नई दिल्ली: धर्म और आस्था की गहरी जड़ें भारत के समाज में हमेशा से देखने को मिलती हैं। इसी आस्था का एक अनूठा उदाहरण ग्वालियर से सामने आया है, जहां एक महिला ने अपनी जीवन बीमा पॉलिसी में भगवान को ही नॉमिनी बना दिया। ग्वालियर की माधुरी सक्सेना ने अपने जीवन की महत्वपूर्ण बीमा पॉलिसी में अपने किसी पारिवारिक सदस्य या रिश्तेदार को नॉमिनी नहीं बनाया, बल्कि भगवान अचलेश्वर महादेव को अपना नॉमिनी चुना।
माधुरी सक्सेना धार्मिक प्रवृत्ति की थीं, जिनकी भगवान अचलेश्वर महादेव के प्रति अपार भक्ति थी। उनके कोई संतान नहीं थी और शायद इसी कारण उन्होंने अपनी जीवन बीमा पॉलिसी में भगवान को नॉमिनी बनाकर अपनी आस्था को सर्वोच्च स्थान दिया। माधुरी ने 28 मार्च 2017 को बीमा पॉलिसी ली थी। इस पॉलिसी का उद्देश्य आमतौर पर परिवार को किसी अनहोनी की स्थिति में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना होता है, लेकिन माधुरी ने इसे भगवान को समर्पित कर दिया।
19 मार्च 2022 को माधुरी सक्सेना का निधन हो गया। उनके निधन के बाद, जब बीमा की रकम का सेटलमेंट किया गया, तब इस अनोखी भक्ति का मामला सामने आया। बीमा सलाहकार सुषमा बंसल ने मंदिर न्यास के अध्यक्ष से संपर्क किया और बीमे की राशि मंदिर के खाते में जमा कराने की प्रक्रिया पूरी की। पॉलिसी के अनुसार, बीमा की पूरी राशि, जो कि 7 लाख 42 हज़ार 982 रुपये थी, मंदिर के कोष में जमा कर दी गई। माधुरी सक्सेना के इस कदम ने समाज में एक नई मिसाल कायम की है। उनकी इस अनोखी भक्ति और समर्पण की हर जगह सराहना हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना की काफी चर्चा हो रही है, जहां लोग इसे धर्म और आस्था का एक नया आयाम मान रहे हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे लोग अपनी धार्मिक आस्था और भक्ति को अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल करते हैं।
इस पूरे प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि भक्ति का मार्ग अनोखा और असीम हो सकता है, और भगवान के प्रति समर्पण किसी भी रूप में व्यक्त किया जा सकता है। माधुरी सक्सेना की यह भक्ति और आस्था का उदाहरण न सिर्फ ग्वालियर बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है।
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