महिला अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करने वाली कांग्रेस ने अपनी ही पार्टी की महिला नेता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वैसे यह नई बात नहीं है क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले भी राधिका खेड़ा ने शोषण का आरोप लगाते हुए ही पार्टी छोड़ी थी। मगर इस बार मामला और भी गंभीर है। वह इसलिए क्योंकि इस बार केरल की महिला नेता ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाए हैं।
यह मामला इसलिए भी और गंभीर है क्योंकि अभी तक “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का नारा देने वाली प्रियंका गांधी गैर-भाजपा शासित प्रदेशों मे हो रहे महिला अत्याचरों पर चुप थीं, मगर अब तो वे स्वयं ही वायनाड सीट से लड़ने जा रही हैं, अर्थात केरल से चुनाव लड़ने जा रही हैं, और उसी प्रदेश की महिला नेता को केवल यह कहने पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है कि “केवल फिल्मों में ही नहीं महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए कांग्रेस में भी कीमत चुकानी पड़ती है!”
दरअसल इन दिनों केरल में मलयाली फिल्म उद्योग में कास्टिंग काउच को लेकर जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट पर हंगामा मचा हुआ है। इसमें सत्ताधारी यूडीएफ के विरोध में कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है, और अब उसने अपनी ही पार्टी की महिला नेता को यह कहने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया है कि कॉंग्रेस पार्टी में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कॉंग्रेस के नेताओं पर महिलाओं के यौनशोषण का आरोप लगा हो, जब कॉंग्रेस के नेताओं पर यह आरोप लगा हो कि वे महिला नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए कीमत मांगते हैं। ऐसे आरोप आज से नहीं लग रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि महिलाओं के लिए लड़ने का वादा और दावा दोनों ही करने वाली कॉंग्रेस अपनी ही पार्टी की महिला नेताओं के खिलाफ मौन रह जाती है और मौन ही नहीं रहती है, वह उनपर ही कार्यवाही करती है। जैसी अभी सिमी रोज़वेल के साथ केरल में की है।
एर्नाकुलम की कांग्रेस की नेता सिमी रोजबेल ने शनिवार को यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि पार्टी के भीतर महिलाओं को शोषण का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस में पार्टी में आगे बढ़ने के लिए माहिला सदस्यों को अवसर प्राप्त करने के लिए अक्सर शोषण का सामना करना पड़ता है। रोज़वेल ने पार्टी के नेता वीडी सतीशन सहित कई बड़े नेताओं पर आरोप लगाए और यह कहा कि केवल पुरुष नेताओं को खुश करके ही महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच सकती हैं।
इसको लेकर केरल की महिला कांग्रेस इकाई से यह आवाज उठी थी कि रोज़बेल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। क्योंकि उनके कारण कई महिला नेताओं पर प्रश्न उठ गए हैं। वैसे कांग्रेस की हर आवाज उठाने वाली महिला नेता को इसी तरह बाहर कर दिया जाता है या फिर हत्या कर दी जाती है। महिलाओं को ‘यूज’ करके हत्या भी कर दी जाती है। राजस्थान का भँवरी देवी हत्याकांड सभी को याद होगा, जिसमें राजस्थान कांग्रेस के नेताओं का नाम सामने आया था।
इतना ही नहीं, हिन्दी लेखिका रमणिका गुप्ता की आत्मकथा में भी कांग्रेस के नेताओं के काले किस्सों को बताया गया है। दलित साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपना नाम करने वाली रमणिका गुप्ता ने राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई थी। चूंकि रमणिका गुप्ता राजनीति के उस दौर में राजनीति मे प्रवेश करती हैं, जब कांग्रेस ही मुख्य दल हुआ करती थी और या फिर यह कहें कि एकमात्र दल हुआ करती थी, तो उन्होनें कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं के रंगढंग भी बहुत निकटता से देखे थे।
उन्होंने कांग्रेस के एक नेता के विषय में यहां तक लिखा था कि एक नेता उनके समक्ष निर्वस्त्र होकर आ गए थे। उनकी आत्मकथा को काफी बोल्ड माना जाता है और ऐसे तमाम प्रकरणों पर जिनमें उन्होंने यह लिखा है कि फिल्मों और राजनीति में दोनों में ही यौन आकर्षण और अभिव्यक्ति की शक्ति आवश्यक है। आपहुदरी में रमणिका गुप्ता से लेकर केरल की रोजवेल तक कई नेत्रियों ने कांग्रेस में महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण पर बात की है। मगर कांग्रेस के नेताओं पर कार्रवाई होने के स्थान पर महिला नेताओं पर ही कदम उठाए गए। जबकि यह कांग्रेस ही है, जहां पर एक परिवार की महिलाओं का दबदबा रहा। फिर चाहे वे इंदिरा गांधी हों, सोनिया गांधी या फिर अब प्रियंका गांधी। रमणिका गुप्ता के समय पर इंदिरा गांधी का दबदबा था तो अब जब रोज़वेल ने यह कहा कि कांग्रेस पार्टी में महिलाओं के आगे बढ़ने का रास्ता देह से होकर ही गुजरता है, उस समय कांग्रेस की प्रियंका गांधी का दबदबा है। वे केरल से वायनाड़ से चुनाव लड़ने जा रही हैं और शीघ्र ही केरल जाकर अपने अभियान की कमान संभालेंगी।
परंतु फिर भी प्रश्न यही है कि क्या “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का नारा देने वाली प्रियंका और पूरी कांग्रेस अपनी महिला नेता के साथ खड़ी होगी या नहीं? वैसे सिमी रोज़वेल पर कार्रवाई करके कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पार्टी के भीतर अपनी महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण में केवल शोषण करने वालों का साथ देगी महिलाओं का नहीं!
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