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सीमा-पार सिर्फ अत्याचार

पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का उच्च शिक्षा ग्रहण कर कुछ बड़ा कर पाना बेहद कठिन है। कभी कुछ हिंदू लड़कियां अपने साहस के बूते कुछ कर दिखाना भी चाहें, तो षड्यंत्र रचकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है

by मलिक असगर हाशमी
Sep 5, 2024, 05:29 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
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हाल के वर्षों में पाकिस्तान में कई हिंदू छात्राएं षड्यंत्र का शिकार हुई हैं। वे मेडिकल की पढ़ाई कर अपने समाज और समुदाय की सेवा करना चाहती थीं, पर उन्हें इसका अवसर नहीं दिया गया। इससे पहले ही वे साजिश का शिकार हो गई। कुछ समय पूर्व पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक घटना हुई। यहां खैरपुर मेडिकल कॉलेज की चौथे वर्ष की छात्रा स्नेहा केसवानी अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाई गई। पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सोरथ सिंधु का कहना है, ‘‘स्नेहा के आसपास ऐसी परिस्थितियां बुनी गईं कि उसे किसी न किसी तरह मौत का निवाला बनना ही था।’’ बताया जा रहा है कि स्नेहा अपने कमरे में तीन अन्य दोस्तों के साथ पढ़ रही थी। तभी अचानक मूर्च्छित होकर गिर पड़ी। दोस्तों ने सीपीआर दिया, पर काम नहीं आया। हालांकि इस मामले में अस्पताल और कॉलेज प्रशासन का विरोधाभासी बयान है। दोस्तों और अस्पताल ने छात्रा की मौत का कारण हृदयाघात बताया है, जबकि कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को दिए गए बयान में कहा है कि स्नेहा का शव छात्रावास के कमरे में पाया गया था।

हालांकि, केएमसी, खैरपुर मीर के विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरीश मखीजा मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बयान से सहमत नहीं हैं। स्नेहा सिंध के दहारकी की रहने वाली थी। इलाके के लोग उसकी उत्कृष्ट बौद्धिक क्षमता, सम्मानजनक आचरण, नैतिकता और कुशल संचार कौशल के कायल थे। डॉ. मखीजा कहते हैं, ‘‘ऐसी छात्रा को इस तरह दिल का दौरा पड़ना संदेह पैदा करता है। मरने से पहल वह अपने रूममेट के साथ पढ़ाई कर रही थी। अगली सुबह उसे बाल रोग की परीक्षा देनी थी।’’ डॉ. सोरथ सिंधु के अनुसार, ‘‘मृत्यु से पहले स्नेहा की पुतलियां अचानक ऊपर की ओर घूम गई। साथ ही उसे घुटन का एहसास हुआ और वह चेतना खो बैठी। पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण हृदयाघात बताया गया है।’’

प्रश्न यह है कि ऐसी नौबत आई ही क्यों कि परीक्षा से कुछ घंटे पहले इस 22-23 वर्षीया मेडिकल छात्रा को दिल का दौरा पड़ा और मौत हो गई? सोशल मीडिया पर पाकिस्तान में उत्पीड़न के शिकार हिंदुओं की आवाज बुलंद करने वाले हैंडल ‘पाकिस्तान अनटोल्ड’ ने खुलासा किया है कि स्नेहा ज्योति केसवानी के हृदयाघात की वजह दरअसल, मेडिकल कॉलेज के होस्टल के वॉर्डन शाहजहां शेख और डॉ. अब्दुल अलाहे हैं। वे दोनों स्नेहा के पीछे पड़े हुए थे। उसका उत्पीड़न किया करते थे।

वे बात-बे-बात स्नेहा को अपमानित करते थे जिसकी वजह से वह परेशान रहने लगी थी। इस बाबत उसने कई बार अपने सह-पाठियों से बात की थी, पर किसी ने उसकी मदद नहीं की। जिस दिन उसे दिल का दौरा पड़ा, उस दिन भी वॉर्डन ने होस्टल की छात्राओं के सामने अपमानित किया था। इस तरह सबके सामने उसे अपमानित किया जाना शायद उसके दिल को चुभ गया और सदमे में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। इन बातों का खुलासा होने के बावजूद शाहजहां शेख और डॉ. अब्दुल अलाहे के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

यह कोई पहली घटना नहीं थी। इससे पहले लरकाना की मेडिकल छात्रा निमृता अमृता माहेर चांदनी की मौत के मामले में भी ऐसा ही हुआ था। शुरुआत में मामले को जोर-शोर से उठाया गया। बाद में फाइल बंद कर दी गई। निमृता का शव भी छात्रावास में रहस्यमय परिस्थितियों में पाया गया था। पाकिस्तान के अखबार ‘डान’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट हो चुका है कि निमृता की यौन उत्पीड़न के बाद हत्या की गई थी।’’ निमृता लरकाना के बीबी आसिफा डेंटल कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा थी। वह अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाई गई थी। सर्जन डॉ. करार अहमद अब्बासी के अनुसार, ‘‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है कि निमृता का गला घोंटा गया या उसे लटकाया गया। पीड़िता की गर्दन पर घाव के निशान मिले थे। यह घाव दुपट्टे के बजाय, रस्सी जैसी चीज से बने थे। इसके अलावा कपड़ों पर पड़े दागों से पता चला कि मृत्यु से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया गया था। पुष्टि हुई कि उसके साथ बलात्कार हुआ था।’’

