिक, WBMC की तरफ से तैयार की जाने वाली रजिस्टर्ड डॉक्टरों की सूची से घोष का नाम हटा दिया गया था। WBMC के अधिकारियों ने बताया कि घोष का लाइसेंस बंगाल चिकित्सा अधिनियम 1914 के विभिन्न प्रावधानों के तहत रद्द कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि संदीप घोष एक ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं।
इसे भी पढ़ें: आतंकी पन्नू को लेकर अमेरिकी अदालत ने जारी किया समन, भारत ने सिरे से किया खारिज, आरोपों को बताया निराधार और अवांछनीय
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कोलकाता रेप केस को दबाने का आरोप लगाया है। दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बैठक करके इसका समाधान निकालने की बात करती हैं, लेकिन डॉक्टरों की मांग है कि बैठक को लाइव किया जाए। हालांकि, ममता सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।
टिप्पणियाँ