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शिक्षक दिवस 2024: महर्षि वशिष्ठ से लेकर स्वामी विवेकानंद तक, ऐसे ही भारत को नहीं कहा गया ‘विश्वगुरु’

Published by
Masummba Chaurasia

शिक्षक दिवस के अवसर पर जब हम अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं तो यह भी आवश्यक है कि हम उस परंपरा को भी याद करें जिसने भारत को ‘विश्वगुरु’ का सम्मान दिलाया। भारत की यह पहचान केवल वर्तमान युग में नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही एक अद्वितीय परंपरा का परिणाम है। हमारे महान ऋषियों और विचारकों ने दुनिया को न केवल ज्ञान का प्रकाश दिया, बल्कि मानवीय मूल्यों, नैतिकता और धर्म के आधार पर एक नई दिशा भी दी है। गुरु अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इनमें से कुछ गुरुओं के योगदान को हम आज के इस विशेष दिन पर याद करते हैं।

स्वामी विवेकानंद: विश्व को भारतीय संस्कृति का परिचय कराने वाले

स्वामी विवेकानंद वह महान विद्वान थे जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को भारतीय संस्कृति और दर्शन से परिचित कराया। 1893 में शिकागो में विश्व धर्म महासभा में उनके ऐतिहासिक भाषण ने भारत की आत्मा को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया था। उन्होंने वेदांत और योग के सिद्धांतों को पश्चिम में फैलाया और भारत को आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित किया। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती हैं।

गौतम बुद्ध: करुणा और अहिंसा के प्रतीक

गौतम बुद्ध, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक थे उन्होंने दुनिया को अहिंसा, करुणा और सत्य की शिक्षा दी। उन्होंने समता और मैत्री का संदेश दिया, जो आज भी प्रासंगिक है। बुद्ध के धर्म का प्रभाव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया और उसके बाहर भी फैला है। उनकी शिक्षाएं मानवता के लिए शांति और सद्भाव का संदेश बनकर आई हैं।

चाणक्य: राजनीति और अर्थशास्त्र के महान ज्ञाता

चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के महान विचारक थे। उनकी कृति ‘अर्थशास्त्र’ ने प्रशासन, राजनीति और कूटनीति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपने नीति-शास्त्र के माध्यम से भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का मार्ग दिखाया।

महर्षि वाल्मीकि: रामायण के रचयिता और आदर्श शिक्षक

महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ कहा जाता है, जिन्होंने ‘रामायण’ की रचना की। उनकी यह कृति केवल एक महाकाव्य नहीं है, बल्कि जीवन के मूल्यों और आदर्शों का पाठ भी है। वाल्मीकि ने अपने जीवन के अनुभवों के माध्यम से यह संदेश दिया कि ज्ञान और नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही सच्ची मानवता प्राप्त की जा सकती है।

महर्षि वशिष्ठ: वेदों के ज्ञाता और आदर्श गुरु

महर्षि वशिष्ठ, को वेदों और धर्मशास्त्रों का अद्वितीय ज्ञान था। वह राजा दशरथ के राजगुरु थे और भगवान राम के भी गुरु रहे। वशिष्ठ जी ने जीवन में संयम, धैर्य और ज्ञान की महत्ता को स्थापित किया और अपने शिष्यों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी।

भारत की यह गुरु परंपरा हमें यह सिखाती है कि शिक्षा केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें नैतिकता, सत्य और मानवता के मूल्यों का भी विकास होता है। महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, चाणक्य, स्वामी विवेकानंद और गौतम बुद्ध जैसे महान गुरुओं की शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं और हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की दिशा दिखाती हैं। शिक्षक दिवस के इस अवसर पर, हम इन महान गुरुओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।

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