एडीबी ने ‘उल्लास’ का उल्लेख किया जिससे कि पाकिस्तान इस भ्रम में न रहे कि कैसी नीति बनानी चाहिए। मोदी सरकार की ‘उल्लास’ शिक्षा योजना शिक्षा में गुणवत्ता की बात करती है और सुदूर क्षेत्रों तक शिक्षा की सुलभता पर बल देती है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों का सहयोग अपेक्षित होता है। एडीबी चाहता है कि पाकिस्तान ‘उल्लास’ का अच्दे से अध्ययन करके इसकी खूबियों जैसी बातें अपनी नीति में भी शामिल करे।
जिन्ना के कंगाल देश को सिर्फ दूसरे मुस्लिम देशों व अन्य विकसित देशों से ही फटकार नहीं खानी पड़ रही है, अब तो अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी उस इस्लामी देश को उसकी असलियत से परिचित कराने लगे हैं। पाकिस्तान से एशियन डेवलपमेंट बैंक या एडीबी ने जो कहा वह गौर करने लायक है। उसने सीधे सीधे भारत का नाम लेकर कहा कि विकास किसे कहते हैं, यह भारत से सीखो।
एडीबी के सामने भारत के कंगाल पड़ोसी ने कर्ज का कटोरा बढ़ाया था कि तालीम के क्षेत्र में अनपढ़ों को फोकस करने और दूसरे सुधार करने के लिए पैसा चाहिए। उस देश में दूसरे देशों या अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाले कर्ज की जिस प्रकार की नेताओं में बंदरबांट होती है, उसे सब जानते ही हैं। इसलिए एडीबी ने पाकिस्तान को कहा कि भारत सरकार ने बेहतर शिक्षा के लिए जिस प्रकार की चुस्त योजना बनाई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों इसमें मुस्तैदी से काम कर रही हैं उससे सीखने की जरूरत है। इस संस्था ने आगे कहा कि भारत की उस योजना से पाकिस्तान सीखे तब शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का निर्णय ले। भारत की योजना से पता चलेगा कि कामयाबी कैसे मिलती है और मुश्किलों को कैसे दूर किया जाता है।
कर्ज मांगने गए पाकिस्तान को एडीबी ने सिर्फ आईना ही नहीं दिखाया, बल्कि परोक्ष रूप से उसकी दुखती नस पर हाथ भी रखा है। भारत से बात—बात पर नफरत उगलने वाले जिन्ना के इस्लामी देश को भारत से सबक लेने की बात कहना उसे कितने भीतर तक चुभी होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। पाकिस्तान ने कर्जे के आवेदन में लिखा था कि तालीम के क्षेत्र में सुधार और उन बच्चों को स्कूल भेजने की सुविधा बनाने के लिए पैसा दे दो। इसी अर्जी पर एडीबी ने उसे उक्त सबक सिखाया था।
एडीबी ने उसे सबक तो दिया पर पैसा अभी नहीं दिया है। इस बैंक का मुख्यालय मनीला (फिलिपीन्स) में है इसलिए जानता है कि धरती के इस भाग में पाकिस्तान की छवि कैसी है। एडीबी शिक्षा के क्षेत्र में भारत की ‘उल्लास’ योजना को आदर्श मानता है, यह एक प्रकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की वाहवाही ही है। एडीबी ने पाकिस्तान की अर्जी के जवाब में यह भी कहा कि योजना क्या होगी, कैसी होगी, इसे एक स्पष्ट नीति के रूप में बनाकर जमा करो तब सोचेंगे, और ध्यान रहे कि ये ऐसी हो कि सबको लाभ दे।
एडीबी ने ‘उल्लास’ का उल्लेख किया जिससे कि पाकिस्तान इस भ्रम में न रहे कि कैसी नीति बनानी चाहिए। मोदी सरकार की ‘उल्लास’ शिक्षा योजना शिक्षा में गुणवत्ता की बात करती है और सुदूर क्षेत्रों तक शिक्षा की सुलभता पर बल देती है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों का सहयोग अपेक्षित होता है। एडीबी चाहता है कि पाकिस्तान ‘उल्लास’ का अच्दे से अध्ययन करके इसकी खूबियों जैसी बातें अपनी नीति में भी शामिल करे। और ध्यान रहे, एडीबी की पाकिस्तान को यह सीख ऐसे वक्त पर आई है जब इस संस्था के चेयरमैन मासात्सुगु असकावा पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाले हैं।
टिप्पणियाँ