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निर्देशक अनुभव सिन्हा के ‘दयालु’ आतंकवादी !

by रितेश कश्यप
Sep 2, 2024, 06:52 pm IST
in मनोरंजन
वेब सीरीज का बैनर, अपहृत विमान के रास्ते और दाईं ओर पायलट देवी शरण और सृंजय चौधरी द्वारा लिखी गई पुस्तक का आवरण पृष्ठ

वेब सीरीज का बैनर, अपहृत विमान के रास्ते और दाईं ओर पायलट देवी शरण और सृंजय चौधरी द्वारा लिखी गई पुस्तक का आवरण पृष्ठ

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पूरी दुनिया को पता है कि 1999 में विमान का अपहरण जिहादी आतंकवादियों ने किया था, लेकिन फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने अपनी वेब सीरीज में आतंकवादियों के नाम भोला और शंकर रखे हैं। यही नहीं, उन्होंने जिहादी आतंकवादियों को बड़ा ‘दयालु’ बताने का प्रयास किया है। इधर ये भी खबर आ रही है कि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड को दिल्ली में मंगलवार को समन किया है और उनसे ‘IC 814’ के कथित विवादास्पद पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।

भारत—विरोधी तत्वों के दिमाग में हिंदुओं को बदनाम करने के नए—नए विचार आते रहते हैं। ऐसे तत्व बहुत ही निर्लज्जता के साथ झूठे विमर्श फैलाते हैं। इसका सबसे सटीक उदाहरण है विमान (IC 814) के अपहरण पर बनी वेब सीरीज, जिसे NETFLIX पर देखी जा सकती है। बता दें कि 24 दिसंबर, 1999 को इस्लामी आतंकवादियों ने काठमांडू से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद विमान (IC 814) का अपहरण कर लिया था और उसे कंधार ले गए थे। यात्रियों में डर पैदा करने के लिए जिहादियों ने एक यात्री की हत्या भी कर दी थी। ये जिहादी विमान को छोड़ने के एवज में तीन खूंखार आतंकवादी मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर को छोड़ने की मांग रखी थी। विमान पूरे आठ दिन तक कंधार हवाई अड्डे पर खड़ा रहा था। इस दौरान नई दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आवास के बाहर विमान यात्रियों के परिजन जम गए थे। वे लोग किसी भी हालत में उन यात्रियों को आतंकवादियों से छुड़ाने की गुहार लगा रहे थे। मीडिया में 24 घंटे यही खबर चल रही थी। अंतत: भारत सरकार जन दबाव में आ गई और तत्कालीन रक्षा मंत्री जसवंत सिंह एक विशेष विमान से तीनों आतंकवादियों को लेकर कंधार पहुंचे और इस तरह अपहृत विमान और उसमें सवार लोगों को भारत लाया गया।

इस पूरे घटनाक्रम पर ‘IC 814: द कंधार हाईजैक’ नाम से वेब सीरीज बनी है। इसमें 6 एपिसोड हैं। यह ‘फ्लाइट इन्टू फियर’ नाम की पुस्तक पर आधारित है, जिसे उस विमान के कप्तान रहे देवी शरण और सृंजय चौधरी ने लिखी है। वेब सीरीज के निदेशक अनुभव सिन्हा हैं। अनुभव ने इसमें आतंकवादियों के नाम भोला और शंकर रखे हैं लेकिन उनके असली नाम का जिक्र तक करना उचित नही समझा। जबकि दुनिया जानती है कि उस विमान का अपहरण जिहादी आतंकवादियों ने किया था। इसलिए वेब सीरीज मेें भी नाम मुसलमान वाले ही होने चाहिए, लेकिन निदेशक ने जानबूझकर आतंकवादियों के असली नाम छुपा रखे हैं। ऐसा लगता है कि अनुभव सिन्हा को उस किताब में वह नहीं मिला, जो वेब सीरिज में दिखाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसके जरिए वह दिखाया है, जो वास्तव में घटी ही नहीं है। इस सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, सुशांत सिंह, दीया मिर्जा और विजय वर्मा अहम किरदार के रूप में हैं। इन लोगों की विचारधारा सभी को पता है। इसलिए इस वेब सीरीज के पीछे की मंशा को समझा जा सकता है।

