उस पांच सितारा आडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी। प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य-सा युगल याचक दृष्टि से उन्हें देखता हुआ पास आया और बोला, ‘साहब, यहां से मुख्य सड़क तक कोई साधन उपलब्ध नहीं है, मेहरबानी करके वहां तक लिफ्ट दे दीजिए, आगे हम बस पकड़ लेंगे।’
रात के साढ़े ग्यारह बजे प्रोफेसर साहब ने गोद मे बच्चा उठाये इस युगल को देख अपने ‘तात्कालिक कालजयी’ भाषण के प्रभाव में उन्हें अपनी कार में बिठा लिया। ड्राइवर कार दौड़ाने लगा ।
याचक जैसा वह कपल अब कुटिलतापूर्ण मुस्कराहट से एक दूसरे की आंखों में देख अपना प्लान एक्जीक्यूट करने लगा। पुरुष ने सीट के पॉकेट मे रखे मूंगफली के पाउच निकालकर खाना शुरू कर दिया बिना प्रोफेसर से पूछे /मांगे।
लड़की भी बच्चे को छोड़ कार की तलाशी लेने लगी। एक शानदार ड्रेस दिखी तो उसने झट से उठा ली और अपने पर लगा कर देखने लगी ।
प्रोफेसर साहब अब सहन नहीं कर सकते थे। ड्राइवर से बोले, गाड़ी रोको ,लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी नही रोकी बस एक बार पीछे पलटकर देखा। प्रोफेसर को झटका लगा, अरे ये कौन है उनके ड्राइवर के वेश में? वे तीनों वहशियाना तरीके से हंसने लगे, प्रोफेसर साहब को अपने इष्ट देव याद आने लगे। थोड़ा साहस एकत्रित करके प्रोफेसर साहब ने शक्ति प्रयोग का ‘अभ्यासहीन’ प्रयास करने का विचार किया लेकिन तब तक वह पुरुष अपनी जेब से एक लाइटर जैसी चीज निकाल चुका था और उसका एक बटन दबाते ही 4 इंच का धारदार चाकू बाहर आ चुका था। प्रोफेसर साहब की क्रांति समयपूर्व ही गर्भपात को प्राप्त हुई।
प्रोफेसर समझ चुके थे कि आज कोई बड़ी अनहोनी निश्चित है सो उन्होंने खुद ही अपना पर्स निकालकर सारे पैसे उस व्यक्ति के हाथ में थमा दिये। लेकिन वह व्यक्ति अब उनके आभूषणों की तरफ देखने लगा, प्रोफेसर साहब ने दुखी मन से अपनी अंगूठियां, ब्रेसलेट और सोने की चेन उतार के उसके हाथ में धर दी। अब वह व्यक्ति उनके गले में एक और लॉकेट युक्त चैन की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। प्रोफेसर साहब याचनापूर्वक बोले- इसे छोड़ दो प्लीज, यह मेरे ‘पुरुखों की निशानी’ है जो कुल परंपरा से मुझ तक आई है। इसकी मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक महत्ता है। लेकिन वह लुटेरा कहां मानने वाला था, उसने आखिर वह निशानी भी उतार ही ली।
बिना प्रोफेसर साहब के पता बताए वे लोग उनके आलीशान बंगले के बाहर तक पहुंच गए थे।
युवक बोला,‘लो आ गया घर, ऐसे ढेर सूखे मेवे, कपड़े , पैसा और प्रोफेसर साहब की …….
उसकी आंखों मे आई धूर्ततापूर्ण बेशर्म चमक ने शब्द के अधूरेपन को पूर्णता दे दी ।
प्रोफेसर साहब अब पूरे परिवार की सुरक्षा एवं घर में पड़े अथाह धन-धान्य को लेकर भी चिंतित हो गये। उनका रक्तचाप उछाल मारने लगा, लेकिन करें भी तो क्या?
लगे गिड़गिड़ाने, भैया, मैंने आपको आपत्ति में देखकर शरण दी और आप मेरा ही इस तरह शोषण कर रहे हैं, यह अनुचित है। ईश्वर का भय मानिए, यह निर्दयता की पराकाष्ठा है। अब तो छोड़ दीजिए मुझे भगवान के लिए।
प्रोफेसर फूट फूट कर रोने लगे। वे पति-पत्नी अपना बच्चा लेकर कार से उतर गये और वह ड्राइवर भी। उनके द्वारा लिया गया सारा सामान उन्होंने वापस प्रोफेसर साहब के हाथ में पकड़ाया और बोले, ’क्षमा कीजिएगा सर! रोहिंग्या मुसलमानों के विषय में शरणागत वत्सलता पर आज आपके द्वारा उस आडिटोरियम मे दिए गए ‘अति भावुक व्याख्यान’ का तर्कसंगत शास्त्रीय निराकरण करने की योग्यता हममें नहीं थी अत: हमें यह स्वांग रचना पड़ा।
‘आप जरा खुद को भारतवर्ष और हमें रोहिंग्या समझ कर इस पूरी घटना पर विचार कीजिए और सोचिये कि आपको अब क्या करना चाहिए इस विषय पर।’
वो मूंगफली नहीं इस देश का अथाह प्राकृतिक संसाधन है जिसकी रक्षार्थ यहां के सैनिक अपना उष्ण लाल लहू बहाकर करते हैं सर, मुफ्त नहीं है यह।
वो आपकी बेटी/बेटे की ड्रेस मात्र नहीं है, इस देश के नागरिकों के स्वप्न हैं भविष्य के जिसके लिए यहां के युवा परिश्रम का पुरुषार्थ करते हैं, मुफ्त नहीं है यह।
आपकी बेटी / पत्नी मात्र नारी नहीं है, देश की अस्मिता है सर जिसे हमारे पुरुखों ने खून के सागर बहा के सुरक्षित रखा है , खैरात में बांटने के लिए नहीं है यह।
आपका ये पर्स अर्थव्यवस्था है सर इस देश की, जिसे करोड़ों लोग अपने पसीने से सींचते हैं, मुफ्त नहीं है यह।
और आपके पुरुखों की निशानी यह चैन मात्र सोने का टुकड़ा नहीं है सर, अस्तित्व है हमारा, इतिहास है इस महान राष्ट्र का, जिसे असंख्य योद्धाओं ने मृत्यु की बलिवेदी पर ढेर लगाकर जीवित रखा है। मुफ्त तो छोड़िए, इसे किसी ग्रह पर कोई वैज्ञानिक भी उत्पन्न नहीं कर सकता।
कुछ विचार कीजिये सर! कौन है जो खून चूसने वाली जोंक को अपने शरीर पर रहने की अनुमति देता है , एक बुद्धिहीन चौपाया भी तत्काल उसे पेड़ के तने से रगड़ कर उससे मुक्ति पा लेता है।
उस युवक ने वह लाइटर जैसा रामपुरी चाकू प्रोफेसर साहब के हाथ में देते हुए कहा, यह मेरी प्यारी बहन जो आपकी पुत्री है, उसे दे दीजिएगा सर, क्योंकि अगर आप जैसे लोग रोहिंग्या को सपोर्ट देकर इस देश में बसाते रहे तो किसी न किसी दिन ऐसी ही किसी कार में आपकी बेटी को इसकी आवश्यकता जरूर पड़ेगी।
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