अपनी असफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तारीफ करते हुए युवराज ने उसे अपने राजनीतिक सोच में आए बदलाव का श्रेय दिया। वे कहते हैं, ‘भारत जोड़ो यात्रा ने काम के बारे में उनके विचारों को बुनियादी तौर पर बदला है। उल्लेखनीय है कि यह वही यात्रा थी जिसके दौरान राहुल गांधी ने असहज प्रश्नों से कन्नी काटने की ममता बनर्जी वाली चाल चली थी और कहा था कि उन्होंने ‘राहुल गांधी को मार दिया है।
एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान सोनिया माइनो गांधी पुत्र, भारत में विपक्ष के नेता और कांग्रेस को गर्त में पहुंचाने का ठेका जैसा लिए राहुल गांधी ने अमेरिका जाकर भारत को लांछित किया है। अपने तीन दिन के अमेरिका दौरे में माइनो पुत्र, जो परिवार के दरबारी सैम पित्रोदा के अनुसार ‘पप्पू’ नहीं हैं, ने साबित किया है कि जहां तक विदेशों में भारत को अपमानित करने की बात है तो वे बिल्कुल भी पप्पू नहीं हैं। कांग्रेसियों द्वारा हाथपैर जोड़कर जुटाए गए चंद लोगों के सामने बड़ी दार्शनिक मुद्रा बनाकर जब राहुल अटक—अटककर बोलना शुरू करते हैं तो लोग समझ जाते हैं कि उनके दिमाग में सिर्फ कीचढ़ के अलावा कुछ नहीं है।
अमेरिका की प्रसिद्ध टेक्सास यूनिवर्सिटी में वे बोलने पहुंचे। उनके बोलने से पहले सैम पित्रोदा ने मंच पर आकर बताया, कि ‘वे पप्पू नहीं, बल्कि बहुत बढ़े—लिखे और विषयों पर पकड़ रखने वाले नेता’ हैं। मंद मुस्कान के साथ गांधी कुनबे के युवराज अंदर की कुढ़न छुपाए सुनते रहे। फिर बोलने खड़े हुए तो मर्यादा को भूलकर भारत को बुरा—भला कहने लगे, यहां की सरकार को बदनाम करने लगे। चीन के गुण गाने लगे और देश की सफल योजनाओं को ‘असफल’ साबित करने में जुट गए।
माइनो पुत्र ने बार—बार ‘भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है’ का जुमला उछालने की कोशिश की और तालियों की उम्मीद की, लेकिन आंकड़ों के जानकार लोगों को वे झांसे में न ले पाए, एक ताली नहीं बजी। फिर वे एक रोजगार योजनाओं के परम ज्ञानी सी अदा के साथ बताने लगे कि इस ‘दिक्कत’ को दूर कैसे किया जा सकता है। करीब 60 साल भारत पर एकछत्र राज करने वाली पार्टी का वंशज यह छुपा गया कि कांग्रेस के राज में भारत में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर रही थी।
लोकसभा में विपक्ष के नेता माइनो पुत्र ने इसी तरह एक अन्य कार्यक्रम में विश्व के सबसे बड़े सामाजिक—सांस्कृतिक राष्ट्रभक्त संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर दोषारोपण का प्रयास किया। उस अमेरिका में, जहां बड़ी संख्या में संघ की विचारधारा को सिर—माथे रखने वाले अनिवासी भारतीय हैं, वहां उनका यह कहना उनकी अपरिपक्वता को दर्शा गया कि ‘संघ मानता है, भारत एक विचार है। जबकि उनके हिसाब से भारत तो अनेक विचारों के मेल से बना है। इसलिए यहां हर एक को यह हक होना चाहिए कि वह सपने देखे। उसका पंथ, रंग चाहे जो हो’।
माइनो पुत्र ने आगे फिर वही झूठ दोहराया जो आम चुनाव के दौरान उनके इको सिस्टम ने फैलाया था कि ‘प्रधानमंत्री संविधान को आघात पहुंचा रहे हैं’। टेक्सास यूनिवर्सिटी के छात्रों को शायद अपने जैसा अपरिपक्व मानते हुए राहुल बोलते रहे, बेसिरपैर की बातें और भारत की सफलतम योजनाओं को नाकारा बताने के लिए फर्जी आंकड़े उछालते रहे। सिर्फ और सिर्फ गांधी नाम की वजह से राजनीति कर रहे राहुल को बेरोजगारी, शिक्षा और प्रौद्योगिकी पर बातें करते देखकर उस यूनिवर्सिटी के समझदार छात्र भी हंसते होंगे।
