नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को घोषणा की कि पंद्रह साल बाद यानी वर्ष 2040 में कोई भारतीय चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग का उत्सव मनाते हुए भारत के पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है, जो अगले दशक में 44 बिलियन डॉलर होगी।
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले छह दशकों में भारत ने न केवल अपने नागरिकों के जीवन को छुआ है, बल्कि चांद पर भी पहुंचा है। उन्होंने पिछले दशक में हुई महत्वपूर्ण प्रगति पर जोर दिया। इनमें सफल मंगल ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण, आगामी आदित्य-एल1 सौर मिशन और एक्स-रे खगोल विज्ञान मिशन एक्सपोसैट शामिल हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 55 साल पहले वर्ष 1969 में हुई थी, जब अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय के अटूट समर्पण की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया।
उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने के बाद अंतरिक्ष स्टार्टअप में उल्लेखनीय वृद्धि का भी उल्लेख किया, जिनकी संख्या बढ़कर अब लगभग 300 हो गई है। उन्होंने वित्त मंत्री के अनुमान को दोहराते हुए कहा कि अगले दशक में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 बिलियन डॉलर से बढ़ कर 44 बिलियन डॉलर हो जाएगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष परिवहन, प्लेटफॉर्म और ग्राउंड स्टेशनों में भारत की संपूर्ण क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के प्रमुख पहलुओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के 2047 तक विकसित भारत की यात्रा में अतंरिक्ष क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
टिप्पणियाँ