जमकर हुई है बदमाशी

विमान का अपहरण करने वाले सारे आतंकवादी (इब्राहिम अख्तर, शाहिद अख्तर, सन्नी अहमद, ज़हूर मिस्त्री और शाकिर) मुसलमान थे, लेकिन वेब सीरीज में आतंकवादियों के नाम भोला और शंकर, डॉक्टर, बर्गर और चीफ जैसे नाम दिखाए गए हैं। यानी हिंदू नाम। इतना ही नहीं, वेब सीरीज में आतंकवाद और आतंकवादियों का महिमामंडन करने के साथ ही उसके कथित मानवीय रूप को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि एक आतंकी बेरहमी से एक 27 वर्षीय व्यक्ति रुपेन कत्याल की हत्या करने के बाद भी दयालु प्रवृत्ति का था। यह भी दिखाया है कि एक आतंकवादी हवाई जहाज की एक क्रू मेंबर को उल्टियां आने पर उसकी तकलीफ से दुखी हो जाता है। यही नहीं, एक आतंकवादी विमान के कप्तान पर किए गए हमले के लिए उससे माफी भी मांगता है, और भविष्य में भी उसकी मदद की बात कहता है। हालांकि इस मामले में ये भी कई लोगों का कहना है कि आतंकवादियों ने लोगों को भ्रमित करने के लिए हिन्दू नाम रखे थे लेकिन सवाल ये भी तो उठता है कि इतने गहन शोध के बाद भी उनके असली नाम इस पूरे सीरीज में क्यों नही बताए गए।

वेब सीरीज में यह भी बताने का प्रयास किया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार, पंजाब में एनडीए की सरकार और सभी सुरक्षा एजेंसियों की लापरवाही से ही इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई। यह भी बताया गया है कि अटल सरकार बहुत ही कमजोर सरकार थी। उन्हें किसी भी निर्णय पर अपने सहयोगी दलों पर ही निर्भर होना पड़ता था। सीरीज में यह भी बताने का प्रयास किया गया है कि पंजाब की तत्कालीन सरकार ने समय रहते सुरक्षा एजेंसियों को कार्रवाई करने की अनुमति नहीं दी। इसलिए लगभग 45 मिनट तक अमृतसर में रुकने के बाद भी विमान को आतंकवादी कंधार ले गए। दूसरी तरफ जिन तीन आतंकियों छोड़ा जाना था, उनमें से एक आतंकवादी कश्मीर की जेल में बंद था, जिसे वहां की तत्कालीन फारुख अब्दुल्ला सरकार छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन भारत सरकार के दबाव में उसे छोड़ना पड़ा। इसके साथ ही यह भी दिखाने का प्रयास हुआ है कि भारत की खुफिया एजेंसियां बेहद लापरवाह और नाकाम हैं। ये एजेंसियां किसी समस्या के आने के बाद एक—दूसरे पर आरोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने इस पर कहा कि आईसी-814 के अपहरणकर्ता खूंखार आतंकवादी थे, जिन्होंने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाने के लिए उपनाम अपना लिया था। फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा ने उनके गैर-मुस्लिम नाम को आगे बढ़ाकर उनके आपराधिक इरादे को वैध बना दिया। इसका परिणाम ये होगा कि दशकों बाद लोग सोचेंगे कि हिंदुओं ने आईसी-814 का अपहरण किया था। यह न केवल लंबे समय में भारत के सुरक्षा तंत्र को कमजोर करेगा बल्कि एक विशेष समुदाय जो सभी नरसंहारों का जिम्मेदार है, उस दोष भी हटा देगा।

कुल मिलाकर अनुभव सिन्हा इस वेब सीरीज के माध्यम से एक ऐसा विमर्श फैलाना चाहते हैं कि लोगों को लगे कि तत्कालीन केंद्र सरकार चाहती तो विमान का अपहरण ही नहीं होता और जिन आतंकवादियों को छोड़ा गया था, वे जेल में होते। इसके साथ ही अनुभव सिन्हा इस अपहृत विमान के इतिहास को अपने तरीके से दिखा कर यही संदेश देना चाह रहे हैं कि एक तरफ आतंकवादी दयालु भी हो सकते हैं, दूसरी तरफ तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई की सरकार जिसने 176 निर्दोष यात्रियों की जान बचाने में कोई कसर नही छोड़ी, वो सरकार कमजोर भी हो सकती है।

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