कर्णावती: गुजरात विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे और अंतिम दिन गुजरात विशेष न्यायालय विधेयक पारित किया गया। कानून अपराधियों को शीघ्र सजा देने और अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के दोहरे उद्देश्य से पेश किया गया था।
विधेयक को पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि कई अपराध गंभीर होते हैं, लेकिन सजा कम होती है। इसलिए ऐसे अपराधों के आरोपी जमानत पर रिहा हो जाते हैं और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। ऐसे अपराधों के माध्यम से आर्थिक रूप से भी मजबूत होते जाते हैं। इतना ही नहीं, उसी पैसे का इस्तेमाल फिर से आपराधिक नेटवर्क बनाने और मुकदमे लड़ने के लिए महंगे वकील नियुक्त करने में किया जाता है। कानून की खामियों का फायदा उठाकर ऐसे आरोपी मालामाल हो जाते हैं और पुलिस व न्याय व्यवस्था असहाय हो जाती है। ऐसा होने से रोकने के दोहरे उद्देश्य से यह कानून लाया गया है।
इस कानून के तहत 3 साल से ज्यादा की सजा हो सकती है। यह कानून शराबबंदी, एनडीपीएस, जीएसटी के तहत अपराध या भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत अपराध पर लागू होता है।
विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान
अधिनियम की धारा (3) के अंतर्गत मामलों के शीघ्र निस्तारण हेतु विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान किया गया है। इन सभी मामलों की कार्यवाही अधिकतम एक वर्ष के भीतर पूरी करनी होगी। अधिनियम की धारा 15 के तहत, ऐसे मामलों में, आरोपी की आपराधिक गतिविधि से अर्जित संपत्ति को सरकार द्वारा जब्त की जा सकती है, और यह जब्ती छह महीने की समय-सीमा के भीतर पूरी करने का भी प्रावधान है। विशेष न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। यदि अभियुक्त को मूल अपराध से बरी कर दिया जाता है, तो संपत्ति वापस करने या संपत्ति की राशि पांच प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ भुगतान करने का प्रावधान किया गया है।
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