क्या बची रह पाएंगी मध्य प्रदेश की ये जनजातियां ! ईसाई मिशनरियां क्यों पड़ी हैं पीछे? बहुत कुछ कह रहे आंकड़े
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत मध्य प्रदेश

क्या बची रह पाएंगी मध्य प्रदेश की ये जनजातियां ! ईसाई मिशनरियां क्यों पड़ी हैं पीछे? बहुत कुछ कह रहे आंकड़े

ईसाई मिशनरियों से मालवा, महाकौशल क्षेत्र है सबसे ज्यादा प्रभावित

by डॉ. मयंक चतुर्वेदी
Sep 9, 2024, 07:15 pm IST
in मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में तेजी से हो रहा जनजातियों का कन्वर्जन

मध्य प्रदेश में तेजी से हो रहा जनजातियों का कन्वर्जन

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मध्‍य प्रदेश के जन‍जाति समाज के विविध लोक नृत्‍य, लोक गायन, लोक कला की पहचान न सिर्फ भारत में विशेष मायने रखती है बल्कि दुनिया भर में अपनी धाक जमाती नजर आती है। लेकिन अब भगौरिया, राई, लागुंरिया, मटकी, गणगौर, बधाईं, बरेडी, नौराता, अहिराई नृत्य देखने या अन्‍य नृत्‍यों व लोक संगीत के लिए भविष्‍य में बड़ा संकट आने जा रहा है। इसके कुछ संकेत मिले हैं । इससे यह भी प्रश्‍न खड़ा हो गया है कि क्‍या भविष्‍य में सदियों से अपने अस्‍तित्‍व बचाए रख पाईं जनजाति अपने मूल के साथ बची रह पाएंगी ? क्‍या प्रदेश की ये लोकगान, लोक कला और लोक नृत्‍य की प्राचीन परंपराएं जीवित रहेंगी ?

यह आशंका इसलिए क्‍योंकि जनजाति समाज की लोक परंपराओं पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है। भले ही सरकार जनजाति विकास के अनेक कार्य कर रही है किंतु ईसाई मिशनरियों ने इनके बीच कुछ इस तरह की सेंध लगा दी है कि देखते ही देखते स्‍वाधीनता के बाद से अब तक के सालों में बहुत तेजी के साथ ईसाई मतांतरण चला और चर्च की देखरेख में सफल हुआ। जनजातियों के बीच ईसाई मिशनरी लोभ-लालच कन्‍वर्ट कराने के अनेक मामले लगातार सामने आ रहे हैं । यही कारण है कि राज्‍य में जनजाति समाज लगातार अपनी प्राचीन ज्ञान परंपरा से दूर होते जा रहे हैं ।

मिशनरी से संबंधित नियोगी कमीशन की रिपोर्ट खा रही धूल

नियोगी कमीशन ने अपनी चर्चित रिपोर्ट में अविभाजित मध्य प्रदेश में ईसाई मतान्‍तरण को लेकर सचेत किया था और बताया था कि कैसे-कैसे कुचक्र रचकर यहां भोले-भाले जनजाति समाज को चर्च अपने मायाजाल में फंसाता है और उनकी पूरी संस्‍कृति को ही समाप्‍त कर देता है। जब इस बारे में हमने पड़ताल की तो वे सबूत भी मिले जो खुद कैथोलिक चर्च से जुड़े हैं और उन्‍होंने अपने रिकार्ड के जरिए साफ तौर पर स्‍वीकार किया है कि मध्‍य प्रदेश में सबसे अधिक यदि कोई प्रभावित हो रहा है तो वह यहां का जनजाति समाज है। उसके बाद नंबर अनुसूचित जाति का आता है, इस वर्ग का भी एक विशेष वर्ग जो जाटव है, इस वक्‍त सबसे ज्‍यादा ईसाई बन रहा है। जबकि अनुसूचित जनजाति में गोंड, भील, सहरिया, बैगा, बंजारा, भूरिया, मीना, दामोर, मुंडा, ओरांव एवं उनकी अन्‍य कई उपजातियां यहां मिशनरी की गिरफ्त में जकड़ी जा रही हैं । इनमें हजारों की संख्‍या में अब तक कन्‍वर्जन किया जा चुका है।

