देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई है, राज्य की जनता को इस कानून व्यवस्था के जरिए कुछ अभिनव अनुभव भी होने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक, इस व्यवस्था में राज्य के लिए जानकारियों का डेटा बेस तैयार करने के लिए आधुनिक तकनीक की सहायता भी ली जाएगी।
राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के साथ शादी का पंजीकरण करवाना अनिवार्य हो जाएगा, ऐसा नहीं करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसा निर्णय मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और उत्तराखंड समान नागरिक संहिता समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में संहिता की नियमावली के अंतिम चरण की समीक्षा और कार्यान्वयन पर गहन विचार विमर्श के बाद लिया गया है।
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मिली जानकारी में कहा गया कि संहिता में शादी पंजीकरण अनिवार्य तौर पर कराने के प्रावधान के तहत क्रियान्वयन के लिए सरकार को उपाय सुनिश्चित करने होंगे। इस महत्वपूर्ण बैठक में ये फैसला भी हुआ कि राज्य सरकार चाहे तो सरकारी सेवाएं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने वालों के लिए शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर सकती है। एक तय समय के बाद सरकार योजनाओं का लाभ देने से मना सकती है, उसे जारी रखने के लिए पहले पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा।
जानकारी के मुताबिक, यूसीसी में परिवार पंजीकरण आदि के बारे में भी सरकार जानकारी लेगी जो कि एक डेटा एप में दर्ज की जाएगी। इससे सरकार को भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी। बैठक में सचिव रतूड़ी और यूसीसी समिति सदस्य शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए बनने वाली नियमावली को अंतिम रूप देने में सभी विभागों को सहयोग व समन्वय के निर्देश दिए।
इस नई कानून व्यवस्था में ये प्रावधान है कि जिस तारीख से यूसीसी लागू होगा, उसके छह माह तक उन जोड़ों को पंजीकरण करवाने का समय दिया जाएगा, जो यूसीसी लागू होने की तारीख से पहले से शादीशुदा हैं। उनको सिर्फ तीन माह का समय मिलेगा, जो यूसीसी लागू होने की तिथि या उसके बाद शादी करेंगे। दोनों श्रेणी में अवधि समाप्त होने के बाद किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। जब भी पंजीकरण करवा लेंगे, उन्हें पहले की तरह लाभ ले सकते हैं।
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बैठक में यूसीसी सदस्य मनु गौड़, सुरेखा डंगवाल, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, विशेष प्रमुख सचिव अमित सिन्हा, प्रमुख सचिव रमेश कुमार, सुधांशु आदि उपस्थित थे।
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