संसद में कोरी बातें करने वाले कांग्रेस के वंशवादी नेता अमेरिका जाकर बड़े इल्म की बातें करने लगे। बेरोजगारी से कैसे निपटा जाए, इसके लिए उन्होंने अमेरिकी यूनिवर्सिटी के वातानुकूलित हॉल में बैठकर भारत को अपना उत्पादन बढ़ाने की ‘कीमती सलाह’ दी। लेकिन इसके साथ ही उस चीन की तारीफ करना नहीं भूले जिसके राजदूत से मिलने और उसकी दावत उड़ाने वे गुपचुप नई दिल्ली के चीनी दूतावास में गए थे। उकने अनुसार, ‘चीन में बेरोजगारी जैसी दिक्कत नहीं है’। जबकि सच यह है कि चीन जबरदस्त आर्थिक संकट और बेरोजगारी की समस्या से त्रस्त है। कई विदेशी कंपनियां वहां से अपना काम समेट चुकी हैं। पढ़े—लिखे बेराजगार युवाओं का आंकड़ा आसमान छू रहा है। इसी वजह से वहां जनसंख्या नहीं बढ़ रही है।
सोनिया पुत्र ने अपने सलाहकारों के रटाए गत कुछ दशकों के महत्वपूर्ण बदलाव बताए। उनके हिसाब से उत्पादन का काम वक्त के साथ अमेरिका से दक्षिण कोरिया, जापान होते हुए आखिर में चीन जा पहुंचा। चीन भक्त कांग्रेस के नेता के हिसाब से आज दुनिया में उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे है। उनका कहना था कि अमेरिका तथा यूरोप सहित अनेक पश्चिमी देश विनिर्माण क्षेत्र से पीछे हट गए जिसकी वजह से चीन तथा वियतनाम जैसे देशों को इसमें आगे बढ़ने का अवसर मिल गया।
अपनी असफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तारीफ करते हुए युवराज ने उसे अपने राजनीतिक सोच में आए बदलाव का श्रेय दिया। वे कहते हैं, ‘भारत जोड़ो यात्रा ने काम के बारे में उनके विचारों को बुनियादी तौर पर बदला है। उल्लेखनीय है कि यह वही यात्रा थी जिसके दौरान राहुल गांधी ने असहज प्रश्नों से कन्नी काटने की ममता बनर्जी वाली चाल चली थी और कहा था कि उन्होंने ‘राहुल गांधी को मार दिया है। अब राहुल गांधी जैसी कोई चीज नहीं रही है’। अपने इस बयान से उन्होंने अपनी जगहंसाई कराई थी।
राहुल गांधी ने अपनी इस अमेरिका यात्रा से एक बार फिर दिखाया है कि वे शायद कभी गंभीर नहीं होंगे। देश में अगर कांग्रेस सत्ता में नहीं है तो वे देश को विदेश में भी अपमानित करने से नहीं चूकेंगे। कांग्रेस और उसके इंडी ‘ठगबंधन’ सहयोगी कितना भी अनाचार कर लें, वे मुंह नहीं खोलेंगे। वैसे, प. बंगाल में महिला डॉक्टर की बलात्कार और निर्मम हत्या पर मुंह सिले रखने वाले नेता से देश से प्रेम की उम्मीद करना बेकार ही है। लेकिन राहुल के द्वारा फिर से विदेशी धरती पर अपने ही देश पर कीचड़ उछालने को लेकर अमेरिकी भारतीय समुदाय में आक्रोश है।
कैलिफोर्निया में आईटी क्षेत्र से जुड़े हर्ष वर्मा का कहना है कि राहुल को अपनी जबान पर कम से कम विदेश में तो काबू रखना चाहिए, उनके भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी से राजनीतिक मतभेद कितने भी हों, विदेश में जाकर देश की नीतियों के लिए अपशब्द नहीं बोलने चाहिए। सेन फ्रांसिस्को में आटोमोबाइल क्षेत्र में इंजीनियर देवदत्त कुमार कहते हैं कि अमेरिका के भारतीय समाज को राहुल के यहां आने से पहले पता था कि वे यहां भारत को गाली देने और मोदी सरकार को लांछित करने के लिए ही आ रहे हैं इसलिए यहां उनकी बातों को कोई गंभीरता से नहीं लेता। कांग्रेसियों की तो मजबूरी है कि उनके एक एक शब्द पर तालियां पीटें।
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