जनजाति सुरक्षा मंच के इंदौर जिला संयोजक प्रो. मदन सिंह वास्‍केल का कहना है, ‘‘मध्य प्रदेश में हम डीलिस्टिंग पर काम कर रहे हैं, हमने जब इस संबंध में आंकड़ें जुटाना शुरू किए तो हम भी हैरान थे कि आखिर इतनी बड़ी संख्‍या में लोग ईसाई बन गए और हमें पता भी नहीं चला। वास्‍तव में संविधान में अनुच्छेद 342 में संसोधन करके कन्वर्जन कर चुके आदिवासियों को आरक्षण की सूची से बाहर किए जाने की आवश्‍यकता है। अनुच्छेद 341 में आरक्षण की परिभाषा के साथ आरक्षण विषय पर स्पष्ट उल्लेख है कि ‘वह समाज हिन्दू है और अगर हिन्दू धर्म को छोड़कर भारतीय धर्मों में रहता है, तो उसे आरक्षण की सुविधाएं मिलती हैं.,लेकिन जैसे ही वह धर्मांतरण कर ईसाई या मुस्लिम बनता है, तो उसका अरक्षण स्वतः समाप्त हो जाता है। लेकिन हम यहां देख रहे हैं कि ये कन्‍वर्ट भी हो गए हैं और आरक्षण का लाभी भी ले रहे हैं। ’’

जनजाति क्षेत्रों में घर-घर ईशू प्रार्थना का हो रहा प्रयास

प्रो. मदन सिंह वास्केल कहते हैं, ‘‘बात यहां सिर्फ आरक्षण की नहीं है, डीलिस्टिंग के कारण से जब प्रदेश के हर जिले से अपने जनजाति समाज की जनसंख्‍या एकत्र करना शुरू किया तो ध्‍यान में आया कि मध्य प्रदेश का शायद की कोई जिला शेष हो, जहां तेजी के साथ कन्‍वर्जन नहीं किया गया हो और उसमें चर्च की कोई भूमिका नहीं रही हो । इस संबंध में दो साल पहले एक सर्वे हम लोगों ने किया था, जिसमें सभी ने तो नहीं लेकिन एक बहुत बड़ी संख्‍या ने यह स्‍वीकार किया था कि अब उनकी नियमित पूजा में में ईशू की प्रार्थना भी है। उनका अपने लोकदेवताओं पर विश्‍वास नहीं रहा।’’

प्रो. वास्‍केल अपने किए गए तत्‍कालीन सर्वे के आंकड़े प्रस्‍तुत करते हैं और बताते हैं कि जि‍न्‍होंने ये खुलकर स्‍वीकारा है कि वे ईसाई हो गए हैं। झाबुआ जिले में 46 हजार 170 लोगों ने माना कि वे अब ईसाई हैं। जिला मण्डला में 18 हजार 419 अलिराजपुर 6 हजार 524, बड़वानी में 4 हजार 610, धार में 3109, खरगोन में 3610, खण्‍डवा में 4214, बुरहानपुर 1873, इन्दौर में 7083, देवास में 4391, रतलाम में 5459, सीहोर में 2339, डिण्डोरी में 5940, अनूपपुर में 3306, बैतूल में 5684, छिंदवाड़ा में 6307, सिवनी में 1722, बालाघाट में 7129, शिवपुरी में 1536, श्योपुर में 1340 और 22वें जिले शहडोल में लगभग दो हजार लोगों ने स्वयं व परिवार का ईसाई होना स्‍वीकार किया है।

गाय के प्रति पैदा की जा रही है अनास्‍था, भगौरिया जैसी पवित्र मान्‍यता हो रही दूषित

प्रो. वास्केल का कहना है, ‘ये तो वे लोग हैं जो मान रहे हैं कि हां, हम बदल गए, किंतु इससे कई गुना ज्‍यादा संख्‍या उन लोगों की है जो कन्‍वर्ट तो हो गए हैं, किंतु अपनी पहचान खुलकर बताना नहीं चाहते। अब हो ये रहा है कि हमारे समाज के लोगों को यह समझाया जा रहा है कि गाय-भैंस का मांस जनजाति समाज सदियों से खा रहा है, जबकि ऐसा कहना गलत है। हमारे मालवा में गाय पूजनीय है, किंतु अब उसके प्रति भी अनास्‍था पैदा की जा रही है। इसी प्रकार हमारे तीज-त्‍यौहारों पर संकट आ खड़ा हुआ है। भगौरिया जैसी पवित्र मान्‍यता और परंपरा को ईसाई मिशनरी के षड्यंत्र ने दूषित कर दिया है। कहा जाता है कि लड़की भगाकर ले जाने की जनजाति परंपरा है ये, जबकि यह धारणा पूरी तरह गलत है। प्रो. मदन सिंह वास्‍केल कहते हैं कि यदि इसी तरह चलता रहा तो हमारे सामने आने वाले दिनों में पहचान का संकट खड़ा हो जाएगा। ढूंढ़ें से कोई जनजाति मध्य प्रदेश में नहीं मिलेगा।’

