नैनीताल उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा है कि हल्द्वानी में रेलवे, वन भूमि और गौला नदी श्रेणी की सरकारी भूमि पर ऐसे अवैध कब्जे हो गए और ये जमीन दस रु, सौ रु के स्टांप पेपर्स पर कैसे बिक रही है? इस पर हाई कोर्ट ने तल्खी दिखाते हुए राज्य सरकार से जबाव मांगा है।
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हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे द्वारा दायर की गई एक जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस ऋतु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार से 3 दिसंबर तक जवाब देने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि रेलवे स्टेशन से लगे गौला क्षेत्र में रेलवे, वन विभाग और नदी श्रेणी की जमीनों पर बाहर से आए लोग बस गए है और इस सरकारी भूमि को खुर्दबुर्द किया जा रहा है।
याचिका में ये भी कहा गया है कि यहां जो भारत मूल के नागरिक नहीं है वो भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध कब्जे कर चुके हैं। अवैध कब्जों के बारे में याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए हैं कि कैसे ये सरकारी जमीन दस रु सौ रु के स्टांप पेपर पर बिक रही है।
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कोर्ट में ये भी बताया गया है कि इन अवैध कब्जेदारों को किस तरह राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है और यहां बनाए गए वोटो को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन की सबसे बड़ी समस्या का कारण सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बसे हुए लोग हैं जो कि बाहरी राज्यों से यहां श्रमिक के रूप में आए और फिर यही राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करके जमीनों की खरीद फरोख्त करने लगे।
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