यूनुस भले कहें कि सभी देशवासी एक परिवार जैसे रहेंगे, लेकिन वे उन मजहबी उन्मादी तत्वों को हिरासत में लेने की बात नहीं करते जिन्होंने वर्षों से अपने पड़ोस रहते आए हिन्दुओं को आतंकित किया था, उन्हें मारा था, मंदिर जलाए थे। हिन्दू पहले भी वहां अल्पसंख्यक थे और आज उनकी संख्या तो पहले से कहीं ज्यादा अल्प हो चुकी है। हसीना सरकार ने जरूर हिन्दुओं की थोड़ी—बहुत रक्षा की हुई थी। लेकिन आज तो सेना, पुलिस सब कट्टरपंथी तत्वों की बनाई सरकार की है।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट करने के बाद भी जिहादी सोच के मुसलमानों की हिन्दू विरोधी नफरत कम नहीं हुई है। गत 5 अगस्त के बाद से उस देश में हिन्दुओं को जिस प्रकार चुन—चुनकर निशाना बनाया गया, उनकी हत्याएं की गईं, गांव जलाए गए, महिलाओं से दुर्व्यवहार किया वह असाधारण था।
लेकिन इतने दिन बाद, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सौहार्द कायम करने के वादे कोरे ही नजर आए हैं। तिस पर जन्माष्टमी के दिन यूनुस ने एक बार फिर वही वादा कर हिन्दुओं की पीड़ा का उपहास ही उड़ाया है। सवाल है कि क्या यूनुस के जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन करने से अब हिन्दुओं को चैन से जीने दिया जाएगा?
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस शपथ लेने के बाद हिन्दुओं के घावों को सहलाने के लिए विश्वप्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर भी गए थे। मंदिर में हिंदू समुदाय से बात करते हुए उन्होंने उन्हें ढाढस बंधाया था। यूनुस ने तब भी कहा था कि हिन्दू अब निर्भय हो जाएं, सब ठीकक कर दिया जाएगा। लेकिन तब भी छिटपुट घटनाएं देखने में आती रहीं।
इस बार भी वहां जन्माष्टमी का उत्सव तो मन रहा है, पर एकाध प्रमुख मंदिर के छोड़ दें तो आमतौर पर सब बहुत दबा—ढका है। हिन्दुओं ने अपने घर के दायरे में पूजा—अर्चना की और शांति की कामना कर रहे हैं। इसी मौके पर मोहम्मद यूनुस ने एक जन्माष्टमी कार्यक्रम आयोजित किया। उसमें बांग्लादेश के पांथिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिन्दुओं से एक बार फिर ‘दुखी’ स्वर में कहा कि उनके साथ अब कोई भेदभाव नहीं होगा। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार पक्का करेगी कि अब यहां के लोगों के साथ पंथ या राजनीतिक निष्ठाओं की वजह से कोई गलत बर्ताव न किया जाए।
यूनुस के ये शब्द पिछले करीब 20 दिन से उस देश में जो कुछ दिखा है उसके एकदम उलट हैं। वहां हिन्दुओं को उनकी धार्मिक—राजनीतिक आस्था की वजह से ही निशाना बनाया गया। उन्हीं कट्टरपंथी जमात के तत्वों ने यूनुस को नई सरकार में मुख्य सलाहकार बनाया है। यानी जिस धरातल पर यूनुस यह मीठी—मीठी बातें कर रहे हैं, उसे उन्हीं मजहबी तत्वों ने थामा हुआ है।
यूनुस भले कहें कि सभी देशवासी एक परिवार जैसे रहेंगे, लेकिन वे उन मजहबी उन्मादी तत्वों को हिरासत में लेने की बात नहीं करते जिन्होंने वर्षों से अपने पड़ोस रहते आए हिन्दुओं को आतंकित किया था, उन्हें मारा था, मंदिर जलाए थे। हिन्दू पहले भी वहां अल्पसंख्यक थे और आज उनकी संख्या तो पहले से कहीं ज्यादा अल्प हो चुकी है। हसीना सरकार ने जरूर हिन्दुओं की थोड़ी—बहुत रक्षा की हुई थी। लेकिन आज तो सेना, पुलिस सब कट्टरपंथी तत्वों की बनाई सरकार की है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया को दिखाने, सुनाने के लिए यूनुस का बयान कूटनीति भरा है, लेकिन सचाई के धरातल पर खोखला प्रतीत होता है। यूनुस के इस ‘जन्माष्टमी आयोजन’ में बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अध्यक्ष बशुदेब धर मौजूद थे तो ढाका के रामकृष्ण मिशन के प्रमुख स्वामी पूर्णात्मानंद महाराज भी थे। इसमें हिन्दुओं सम्मानित प्रतिनिधि काजोल देबनाथ एवं मोनिंद्र कुमार नाथ के साथ हिंदू समाज के अनेक बड़े नाम आए थे। एक घंटे तक सबने यूनुस को बड़े ध्यान से सुना, लेकिन लौटते वक्त सबके मन में बस यही चल रहा था कि इन बातों में से सच कितनी हैं और दिखावा कितना है। क्या यूनुस हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कुछ कर पाएंगे?
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