हालांकि इस मामले में भी निमृता के परिजनों को इंसाफ नहीं मिला है। कराची के डॉव मेडिकल कॉलेज में मेडिकल कंसल्टेंट रहे निमृता के भाई डॉ. विशाल के अनुसार, ‘‘उसकी बहन की हत्या की घटना को कॉलेज प्रशासन और दूसरी एजेंसियों ने आत्महत्या की शक्ल देकर दबाने का प्रयास किया था। मामले में सिंध उच्च न्यायालय द्वारा दखल देने के बावजूद इस घटना को लेकर बहुत सारे रहस्य अब भी बने हुए हैं।’’

ये घटनाएं उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाली हिंदू छात्राओं से संबंधित हैं, जबकि पाकिस्तान की अधिकांश हिंदू बच्चियां उच्च शिक्षा की दहलीज तक पहुंच ही नहीं पातीं। पाकिस्तान में हिंदू बच्चियों के अपहरण, बलात्कार और कन्वर्जन की घटनाएं आम हो गई हैं। ‘वॉयस आफ पाकिस्तान माइनॉरिटी’ के एक आंकड़े के अनुसार, ‘‘जुलाई महीने में हिंदू समुदाय की तीन बेटियां इंदिरा मेघवार, श्रीदेवी और राधिका सिंध प्रांत के टांडो जाम, टांडो मोहम्मद खान और लरकाना में अपहरण, बलात्कार और कन्वर्जन का शिकार हुई। अगस्त महीने में 15 वर्षीया कृतिका की दरगाह उस्मान शाह में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। जबकि सियाल कोट में 13 साल की ईसाई बच्ची सानिया अमीन का अपहरण कर उसका कन्वर्जन कराया गया।’’ पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता उस्मान बट कहते हैं, ‘‘जब देश में किसी खास कौम को लेकर ऐसे हालात हों तो भला उनकी बच्चियां कैसे घरों से बाहर निकल सकती हैं?’’ इसके अलावा पाकिस्तान में हिंदू छात्रों को भेदभाव, मजहबी असहिष्णुता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुंच का भी सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या के लिहाज से पाकिस्तान में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 1.85 प्रतिशत है। बावजूद इसके उच्च शिक्षा और बड़ी नौकरी तक इनकी पहुंच बेहद सीमित है।

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि 60 प्रतिशत हिंदू छात्रों ने अपनी धार्मिक पहचान के कारण अपने शैक्षिक वातावरण में असुरक्षित महसूस करने की सूचना दी।

कई विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में गैर-मुसलमानों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण सामग्री होती है। ‘नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस’ के अध्ययनों में पाया गया है कि पाकिस्तान में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 20-30 प्रतिशत पाठ्यपुस्तकों में ऐसी सामग्री है जिसे हिंदुओं सहित अन्य पांथिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभावपूर्ण माना जा सकता है। कई विद्यालयों में इस्लामिक अध्ययन अनिवार्य विषय है। यह हिंदू छात्रों को इस्लामी सामग्री का अध्ययन करने के लिए मजबूर करता है, जो उनके लिए असुविधाजनक है।

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, ‘‘पांच प्रतिशत से भी कम स्कूल हिंदू छात्रों को इस्लामिक अध्ययन का विकल्प देते हैं। उच्च शिक्षा में अल्पसंख्यकों के लिए कुछ कोटा तय है, पर उनके खिलाफ परिस्थितियां ऐसी बना दी गई हैं कि वे चाहकर भी इसका लाभ नहीं उठाते। लड़कियों के मामले में तो इसे खास तौर से देखा गया है।’’

पाकिस्तान के अल्पसंख्यक छात्र शिक्षा छात्रवृत्ति का भी लाभ नहीं उठा पाते। एक रिपोर्ट में पाया गया है कि 70 प्रशित हिंदू लड़कियां मैट्रिकुलेशन पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ देती हैं।

‘सॉलिडेरिटी एंड पीस मूवमेंट’ के अनुसार, ‘‘हिंदू छात्रों की पढ़ाई की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कन्वर्जन है।’’ एक आंकड़े के अनुसार, ‘‘हर साल 1,000 से 1,500 हिंदू लड़कियों का जबरन कन्वर्जन और निकाह कराया जाता है। सिंध के थारपारकर जैसे क्षेत्रों में, जहां हिंदू आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वास करता है, हिंदू लड़कियों की साक्षरता दर 10 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान हिंदुओं के लिए नरक समान बन चुका है।

Topics: पाकिस्तान में उत्पीड़न के शिकार हिंदूखैरपुर मेडिकल कॉलेजनिमृता अमृता माहेर चांदनी की मौतहिंदू लड़कियों की साक्षरता दरMany Hindu girl students in Pakistan are victims of conspiracyHindus are victims of persecution in PakistanKhairpur Medical Collegedeath of Nimrita Amrita Maher Chandniliteracy rate of Hindu girlsपाञ्चजन्य विशेषपाकिस्तान में कई हिंदू छात्राएं षड्यंत्र का शिकार
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