कैथोलिक चर्च ने बना दिए मध्य प्रदेश में ढाई लाख ईसाई

कैथोलिक चर्च से जुड़े जो दस्‍तावेज सामने आए हैं, उसके अनुसार मध्‍य प्रदेश को चर्च ने 777 समूहों में बांटा है, जिसमें कि अब तक कैथोलिक चर्च 43 समूहों तक ही अपनी मजबूत पकड़ बना पाया है, जोकि सभी हिन्‍दू हैं । शेष 730 तक कैथोलिक चर्च का प्रभावी काम अभी नहीं पहुंचा है। रिपोर्ट स्‍वीकार कर रही है कि अकेले भील 50 हजार, भील बरेला 12000, भील मावची 2200, भील मानकर 1600, उरांव 15000, भील निहाल 1100, भील मीना30, भील ताड़वी, गोंड मारिया 3,200, गोंड राजगोंड 3,100, गोंड अनिर्दिष्ट 30,000, गोंड मुरिया 700, गोंड नागवासी 700, कोल 700, मुंडा 700, गोंड मन्नेवार 500, कोरकू 500, खारिया 300, अगरिया 200, बैगा 1100, बंजारा 100, दामोर 100, धनवार 100, भारिया भूमिया 90, भैना 50, गोवारी 40, लोढ़ा 40, बिंझिया 30, हल्‍बा 30 जनजाति लोगों को ईसाई बनाया जा चुका है। इनके अलावा अन्‍य कुछ जनजातियां भी हैं जिनके लोग मप्र में आकर रह रहे हैं, उनमें भी कैथोलिक चर्च अब तक सैकड़ों की संख्‍या में ईसाई बनाने में सफल रहा है। इनमें जो प्रमुख जनजातियां हैं, जिनकी संख्‍या मप्र में पाई गई है, वो ज़ेलियांग, सेमा, सौर, रेंग्‍मा, नगा, मिजो, चाखेसांग, चादर, एओ, अंगामी जनजाति हैं।

जनजाति के बाद जाटव, बाल्‍म‍ीकि हैं निशाने पर

कैथोलिक चर्च इन जनजातियों के अलावा अन्‍य हिन्‍दू समुदायों में अपनी लगातार पकड़ बनाने में भी सफल हुआ है। जिसमें कि सबसे जयादा प्रभाव जाटव समुदाय पर हुआ है, उसके अलावा बाल्‍मीकि, बलाई, बसोर, धनवार, धोबी, गोवानीज-कोंकणी, कलार, कोली, कोतवाल, कुम्‍हार, कुन्‍बी, महार, मडिगा, माझी, माली, मातंग, मेघ, पनिका, परैयां, प्ररधान, राय, रविदास चमार, सतनामी, तेली, वेल्‍लालन प्रमुख हैं। इसके साथ ही कुछ अन्‍य जातियों को मिलाकर अब तक वह मप्र में कुल 2 लाख 27 हजार से अधिक लोगों को ईसाई बनाने में सफल हुआ है।

प्रोटेस्टेंट चर्च भी नहीं पीछे

आदिवासी समाज सुधारक संघ के संयोजक प्रेम‍सिंह आजाद जो स्‍वयं जनजाति समाज से हैं, कहते हैं कि एक ओर जहां कैथोलिक चर्च शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और अन्‍य लालच देकर हमारे समुदाय के लोगों का मतान्‍तरण (कन्वर्जन) करवा रहा है तो दूसरी तरफ प्रोटेस्टेंट चर्च के “कन्वर्जन” के तरीकों ने भोलेभाले हमारे समाजजन के लोगों को बरगला दिया है। ये संगीत-नृत्य, चमत्कारी तरीके से बीमारियां दूर करना, भूत भगाना जैसे चमत्‍कार दिखाने का दावा करते हैं और हमारे भाईयों को हिन्‍दू धर्म के विरोध में उकसाते हैं। यहां अकेले झाबुआ जिले में ही हर शुक्रवार और रविवार सामूहिक मतांतरण गांव-गांव हो रहा है। हमारी जातियों भील, भिलाला, पटलिया ईसाईयत के कुचक्र में फंसती जा रही हैं। यहां थांदला, मेघनगर में तो कई गांव अब तक कन्‍वर्ट हो चुके हैं।

वे दावा करते हैं कि कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट चर्च के माध्‍यम से अकेले झाबुआ जिले में ही आज की संख्‍या में 90 हजार से अधिक जनजाति समाजजन ईसाई बन चुके हैं। यही हाल प्रदेश के अन्‍य जनजाति बहुल जिलों का है। ईसाई मिशनरी अपने सेवा आश्रमों, चिकित्‍सालय, बाल संस्‍थानों एवं कई विद्यालयों के माध्‍यम से लगातार कन्‍वर्जन कराने के काम में जुटी हुई है ।

