एक मस्जिद के कारण हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों में इन दिनों राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। दो गुटों के बीच में हुई मारपीट के बाद शिमला के संजौली स्थित मस्जिद पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। सन् 2000 तक यह मस्जिद एक मंजिल की थी। दो दशक के भीतर यह 5 मंजिल की हो गई है। हिंदुत्वनिष्ठ संगठन इस मस्जिद को अवैध बता रहे हैं और इसे हटाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं वक्फ बोर्ड हमेशा की तरह इस मस्जिद पर अपना मालिकाना हक तो जता रहा है, लेकिन मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर गोलमोल बातें कर रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस की राज्य सरकार कह रही है कि अदालत का जो निर्णय होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। हिंदुओं का कहना है कि यह मामला कई वर्ष से अदालत में चल रहा है। कुछ प्रभावशाली लोग उसे जल्दी निपटने नहीं दे रहे हैं। इस कारण समस्या आ रही है।
यही कारण है कि 11 सितंबर को कई हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के नेतृत्व में हजारों लोगों ने शिमला में प्रदर्शन किया। इन लोगों ने मांग की कि जब तक अदालत कोई निर्णय नहीं देती, तब तक अवैध मस्जिद को बंद कर दिया जाए। देवभूमि क्षत्रिय संगठन के अध्यक्ष रुमित ठाकुर कहते हैं, ‘‘हिमाचल प्रदेश में यह मामला सनातन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, क्योंकि पूरे प्रदेश में अवैध मस्जिदें बन रही हैं। कहीं भी हरी चादरें डालकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जाता है। लोग बाहर से आकर यहां बाजार भाव से ज्यादा पैसे देकर किराए पर दुकान लेते हैं। यह चिंता का विषय है।’’ हिंदू जागरण मंच के कमल गौतम का कहना है, ‘‘एक षड्यंत्र के तहत हिमाचल प्रदेश की जनसांख्यिकी बदली जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हिमाचल में हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों की संख्या में दोगुनी गति से बढ़ोतरी देखी जा रही है। प्रदेश में 542 मस्जिदें बन चुकी हैं। इनमें से अधिकांश अवैध हैं। इनके निर्माण के लिए पैसा कहां से आ रहा है, यह जांच का विषय है।’’ शिमला शहर में बिना पुलिस की जांच के अवैध रूप से काम कर रहे बाहरी लोगों को लेकर शहर के लोगों ने चिंता जाहिर की है। मल्याणा वार्ड के पार्षद नरेंद्र ठाकुर कहते हैं, ‘‘दूसरे राज्यों से आकर रेहड़ी-पटरी लगाने वाले लोगों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इनमें से कई लोग संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होते हैं। इससे शहर में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है।’’
अनिरुद्ध तो निकले साहसी
गत दिनों हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के एक मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में कहा, ‘‘मैं किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन क्या उन्होंने मस्जिद के निर्माण से पहले सरकार से अनुमति ली थी? 2010 से अवैध निर्माण का मामला चल रहा है। इसके बावजूद अवैध निर्माण बढ़ता गया और 2019 तक 4 अतिरिक्त अवैध मंजिलें तैयार हो गई। 6357 वर्ग फुट क्षेत्र में अवैध निर्माण किया गया है। इस निर्माण के खिलाफ जो पार्षद खड़े हैं और जो लोग हैं मैं उनका धन्यवाद करता हूं और उनका समर्थन करता हूं। संजौली बाजार और लोअर बाजार टनल में लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। आज अपराध हो रहा है, नशे का कारोबार हो रहा है। लव जिहाद हो रहा है, चोरियां हो रही हैं।’’ उनका इस प्रकार वोट बैंक की राजनीति व तुष्टीकरण से ऊपर उठकर मुस्लिम घुसपैठ मामले में बोलना सुखद आश्चर्य दे गया। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें अब आगे कुछ बोलने से मना किया है। खैर, अनिरुद्ध सिंह सही बात बोल चुके हैं। पर भारत हित में कोई सही बात हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को कतई पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने कहा, ‘‘हिमाचल की सरकार भाजपा की है या कांग्रेस की, मोहब्बत की दुकान में नफरत ही नफरत।’’ इस पर कुछ लोग कहते हैं कि ओवैसी यह जान लें कि कुछ कांग्रेसियों में भी एक हद तक अभी अंतरात्मा की आवाज जिंदा है।
जड़ में दर्जी सलीम
संजौली मस्जिद के मामले में एक दर्जी सलीम की अहम भूमिका रही है। सलीम सहारनपुर से 1997 में संजौली आया था। उसके आते ही वहां बाहरी लोगों का आना-जाना बढ़ गया और इन्हीं लोगों से उसने मस्जिद के लिए चंदा लेना शुरू किया। मस्जिद के बिल्कुल साथ रहने वाले श्याम लाल भाटिया कहते हैं, ‘‘मैं पिछले 49 वर्ष से यहां रह रहा हूं। पहले कभी कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन दर्जी सलीम के आने के बाद यहां परेशानी बढ़ने लगी है।’’ संजौली में रहने वाली आरती चौहान का कहना है, ‘‘मस्जिद में बहुत अधिक संख्या में लोगों के आने-जाने की वजह से महिलाओं और लड़कियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन अवैध मस्जिद को हटाए।’’ वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी कुतुबुद्दीन अहमद का कहना है, ‘‘मस्जिद की जमीन पर वक्फ बोर्ड का मालिकाना हक है और 1960 की जमाबंदी दस्तावेज में भी यह दर्ज है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद के निर्माण को लेकर एक कमेटी बनाई थी। इसके लिए वक्फ बोर्ड ने उन्हें नगर निगम के नियमों के तहत मस्जिद बनाने को लेकर एनओसी दी थी।’’ अब अदालत 5 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर कहते हैं, ‘‘इस मामले को लेकर सरकार बातचीत का रास्ता निकालने के बजाय भड़काने वाली बातें करती रही। इस पूरे प्रकरण को बहुत हल्के में लिया गया, जबकि पहले दिन से ही जनभावनाएं स्पष्ट थीं।’’
दरअसल, यह मुद्दा ऐसे समय में उठा है, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य की कांग्रेस सरकार इस मामले पर कुछ करना नहीं चाहती, लेकिन जब उसके ही एक मंत्री ने इस मस्जिद को अवैध बताते हुए विरोध किया तब राज्य सरकार के सामने विचित्र स्थिति पैदा हो गई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कहते हैं कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेने देंगे। इस मामले को राजनीतिक रंग देने की जरूरत नहीं है। सरकार कानून के अनुसार ही कार्रवाई करेगी।
संजौली के बाद कसुम्पटी और मंडी जिले में भी अवैध मस्जिदों के निर्माण को हटाने की मांग उठने लगी है।
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