मनु स्मृति का श्लोक (3/57) है-
शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम्।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा।।
अर्थात् जिस परिवार में महिलाएं दुखी हों, उसका विनाश ही होता है।
जहां महिलाएं खुश रहती हैं, वह परिवार समृद्ध होता है और उन्नति करता है।
31 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में जिला न्यायाधीशों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनु स्मृति में वर्णित परिवार को देश माना और कहा, ‘‘मैं देश और समाज के एक और ज्वलंत विषय को आपके समक्ष उठाना चाहता हूं। आज महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बनाए गए हैं। 2019 में सरकार ने ‘फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट’ की स्थापना की योजना बनाई थी। इसके तहत अहम गवाहों के लिए ‘डिपोजिशन सेंटर’ का प्रावधान है। इसमें भी जिला निगरानी कमेटियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इस कमेटी में जिला जज, डीएम और एसपी भी शामिल होते हैं। आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं के बीच समन्वय बनाने में उनकी भूमिका अहम होती है। हमें इन कमेटियों को और अधिक सक्रिय करने की जरूरत है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा।’’
नैतिकता पर सवाल
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा आज के समाज की गंभीर चिंताएं हैं। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज हत्या, एसिड अटैक, और बलात्कार जैसे घृणित कृत्य शामिल हैं। ये अपराध न केवल महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि समाज की नैतिकता और संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े करते हैं।
बच्चों की सुरक्षा भी एक प्रमुख चिंता है, क्योंकि बीते कुछ समय में बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई है। इन अपराधों में बाल शोषण, अपहरण, बाल तस्करी और बाल श्रम जैसे मामले शामिल हैं। बच्चों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले इन अपराधों को रोकने के लिए सरकार ने कई कठोर कानून बनाए हैं और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2020 में, भारत में महिलाओं के खिलाफ कुल 3,71,503 अपराध दर्ज किए गए थे। इनमें से सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न से संबंधित थे। बलात्कार के 28,046 मामले दर्ज किए गए, जो इस बात का संकेत हैं कि समाज में महिलाओं के प्रति अपराधों का स्तर बढ़ा है। ये आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि 2019 और 2020 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में मामूली वृद्धि हुई है, जो इस बात का प्रमाण है कि कानून और सुरक्षा उपायों के बावजूद इन अपराधों को रोकने के प्रयासों में और सुधार की आवश्यकता है।
2019 में, भारत सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए जो ‘फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट’ की स्थापना की योजना बनाई थी, इनमें अदालतों का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना और पीड़िताओं को त्वरित न्याय दिलाना है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, कई मामलों में इन अदालतों ने तेजी से फैसले सुनाए हैं, जो महिलाओं को न्याय मिलने में लगने वाले समय को कम करने में मददगार साबित हुए हैं।
‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ के तहत, ‘डिपोजिशन सेंटर’ गवाहों को सुरक्षित और गोपनीय वातावरण में अपना बयान दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस पहल से न केवल गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया भी पारदर्शी और निष्पक्ष रहती है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में जिला निगरानी कमेटियां विभिन्न सरकारी और न्यायिक संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने में मदद करती हैं। ये सुनिश्चित करती हैं कि मामलों की सुनवाई में कोई देरी न हो और पीड़िताओं को समय पर न्याय मिले। आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न पहलुओं के बीच समन्वय बनाने में इन कमेटियों की अहम भूमिका होती है। हालांकि इन कमेटियों को और सक्रिय करने की जरूरत है ताकि न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इतनी सुदृढ़ व्यवस्था होने के बावजूद महिलाओं के विरुद्ध मुकदमों का निस्तारण एक चुनौती है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सामने प्रस्तुत किया है।
संवेदनशीलता और तत्परता
इस गंभीर समस्या के संदर्भ में पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा कार्यक्रम को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर अपराधों की रिपोर्टिंग और उनके निपटारे की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जा सकता है। इसके लिए एक केंद्रीकृत आनलाइन पोर्टल भी विकसित किया जा सकता है।
2013 में रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने सिल्चर (असम) में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘जहां ‘भारत’ पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के कारण ‘इंडिया’ बन जाता है, वहां इस प्रकार की (महिला विरोधी) घटनाएं होती हैं।’’ महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए आवश्यक है कि हम एकजुट होकर प्रयास करें और सभी संभव उपाय करें ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें, उन्हें न्याय के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना हमारे समाज का नैतिक और कानूनी दायित्व है।
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