बांग्लादेश में अब जिन तत्वों ने सरकार पर कब्जा किया हुआ है उनसे मुफ्ती जैसे तत्वों को खुली शह मिली हुई है। यूनुस खुद जमाते-इस्लामी के इशारों पर चलने को मजबूर बना दिए गए हैं। उसी के कहने पर मजहबी उन्मादियों और जिहादियों को जेलों से छोड़ा जा रहा है। पिछले दिनों एक और जिहादी जशीमुद्दीन रहमानी छोड़ा गया था। वह भी भारत को तोड़ने की मंशा पाले बैठा है। पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार के राज में जमाते-इस्लामी और उसके कट्टरपंथियों पर पाबंदी लगी हुई थी और वे कैद में थे।
बांग्लादेश में भूचाल आया हुआ है। यूनुस की अंतरिम सरकार भले बन गई है और जिंदगी पटरी पर लौटती भले दिखाई जा रही है, लेकिन अंदर उथलपुथल जारी है। सैकड़ों दागी कट्टरपंथी और जिहादी तत्वों को जेल से छोड़कर सड़क पर खुलेआम घूमने की इजाजत दे दी गई है। इतना ही नहीं, ये कट्टरपंथी पड़ोसी भारत को लेकर रोज उन्मादी बयान दिए चले जा रहे हैं। एक तरफ देश के ‘प्रमुख सलाहकार’ सबके साथ मिलकर सौहार्द से रहने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ कट्टरपंथियों की पड़ोसी देश के प्रति नफरती जहर बुझी बातों को अनदेखा करते रहते हैं। ऐसे ही उन्माद में चढ़ा एक कट्टरपंथी के प. बंगाल के रास्ते भारत में घुस आने की रिपोर्ट सामने आई है। इसके बाद से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
इस कट्टरपंथी का पूरा नाम है महमूदुल हसन जुबैर उर्फ मुफ्ती जुबैर रहमानी। पिछले 5 तारीख को इसके बंगाल के रास्ते भारत में आकर यहां आग भड़काने जैसे कृत्य करने की खबरें भी सामने आई हैं। रिपोर्ट है कि यह बांग्लादेशी कट्टरपंथी उन्मादी तत्वों को भारत के विरुद्ध भड़काने में लगा है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वह जुबैर रहमानी भारत में घुस कैसे आया।
वैसे, प. बंगाल में वर्तमान में जो सरकार है, उसने बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति नरम रवैया अपनाया हुआ है। बांग्लादेशी मुल्ला—मौलवी उस प्रदेश में ही नहीं, पूरे भारत में घूमते हुए, भारत सरकार को बदनाम करने, मुसलमानों को उकसाने का काम कर रहे हैं। आजकल जो रेल पटरियों पर चीजें डालकर रेल को दुर्घटनाग्रस्त करने का षड्यंत्र चल रहा है, कौन जाने उसके पीछे इसी कट्टरपंथी मुफ्ती जैसे तत्व हों।
मुफ्ती महमूदुल का जुड़ाव जिहादी काम करने वाला गुट अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से है और उसके सरगना से उसके निकट संबंध हैं। यह गुट भी भारत विरोधी जहर फैलाता रहता है। रिपोर्ट यह है कि 5 सितंबर को इस मजहबी उन्मादी ने पश्चिमी बंगाल की सीमा पर हरिदासपुर चौकी से घुसपैठ की है। सुरक्षा अधिकारी छानबीन में जुट गए हैं और पता लगा रहे हैं कि आखिर यह बांग्लादेश जुबैर भारत में आया किस तरह है?
इससे भी बढ़कर खतरनाक बात यह है कि इस जुबैर रहमानी के दिल्ली की कुछ कट्टर इस्लामी तंजीमों में जा चुका है। उत्तर प्रदेश के देवबंद में दारुल उलूम मदरसे में इसके पहुंचने की खबर है। रहमानी सोशल मीडिया पर सक्रिय है और वहां से भारत के विरुद्ध नफरत फैलाता है। भारत को मोड़ने की मंशा रखने वालों, उग्रपंथियों, कट्टरपंथियों के अलावा भारतीय उत्पादों के बहिष्कार के लिए मुसलमानों को भड़काता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश से काटने के लिए मुस्लिमों को भी उसने उकसाया है।
जैसा पहले बताया, बांग्लादेश में अब जिन तत्वों ने सरकार पर कब्जा किया हुआ है उनसे मुफ्ती जैसे तत्वों को खुली शह मिली हुई है। यूनुस खुद जमाते-इस्लामी के इशारों पर चलने को मजबूर बना दिए गए हैं। उसी के कहने पर मजहबी उन्मादियों और जिहादियों को जेलों से छोड़ा जा रहा है। पिछले दिनों एक और जिहादी जशीमुद्दीन रहमानी छोड़ा गया था। वह भी भारत को तोड़ने की मंशा पाले बैठा है। पूर्ववर्ती शेख हसीना सरकार के राज में जमाते-इस्लामी और उसके कट्टरपंथियों पर पाबंदी लगी हुई थी और वे कैद में थे।
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