डिजिटल दुनिया में पिछले दो दशक से लोगों द्वारा तैयार किए गए कन्टेन्ट (यूजर जेनरेटेड कन्टेन्ट) की क्रांति जारी है। कन्टेन्ट क्रिएटर (सामग्री निर्माता) के नाम से एक नया पेशा स्थापित हो चुका है। जब बात वीडियो कन्टेन्ट की आती है तो यूट्यूब का नाम बरबस याद आ जाता है जैसे यूट्यूब आनलाइन वीडियो का पर्यायवाची शब्द हो। हालांकि अधिकांश लोग लगभग रोजाना ही इसका प्रयोग करते हैं और इसके बारे में काफी कुछ जानते हैं। लेकिन फिर भी अगर यूट्यूब की परिभाषा देने की जरूरत पड़े तो हम कहेंगे कि यह गूगल का ऐसा वीडियो-शेयरिंग मंच है जहां कोई भी सामान्य व्यक्ति अपने वीडियो अपलोड कर सकता है, देख सकता है, उन्हें पसंद-नापसंद कर सकता है, उन पर प्रतिक्रिया (टिप्पणियां) कर सकता है, दूसरों के साथ शेयर (साझा) कर सकता है और उन्हें खोज सकता है। इनमें से कुछ कामों के लिए यूट्यूब पर खाता बनाने की जरूरत होती है लेकिन कुछ में नहीं। दुनिया के लगभग दो अरब लोग हर महीने यूट्यूब का प्रयोग करते हैं।
आज जो लोग चुटकियों में यूट्यूब के जरिए दूसरे लोगों तक अपना कन्टेन्ट पहुंचा देते हैं और जो लोग यहां पर हर तरह का कन्टेन्ट देख लेते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होगा कि इस प्लेटफॉर्म ने उनके लिए किस किस्म की तकनीकी और कारोबारी क्रांति की है। यूट्यूब से पहले अगर आप अपने वीडियो हजारों-लाखों लोगों तक पहुंचाना चाहते थे तो उसका एक ही तरीका था-टेलीविजन, जहां यह अवसर दुनिया के कुछ हजार या कुछ लाख लोगों के पास था। एक टेलीविजन चैनल शुरू करने के लिए करोड़ों के निवेश की जरूरत थी और अनगिनत कानूनी व नियामकीय मंजूरियों की भी। टेलीविजन स्टूडियो की स्थापना करोड़ों रू. का काम था। फिर बड़ी संख्या में कर्मचारियों की आवश्यकता थी। पर यूट्यूब और उसके जैसे दूसरे मंचों ने एक साधारण से साधारण व्यक्ति को भी वह ताकत दे दी है कि वह अपने कार्यक्रम का किसी सार्वजनिक मंच पर प्रसारण कर सके और किसी टीवी चैनल से भी अधिक लोगों तक पहुंच सके-एक भी पैसा खर्च किए बिना। न निर्माण पर, न प्रसारण पर, न सामग्री को इंटरनेट पर रखने के लिए, न उसके प्रचार के लिए। आपके लिए सब कुछ पहले से तैयार और हमेशा हाजिर।
याद कीजिए, सीधा (लाइव) प्रसारण करने के लिए कभी टेलीविजन चैनलों को किस किस्म के खर्चीले इंतजाम करने पड़ते थे, कैसी जटिल तकनीकों का प्रयोग करना होता था और कितने बड़े पैमाने पर व्यक्तियों तथा मशीनरी को तैनात करना पड़ता था? आज कोई भी सामान्य व्यक्ति न सिर्फ यूट्यूब पर अपने वीडियो अपलोड कर सकता है बल्कि उसी तरह से सीधा प्रसारण कर सकता है जैसे खेलों के टेलीविजन चैनल किया करते थे या दूरदर्शन गणतंत्र दिवस परेड का सीधा प्रसारण करता था। इतना ही नहीं, जिस तरह से टेलीविजन चैनल दूसरों के विज्ञापन दिखाते हैं और धन अर्जित करते हैं, वैसा ही करने का मौका यूट्यूब आपके और हमारे जैसे आम कन्टेन्ट क्रिएटरों को उपलब्ध करा रहा है- वह भी खुद विज्ञापन इकट्ठा करने की मशक्कत किए बिना। अनगिनत लोगों ने इस प्लेटफॉर्म को अपनी आय का प्रधान माध्यम बना लिया है।
यूट्यूब की विशेषताओं में से एक उसका वैश्विक प्रसार है तो दूसरी उसमें मौजूद विविधतापूर्ण सामग्री है। आप जिस किसी विषय की कल्पना कर सकते हैं उस पर कोई न कोई वीडियो यूट्यूब पर मिल ही जाएगा जिसे खोजना तथा देखना बहुत आसान है। समाचार, विश्लेषण, शिक्षा, कौशल, धर्म, संगीत, ड्रामा, कॉमेडी, मोटिवेशनल चर्चाएं, तकनीक, एनिमेशन, कारोबार, खेल, रोजगार, फैशन, कानून, लेखा, शेयर बाजार, सामुदायिक गतिविधियां, पर्यटन, गांव-कस्बे, खेती-किसानी और न जाने कितनी दर्जन श्रेणियों में सामग्री यहां पर उपलब्ध है। और तो और, उसने व्लॉग और शॉर्टस जैसी नई विधाओं को भी जन्म दिया है। व्लॉग में लोग अपनी और अपने आसपास की गतिविधियों, अनुभवों आदि को रिकॉर्ड करके दूसरों के साथ बांटते हैं तो शॉर्ट्स में संक्षिप्त वीडियो का प्रयोग किया जाता है। हमने इस पृष्ठभूमि की चर्चा इसलिए की ताकि आप भी एक पल के लिए यह सोचें कि इन सबके भीतर से आपके लिए कौन- सी संभावनाएं निकल सकती हैं?
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक पद पर कार्यरत हैं)।
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