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ऑफिस के बाद काम का दबाव खत्म: इस देश में लागू हुआ ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ कानून

Published by
Mahak Singh

आज के दौर में, जब काम का दबाव और तनाव हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, वर्क-लाइफ बैलेंस एक बड़ी चुनौती बन गया है। ऑफिस के घंटे खत्म होने के बाद भी बॉस या सहकर्मियों के फोन कॉल्स या ईमेल का जवाब देना एक सामान्य प्रथा बन चुकी है। इससे न केवल कर्मचारियों का व्यक्तिगत समय प्रभावित होता है, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत भी खराब होती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने एक महत्वपूर्ण कानून लागू किया है, जो कर्मचारियों को ऑफिस के बाद काम से छुटकारा दिलाने के लिए बनाया गया है।

‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ कानून क्या है?

ऑस्ट्रेलिया ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ यानी संपर्क में ना रहने का अधिकार प्रदान करने वाला कानून पेश किया है। इस कानून के तहत, कर्मचारियों को ऑफिस के समय के बाद बॉस या किसी अन्य सहकर्मी से संपर्क नहीं करने की अनुमति है। इस कानून के अनुसार, काम के घंटे खत्म होने के बाद अगर बॉस अपने कर्मचारी से संपर्क करता है या उसे काम करने के लिए कहता है, तो कर्मचारी इसके खिलाफ शिकायत कर सकता है। यह कानून कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए लाया गया है।

फेयर वर्क अमेंडमेंट एक्ट 2024

ऑस्ट्रेलियाई संसद ने फेयर वर्क एक्ट 2009 में संशोधन करके फेयर वर्क अमेंडमेंट एक्ट 2024 को लागू किया। इस कानून को इसी साल फरवरी 2024 में पारित किया गया था और यह 26 अगस्त 2024 से प्रभावी हो गया है। इस एक्ट का उद्देश्य कर्मचारियों को उनके काम के निर्धारित समय के बाद काम से जुड़े किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त करना है।

कानून के तहत अधिकार और नियम

काम के घंटों के बाद कोई दबाव नहीं

अब किसी भी कर्मचारी से ऑफिस के समय के बाद संपर्क नहीं किया जा सकता। अगर कोई बॉस या सहकर्मी ऐसा करता है, तो कर्मचारी इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता है।

अनपेड ओवरटाइम नहीं करना पड़ेगा

इस कानून के लागू होने के बाद अब कर्मचारियों को अनपेड ओवरटाइम नहीं करना पड़ेगा। यह कानून सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी केवल अपने निर्धारित समय में ही काम करेंगे और उसके बाद वे अपने निजी जीवन का आनंद ले सकेंगे।

कानूनी कार्रवाई का प्रावधान

अगर किसी कर्मचारी ने अपने बॉस के खिलाफ शिकायत की है और जांच के बाद बॉस दोषी पाया जाता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, दोषी बॉस से भारी जुर्माना वसूला जाएगा। भारत में सांसद सुप्रिया सुले ने 2018 में ऐसे कानून का मुद्दा उठाया था, लेकिन चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी।

 

 

 

 

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