नहीं दिखता कानून का भय

एडवोकेट आशुतोष कुमार झा कहते हैं, ‘‘अभी हाल ही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पांच लोगों का दल पकड़ा गया, जोकि 20 लाख रुपये का लालच देकर मतान्‍तरण के लिए हिन्‍दू समाज के गरीब जनों को निशाना बना रहे थे। ये पांचों ईसाई बच्‍चों की मिशनरी स्‍कूल में फ्री शिक्षा एवं अन्‍य सुविधाएं दिला देने का वादा भी कर रहे थे। आप सोच सकते हैं, ये 20 लाख रुपए कोई छोटी राश‍ि नहीं है। बेचारा कोई भी गरीब इनके लालच में आ सकता है। अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि ईसाई मतांतरण कितने बड़े स्‍तर पर चल रहा है और इसके लिए उनके पास रुपयों की भी कोई कमी नहीं है।’’ वे कहते हैं कि मप्र में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर लगाम लगाने के उद्देश्‍य से मध्य प्रदेश विधानसभा में आठ मार्च को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ पारित किया गया था। इस विधेयक में शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यह एक कानून के रूप में गजट नोटिफिकेशन के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश में लागू हो गया। इसमें साफ कहा गया है कि कोई संस्था या संगठन इस अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन करता है, वहाँ यथास्थिति ऐसी संस्था अथवा संगठन के कामकाज का भारसाधक व्यक्ति इस अधिनियम की धारा में यथा उपबंधित दण्ड का दायी होगा। लेकिन इसके बाद भी मप्र में मतांतरण रुका नहीं है, जैसे कि किसी को कानून से कोई भय ही नहीं है।

जग जागरण के साथ कानून का हो सख्ती से पालन

अधिवक्‍ता आशुतोष कुमार न्‍यायालय के एक निर्णय का हवाला देते हुए बताते हैं कि इस साल जुलाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा भी है कि भारतीय संविधान किसी को धर्म अपनाने, उसमें आस्था जताने और प्रचार करने की अनुमति देता है, लेकिन यह लालच व दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराने की अनुमति नहीं देता।

Topics: जनजातियांमध्य प्रदेशईसाई मिशनरियां
Share6TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Love Jihad Islamic conversion Sehore

सीहोर में हिंदू छात्रा से गैंगरेप और जबरन धर्म परिवर्तन, जुबैर समेत तीन गिरफ्तार

नक्सली, फाइल चित्र

MP में नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई , 4 ढेर, ऑटोमेटिक हथियार, ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर बरामद

इंदौर में लव जिहाद का मामला सामने आया है

मध्य प्रदेश: एक और लव जिहाद का मामला, इंदौर में हिंदू लड़कियों को फंसाकर मुस्लिम युवकों ने किया दुष्कर्म

शोकाकुल लक्ष्मी के परिजन

Jabalpur: अब्दुल ने की लक्ष्मी की हत्या, चाकू से रेता गला 

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

रानी दुर्गावती

जिनके नाम पर यूनिवर्सिटी उन वीर रानी दुर्गावती की समाधि को बना दिया ‘मकबरा’? सवाल पर भड़के छात्र

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

रात में भूलकर भी न खाएं ये 5 चीजें, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Earthqake in Delhi-NCR

दिल्ली-एनसीआर में 4.4 तीव्रता का भूकंप, झज्जर रहा केंद्र; कोई हताहत नहीं

आरोपी मौलाना जलालुद्दीन उर्फ छांगुर

बलरामपुर: धर्म की भूमि पर जिहादी मंसूबों की हार

kanwar yatra delhi

कांवड़ यात्रा 2025: मीट-मछली की दुकानें बंद, आर्थिक मदद भी, दिल्ली में UP वाला एक्शन

Punjab Khalistan police

पंजाब: पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह गिरफ्तार, ISI को दे रहा था भारतीय सेना की खुफिया जानकारी

Pema Khandu Arunachal Pradesh Tibet

पेमा खांडू का चीन को करारा जवाब: अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग, तिब्बत से सटी है सीमा

Guru Purnima

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा पर इन संस्कृत श्लोकों के साथ करें अपने गुरु का आभार व्यक्त

Kolhapuri Slippers Dispute

कोल्हापुरी चप्पल विवाद: चोरी की ये कहानी है पुरानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

फ्री इलाज के लिए बनवाएं आयुष्मान कार्ड, जानें जरूरी डाक्यूमेंट्स और पूरा प्रोसेस

Tarrif War and restrictive globlization

प्रतिबंधात्मक वैश्वीकरण, एक वास्तविकता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies