देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड इस लिए बनाया है कि मदरसों में इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की भी तालीम दी जाए। बोर्ड मान्यता प्राप्त मदरसों में तो अपना नियंत्रण कर रहा है, लेकिन बिना मान्यता प्राप्त मदरसों पर अपने नियंत्रण में न होने पर कारवाई क्यों नहीं कर पा रहा है? ये बड़ा सवाल है।
रुद्रपुर मदरसे में यौन शोषण पर बोर्ड अध्यक्ष का बयान
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड रुद्रपुर में अवैध मदरसा में छात्रों के यौन शोषण की घटना की कड़ी निंदा और जिला प्रशासन से उस अवैध मदरसे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध करता है। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड, अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी के नेतृत्व में रुद्रपुर क्षेत्र में एक बुरे आचरण वाले मौलाना द्वारा अवैध मदरसा में छात्रों के साथ यौन शोषण की घटना की कड़ी निंदा करता है। यह निंदनीय कृत्य उस विश्वास और मूल्यों का उल्लंघन करता है जिसके लिए मदरसे खड़े हैं और यह धार्मिक शिक्षकों से अपेक्षित नैतिक मानकों का एक गंभीर उल्लंघन है।
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उत्तराखंड मदरसा बोर्ड यह स्पष्ट करता है कि वर्तमान रुद्रपुर मदरसा उसके तहत पंजीकृत नहीं था। बोर्ड जिला प्रशासन से उस अवैध मदरसे के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध करता है। इस गंभीर घटना के जवाब में, बोर्ड ने रुद्रपुर, उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक औपचारिक पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई करते हुए उनसे गहन और त्वरित जांच करने का आग्रह किया है। बोर्ड की मांग है कि आरोपियों पर कानून की सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित किया जाए।
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड, अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने राज्य भर के सभी मदरसों में आचरण और नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए बोर्ड की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बोर्ड अपने संस्थानों के भीतर किसी भी प्रकार के कदाचार या दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षा के लिए एक सुरक्षित और पोषित वातावरण बनाने और बनाए रखने के लिए हर कोई मिलकर काम करे।
जितने पंजीकृत मदरसे उतने ही बिना पंजीकरण के
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अधीन 416 मदरसे पंजीकृत है, बोर्ड का दावा है कि यहां इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ भारत सरकार, राज्य सरकार द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम भी पढ़ाया जा रहा है जिसमे हिंदी, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर आदि की शिक्षा भी दी जा रही है। सरकार द्वारा इन मदरसों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है।
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राज्य में चार सौ से अधिक मदरसे गैर पंजीकृत है, जिन्हें देश विदेश की कट्टर इस्लामिक संस्थाएं चला रही है, जिन पर सरकार का, बोर्ड का कोई नियंत्रण नहीं है। खास बात ये है कि उत्तराखंड में ऐसे ज्यादातर मदरसे सरकारी भूमि पर कब्जे कर बनाए गए है यदि वो पंजीकरण करवाते है तो उन्हें भूमि, भवन, बैंक खाते, सोसाइटी पंजीकरण आदि के दस्तावेज प्रशासन को दिखाने अथवा जमा करवाने होंगे।
इन्ही मदरसों में सामाजिक अपराधों की घटनाएं सामने आ रही है। जिनकी शिकायत आती है वहां जांच पड़ताल शुरू हो जाती है। बाकि बेखौफ चल रहे हैं। खबर है कि यहां बाहरी राज्यों से करीब दो हजार बच्चे ला कर पढ़ाए जा रहे हैं।
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