वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि सरकार का यह फैसला बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ती आतंकी वारदातों को देखते हुए लिया गया है। वहां अलगाववादी गुटों ने सुरक्षा बलों के अलावा खास परियोजनाओं, दोनों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
भारत के पड़ोस में जिन्ना के कंगाल देश ने जो आतंकवाद रोधी फौजी अभियान छेड़ा हुआ है उस पर संभवत: चीन को संतुष्ट करने के लिए मोटे बजट का ऐलान किया है। ‘अज्म ए इस्तेहकम’ नाम से चल रहे और कई बार टीटीपी के हत्थे आकर पिट चुके इस फौजी अभियान का केन्द्र बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा बताया गया है जहां टीटीपी नाम के आतंकी गुट की मारकाट जोरों पर है। इसे लेकर चीन कई बार पाकिस्तानी हुकूमत को फटकार चुका है, क्योंकि वहां उसकी परियोजनाएं चल रही हैं जिनमें चीनी कामगार काम कर रहे हैं।
मोटे तौर पर बलूचिस्तान तथा खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी कार्रवाई में लगे जिहादी गुटों को खत्म करने का बीड़ा उठाए इस अभियान के लिए कंगाल देश की सरकार ने 60 अरब का बजट घोषित किया है। हालांकि इस योजना के नाम पर शाहबाज शरीफ की सरकार का इतना पैंसा झोंकना और फिर भी कारगर न होना उस देश के लोगों को बहुत अखर भी रहा है, जिसके यहां रोजी—रोटी के लाले पड़े हैं।
इतना ही नहीं, खुद खैबर पख्तूनख्वा तथा बलूचिस्तान के लोग इसके विरोध में उतरे हुए हैं। उनका कहना है कि आतंकवादी गुटों को खत्म करने के नाम पर सेना उन पर अत्याचार कर रही है।
कंगाल देश के ‘अज्म-ए-इस्तेहकम’ अभियान दिया गया 60 अरब रु. का बजट इसलिए भी खल रहा है क्योंकि उस देश में कथित तौर पर जिहादी तो खुद सरकार के तंत्र में घुसे बैठे हैं। उस देश की नीतियों में इस्लामी आतंक को समर्थन दिया जाता है। इस विशेष रक्षा बजट के लिए राजधानी इस्लामाबाद में शरीफ सरकार के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व में बाकायदा आर्थिक समन्वय समिति की बैठक की गई जिसमें इस बजट पर मुहर लगाई गई।
वहां के वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि सरकार का यह फैसला बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ती आतंकी वारदातों को देखते हुए लिया गया है। वहां अलगाववादी गुटों ने सुरक्षा बलों के अलावा खास परियोजनाओं, दोनों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। मंत्रालय ने कई रिपोर्ट का हवाला दिया कि कैसे वहां और ज्यादा सुरक्षा इंतजाम किए जाने जरूरी हैं। रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के छोड़े गए मारक हथियारों तक जिहादी गुटों के हाथ पहुंच चुके हैं।
जिन्ना के कंगाल देश की शरीफ सरकार ने ‘आतंकवाद को मिटाने’ के इस विशेष अभियान को गत 21 जून को ‘अज्म-ए-इस्तेहकम’ नाम से शुरू करने की घोषणा की थी। इसे लेकर प्रधानमंत्री शाहबाज विशेष रूप से उत्साह में दिख रहे हैं, लेकिन अब तक इससे कुछ खास हासिल नहीं हुआ है। उलटे कई सैनिक और आम लोग मारे गए हैं। इसकी आड़ में अनेक नागरिकों को अगवा किया गया है जिसे लेकर बलूचिस्तान में आक्रोश बढ़ रहा है। बलूचों के मानवाधिकारों की आवाज उठाने वाले कई संगठनों ने इस अभियान पर सवाल उठाए हैं।
इन संगठनों के तीखे विरोध के साथ ही, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन ने भी इस अभियान की सार्थकता पर संदेह जताया है। अली अमीन ने पीटीआई के नेताओं के साथ इस्लामाबाद में शरीफ सरकार के इस अभियान, अज्म-ए-इस्तेहकाम की निंदा करते हुए इसका मुखर विरोध भी किया।
अमीन के विरोध को देखते हुए, पाकिस्तान की सरकार ने यह बयान दिया है कि इस अभियान का मकसद सिर्फ टीटीपी और उसे जैसे आतंकवादी संगठनों से मुकाबला करना है, इससे वहां रहने वाले आम लोगों को दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन धरातल हो इसका उलट रहा है, आम लोग पिस रहे हैं और आतंकवादी जब चाहे तक फौजियों को मारे डाल रहे हैं।
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