बांग्लादेश में शेख हसीना को अपदस्थ करने के बाद कई ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिनसे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि मुजीबुर्रहमान द्वारा बनाई गई इस देश की पहचान को मिटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुजीबुर्रहमान और भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के समर्पण को दिखाते हुई प्रतिमा भी तोड़ी गई।
बांग्ला भाषा को लेकर मुजीबुर्रहमान ने लड़ाई लड़ी थी, क्या वह केवल मुजीबुर्रहमान के अपने सत्ता हासिल करने की लड़ाई थी? यह प्रश्न इसलिए लाजिमी हो जाता है क्योंकि शेख खुद ही भारत का विभाजन करने वाली मुस्लिम लीग के सदस्य थे और डायरेक्ट एक्शन डे में उन्होनें हिंदुओं के विरुद्ध काफी सक्रिय होकर कार्य किया था। बार-बार यही लगता है कि क्या यह दो पहचानों की परस्पर लड़ाई है?
क्या एक बार बांग्लादेश में फिर से पहचान की लड़ाई देखने को मिलेगी ? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है क्योंकि बांग्लादेश में अब झंडे और राष्ट्रगान को बदले जाने की बात की जा रही है। पाकिस्तान का गठन इस्लाम के नाम पर हुआ था और फिर इसी से टूटकर बांग्लादेश बना। बांग्लादेश के झंडे को नारायण दास ने डिजाइन किया था जबकि राष्ट्र गान “आमार सोनार बांग्ला” गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने लिखा था।
बांग्लादेश के झंडे और राष्ट्रगान को बदलने की बात की है ब्रिगेडियर जनरल (निलंबित) अब्दुल्लाही अमन आजमी ने। उन्होंने मंगलवार (4 सितंबर 2024) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मौजूदा राष्ट्रगान एक आजाद बांग्लादेश की भावना का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1905 में यह तब लिखा था जब उन्होंने बंगाल के विभाजन का विरोध किया था। इसलिए यह राष्ट्रगान आजाद बांग्लादेश के अस्तित्व के खिलाफ है। राष्ट्रगान किसी भी देश के अतीत के प्रति पहचान और परिवर्तन के प्रति आकांक्षा को प्रदर्शित करते हुए होना चाहिए।
आजमी को शेख हसीना के जाने के बाद जेल से रिहा किया गया है। आजमी का भारत विरोधी रुख जाहिर है और उनका कहना है कि उन्हें भारत-विरोधी मत को रखने के लिए ही शेख हसीना ने जेल में डाल दिया था और अब आठ साल बाद उन्हें रिहा किया गया है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होनें वर्ष 1971 के आजादी के संग्राम में शहीद हुए लोगों के बारे में भी कहा कि यह 3,00,000 से अधिक नहीं रहे होंगे।
कौन हैं अब्दुल्लाही अमन आजमी
अब्दुल्लाही अमान आजमी, बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आज़म के बेटे हैं। उन्होनें प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि मेरा सबसे बड़ा अपराध यह है कि मैं प्रोफेसर गुलाम आज़म का बेटा हूँ। मैं भारत के खिलाफ़ मुखर था। गुप्त हिरासत में रहने के दौरान किसी ने मुझसे कहा कि मैं किसी विदेशी साज़िश का शिकार हूँ। इस वजह से मुझसे बार-बार पूछा जाता था कि मैं भारत के खिलाफ़ इतना मुखर क्यों हूँ।
भारत द्वारा थोपा गया बंगाल विभाजन विरोधी राष्ट्रगान
आजमी का कहना है कि यह राष्ट्रगान भारत ने बांग्लादेश पर थोपा था। उन्होंने कहा कि मैं इस सरकार पर इस राष्ट्रगान को बदलने का जिम्मा सौंपता हूँ। जो राष्ट्रगान हम इस समय गाते हैं कि वह हमारे आजाद बांग्लादेश की भावना के खिलाफ है। यह बंगाल के बंटवारे के खिलाफ और दो बँगालों को एक करने के लिए लिखा गया है। और दो बँगालों को एक करने वाला गाना, एक आजाद बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे हो सकता है? यह भारत ने बांग्लादेश पर वर्ष 1971 में थोपा है।
संविधान में भी बदलाव किया जाए
अब्दुल्लाही अमान आजमी केवल राष्ट्रगान में ही नहीं बल्कि संविधान में भी बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक मुस्लिम देश है, जहां पर 90% के लगभग मुस्लिम हैं। अल्लाह के कानून से विपरीत कोई भी संविधान नहीं हो सकता है। हमारा संविधान कहता है कि संप्रभुता का अधिकार जनता के पास है। हालाँकि, संप्रभुता का अधिकार जनता के पास नहीं है; केवल अल्लाह के पास है। अल्लाह के कानूनों के विपरीत कोई भी कानून पारित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए, हमें संविधान में संशोधन करके ऐसे कानून शामिल करने की ज़रूरत है जो हमारे मुस्लिम मूल्यों को दर्शाते हों।
आजमी का विरोध भी
हालांकि राष्ट्रगान में परिवर्तन के सुझाव के बाद बांग्लादेश में आजमी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए। उदिची शिल्पी गोष्ठी नामक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने आजमी की बात का विरोध करते हुए देश के आम लोगो से यह अपील की थी कि वे राष्ट्रगान गाएं और झण्डा फहराएं। लोगों ने इस अपील का समर्थन भी किया और इस संगठन ने मानव चेन भी बनाई, मगर जिस तीव्र गति से बांग्लादेश में कथित क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं, उनमें यह नहीं पता कि कब तक राष्ट्रगान “आमार सोनार बांग्ला” रह पाएगा।
टिप्पणियाँ