भारत और चीन जैसे कई देश पोलियो से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान में अभी भी पोलियो के मामले सामने आ रहे हैं। पड़ोसी देशों की तुलना में यह स्थिति चिंताजनक है, और इसका मुख्य कारण पोलियो वैक्सीन को लेकर फैला अंधविश्वास और कट्टरपंथियों का दुष्प्रचार है। इस कारण न केवल पाकिस्तान के कई हिस्सों में पोलियो अभियान ठप हो रहा है, बल्कि पोलियो कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले और हिंसा की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं।
पोलियो कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमले
सिंध प्रांत के जैकोबाबाद में हाल ही में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जब एक महिला पोलियो कार्यकर्ता का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया गया। यह घटना पोलियो कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों की कड़ी का हिस्सा है, जो पोलियो अभियान को बाधित करने के उद्देश्य से किया जाता है। इस कार्यकर्ता को गंभीर हालत में बचाया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है, लेकिन इस घटना ने पोलियो कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले में भी इसी तरह का मामला सामने आया, जहां एक पोलियो कार्यकर्ता और उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई। बाइक सवार अज्ञात हमलावरों ने उन पर उस समय हमला किया, जब वे अपनी ड्यूटी से लौट रहे थे। इन हत्याओं के बाद जिले में पोलियो अभियान रोक दिया गया है।
पोलियो के बढ़ते मामले
1990 के दशक में पाकिस्तान में हर साल लगभग 20,000 पोलियो के मामले सामने आते थे। लेकिन समय के साथ यह संख्या घटकर 2018 तक केवल 8 रह गई थी। हालांकि, 2024 तक आते-आते यह स्थिति फिर से बिगड़ने लगी है। अब तक पाकिस्तान में इस साल 17 पोलियो के मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल कुल 6 मामले ही सामने आए थे। इस बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य अधिकारियों और पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े लोगों को चिंता में डाल दिया है।
अंधविश्वास और दुष्प्रचार का प्रभाव
पाकिस्तान में पोलियो के बढ़ते मामलों का सबसे बड़ा कारण है कट्टरपंथी संगठनों द्वारा फैलाया गया दुष्प्रचार। इस्लामिक कट्टरपंथी और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन पोलियो वैक्सीन को लेकर झूठे दावे फैलाते हैं। उनका कहना है कि यह वैक्सीन पश्चिमी देशों की साजिश है, जिसके जरिए मुसलमानों को नपुंसक बनाया जा रहा है। इसके अलावा, कई उग्र मौलवियों ने इसे “गैर-इस्लामी” घोषित कर दिया है और पोलियो वैक्सीन को अल्लाह के आदेशों के खिलाफ बताया है।
ऐसे दुष्प्रचार के कारण पाकिस्तान के कई हिस्सों में लोग अपने बच्चों को पोलियो की वैक्सीन देने से इनकार कर रहे हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान के दूरदराज इलाकों में देखने को मिल रहा है, जहां पोलियो कार्यकर्ताओं को अपनी जान की बाजी लगाकर काम करना पड़ता है।
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