मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सरकार बनने के बाद हमने पहली कैबिनेट बैठक रानी दुर्गावती के नाम पर जबलपुर में की थी। जनजातीय क्षेत्र में रानी दुर्गावती बहुत बड़ा नाम है। वे विकास के साथ सुशासन के लिए भी जानी जाती हैं। संयोग से उनकी 500वीं जयंती भी चल रही है। हमारी सरकार का ध्येय वाक्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ है। हर व्यक्ति का आर्थिक विकास हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को रोजगार मिले इसके लिए सरकार भारी, एमएसएमई तथा लघु, कुटीर और हॉर्टिकल्चर उद्योग को बढ़ावा दे रही है। युवा, महिला, किसान, गरीब, इन चार वर्गों के बीच काम करना है। इन वर्गों के लिए हमने मिशन मोड में योजना बनाई है। हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, आर्थिक विकास होगा तो स्वाभाविक रूप से गरीबों को उसका लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि और पशुपालन भी बड़े स्तर पर होता है। सरकार ने दूध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। गेहूं और दूसरी फसलों की तरह दूध उत्पादन पर भी किसानों को बोनस देने की योजना है। सरकार समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। हालांकि सरकार को सत्ता में आए अभी 7-8 महीने ही हुए हैं। लेकिन सरकार बनने के दो माह के भीतर ही उज्जैन में निवेशक सम्मेलन किया। उज्जैन के अलावा प्रदेश में इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे और भी नगर हैं। ग्वालियर के बाद सागर और रीवा में भी ऐसे आयोजन किए जाएंगे। उन्होंने राज्य का बजट 7 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है। अभी राज्य का बजट लगभग 3 लाख 10 हजार करोड़ का है। प्रदेश के 17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को सरकार हर तरह के अवसर उपलब्ध करा रही है।
उन्होंने गुरु पूर्णिमा, गुड़ी पड़वा, रक्षा बंधन और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे त्योहारों की महत्ता बताते हुए इन्हें उत्सव बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कोई यह सोचता है कि मनमानी करेगा, कानून का पालन नहीं करेगा, अपनी व्यवस्थाओं से जोड़कर चलेगा और बहुसंख्यक समाज पर राज करने की इच्छा भी रखेगा, तो यह सब नहीं चलेगा। कानून सबके लिए समान है। अगर बहुसंख्यक भाई-बहन कानून का पालन करते हैं तो बाकी लोगों को भी इसका पालन करना पड़ेगा। किसी को विशेष छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने तीन बड़ी नदियों चंबल, काली सिंध व पार्वती को ‘नदी जोड़ो अभियान’ से जोड़ने की बात भी कही।
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