केंद्र सरकार वक्फ एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है। इसके विरोध में जहां भगोड़ा जाकिर नाइक जहर उगलकर भारत के मुस्लिमों को भड़का रहा है, वहीं भारत में भी कट्टरपंथी मुस्लिम विरोध पर उतर आए हैं। वे इस एक्ट के बारे में जाने बिना प्रदर्शन कर रहे हैं। अब तो वे डिजिटल तरीके और क्यूआर कोड को टूल बना रहे हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने जाकिर नाइक को फटकार लगाई है और भारत के मुसलमानों को न भड़काने के लिए कहा है। किरेन रिजिजू ने यह भी कहा कि जाकिर नाइक झूठा नैरेटिव न गढ़े।
भारत में मुस्लिमों को भड़काया जा रहा है कि वक्फ एक्ट में संशोधन करके मुसलमानों के कब्रिस्तान, मस्जिदें और अन्य संपत्तियां छीन ली जाएंगी, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। वक्फ एक्ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड की विसंगतियां दूर की जानी हैं। बोर्ड में महिलाओं को भी शामिल किए जाने की बात कही जा रही है।
क्या हैं बदलाव ?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर यूनिफाइड वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रस्ताव है।
वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्तियों का वैल्यूएशन करने के लिए जिला कलेक्टरों के दफ्तर में रजिस्ट्रेशन कराना होगा
मुस्लिम समाज में हाशिये पर रखी जाने वाली महिलाओं को भी बोर्ड में प्रवेश मिलेगा। मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी यह एक कदम है
इस पर छिड़ी है बहस
वक्फ एक्ट के सेक्शन 40 पर बहस हो रही है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को यह अधिकार मिला है कि अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो वो खुद से जांच कर सकता है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह वक्फ ट्रिब्यूनल के पास शिकायत करा सकता है। ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन भारत में न्यायिक प्रक्रिया को गति को देखते हुए यह काफी जटिल है। इसमें वक्फ झूठा दावा भी कर सकता है। क्योंकि अगर कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाए तो वह वक्फ के पास ही रहती है। इससे कई विवाद भी हुए हैं। पीड़ित लोगों ने आपत्तियां भी दर्ज कराई हैं। सरकार ऐसे ही विवादों से बचने के लिए इस एक्ट में संशोधन करने का विधेयक लेकर आई है।
स्वतंत्र भारत में वक्फ पर पहला कानून 1954 में बना
भारत में रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक जमीन है। दुर्भाग्य से वक्फ बोर्ड की संपत्ति बढ़ती जा रही है। अंग्रेजों ने मुसलमानों की मजहबी संपत्ति (मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान आदि) की देखरेख के लिए 7 मार्च, 1913 को एक कानून बनाया। इसके बाद 5 अगस्त, 1923, 25 जुलाई, 1930 और 7 अक्तूबर, 1937 को इस कानून में कुछ और प्रावधान जोड़े गए। स्वतंत्र भारत में पहला वक्फ कानून 1954 में बना, जिसमें वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दिए गए। इसके बाद 1984 और 1995 में भी इस बोर्ड को शक्तिशाली बनाया गया। इस कानून के अनुसार यदि किसी गैर-मुस्लिम की संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज हो गई तो आदेश की तारीख से एक साल के अंदर वक्फ बोर्ड में मुकदमा करिए और यदि आपको आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो आपकी संपत्ति हमेशा के लिए गई। इसके बाद 20 सितंबर, 2013 को वक्फ कानून में कुछ संशोधन कर वक्फ बोर्ड को कई शक्तियां दी गईं। इनका इस्तेमाल जमीन कब्जाने के लिए किया जाने लगा है।
वक्फ कानून की कुछ धाराएं भी देखिये
वक्फ कानून की धारा 40 के अनुसार कोई भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड में एक अर्जी लगाकर अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दे सकता है। यदि किसी कारण से वह संपत्ति बोर्ड में पंजीकृत नहीं होती है तो भी 50 साल बाद वह संपत्ति वक्फ संपत्ति हो जाती है। सैकड़ों अवैध मजारें और मस्जिदें वक्फ संपत्ति हो चुकी हैं।
- धारा 40 में यह भी प्रावधान है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसके मालिक को सूचित करना जरूरी नहीं है। धारा 52 कहती है कि यदि किसी की जमीन, जो वक्फ में पंजीकृत है, उस पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो वक्फ बोर्ड जिला दंडाधिकारी से जमीन का कब्जा वापस दिलाने के लिए कहेगा। नियमत: जिला दंडाधिकरी 30 दिन के अंदर जमीन वापस दिलवाएगा।
- धारा 107 के अनुसार वक्फ संपत्ति वापस लेने के लिए कोई तय समय-सीमा नहीं है, जबकि हिंदू धार्मिक संपत्तियों को ऐसी छूट नहीं है। ऊपर से 1991 में पूजा स्थल विधेयक कानून पारित कर हिंदुओं से यह अधिकार ले लिया गया है कि 15 अगस्त, 1947 से पहले टूटे मंदिरों को वापस नहीं ले सकते हैं।
- धारा 89 में व्यवस्था है कि वक्फ बोर्ड के विरुद्ध कोई भी दावा करने से पहले 60 दिन पूर्व नोटिस देना आवश्यक है। ऐसा कोई प्रावधान किसी हिंदू ट्रस्ट/मठ की संपत्ति के बारे में नहीं है। धारा 90 के अनुसार वक्फ प्राधिकरण के समक्ष दाखिल संपत्ति पर कब्जा या मुतवल्ली (केयरटेकर) के अधिकार से संबंधित कोई वाद लाया जाता है तो प्राधिकरण उसी व्यक्ति के खर्चे पर बोर्ड को नोटिस जारी करेगा, जिसने वाद दायर किया है।
- धारा 91 में यह व्यवस्था है कि यदि वक्फ बोर्ड की कोई जमीन सरकार द्वारा अधिगृहित की जानी है तो पहले वक्फ बोर्ड को बताया जाएगा। धारा 104 (बी.), जो कि 2013 में जोड़ी गई है, इसमें व्यवस्था है कि यदि किसी सरकारी एजेंसी ने वक्फ संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उसे बोर्ड या दावेदार को प्राधिकरण के आदेश पर छह महीने के अंदर वापस करना होगा।
- धारा 107 के अनुसार वक्फ संपत्ति वापस लेने के लिए कोई तय समय-सीमा नहीं है, जबकि हिंदू धार्मिक संपत्तियों को ऐसी छूट नहीं है। ऊपर से 1991 में पूजा स्थल विधेयक कानून पारित कर हिंदुओं से यह अधिकार ले लिया गया है कि 15 अगस्त, 1947 से पहले टूटे मंदिरों को वापस नहीं ले सकते हैं।
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