स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में हिंदू सन्यासी के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ऐतिहासिक भाषण दिया। उस समय स्वामी जी की आयु 30 वर्ष थी। उनके भाषण से लोग इतने प्रभावित हुए कि उन्हें सम्मलेन के अगले पखवाड़े में पांच बार बोलने के लिए आमंत्रित किया गया।
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