देश के सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर पिछले साल 13वां स्थान प्राप्त करने वाले सूरत शहर ने ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024’ के तहत देश के 131 शहरों को पीछे छोड़ प्रथम स्थान हासिल कर लिया है। इस सर्वेक्षण में डायमंड सिटी को 200 अंकों में से 194 अंक मिले हैं। जिसके लिए सूरत को 1.5 करोड़ का इनाम, ट्रॉफी और सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2024’ में सूरत ने देशभर के 131 शहरों को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल कर शहर और राज्य को गौरवान्वित किया है। सबसे तेजी से बढ़ते शहर होने के अलावा, सूरत वर्ष 2023-2024 में पीएम10 में 1.71% की महत्वपूर्ण कमी हासिल करने में कामयाब रहा है। पिछले साल 2023 में हुए ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण’ में सूरत शहर को 13वां और इंदौर को पहला स्थान मिला था। 2023 में सूरत नगर निगम ने सुविधाओं की कमी, उपायों और त्रुटियों को दूर करने जैसे गहन कार्य करके इस वर्ष एक बड़ी छलांग लगाई है और निर्धारित कुल 200 में से 194 अंक हासिल करके सर्वेक्षण में पहली रैंक हासिल की है।
सूरत की इस उपलब्धि के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर’ पुरस्कार के साथ 1.5 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि 07 सितंबर को जयपुर में राष्ट्रीय मिशन कार्यक्रम के तहत सूरत के मेयर और म्युनिसिपल कमिश्नर को प्रदान की जाएगी।
सूरत नगर निगम ने 5,000 करोड़ की परियोजनाएं की लागू
सूरत नगर निगम ने लगभग रु 5,000 करोड़ की विभिन्न परियोजनाएं लागू की हैं। जिसमें लगभग 4000 मीट्रिक टन धूल को मैकेनिकल स्वीपर के माध्यम से सड़क से हटाया जाता है। 100% घरों में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के लिए पारंपरिक वाहनों के बजाय 35% ई-वाहनों का उपयोग किया जाता है। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में सालाना करीब 7000 मीट्रिक टन की कमी आई है। नागरिकों को प्रोत्साहित करने के हिस्से के रूप में कर दरों में लाभ देकर कुल 50 विद्युत चार्जिंग स्टेशन, स्वचालित परीक्षण स्टेशन और आवश्यक बुनियादी सुविधाएं बनाई गई हैं। विश्व संसाधन संस्थान के सहयोग से, स्वच्छ निर्माण दिशानिर्देशों का पालन करके प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को कम करने और निर्माण और विध्वंस कचरे का प्रबंधन करने के लिए कुल 280 परिचालन परियोजनाएं लागू की गई हैं।
सार्वजनिक परिवहन में ई-बस लगाई गई
सूरत में सार्वजनिक परिवहन के लिए 600 ई-बसों के कुल लक्ष्य के मुकाबले पारंपरिक बसों के बजाय 580 ई-बसें तैनात करके, 114 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस नेटवर्क ने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को लगभग 66 मीट्रिक टन प्रति वर्ष कम कर दिया है।
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