कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दर्दनाक वारदात के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ा कदम उठाया है। सीबीआई अब अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष और 4 अन्य डॉक्टरों का पॉलीग्राफ टेस्ट (लाई डिटेक्टर टेस्ट) कराएगी। सियालदह कोर्ट ने सीबीआई की इस मांग को मंजूरी दे दी है। इन सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
सीबीआई ने मुख्य आरोपी संजय रॉय का भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की मांग की है। रॉय को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। रॉय, जो कि एक सिविक वालंटियर है, उसे मुख्य आरोपी बनाया गया है। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार रॉय को घटना के दिन सुबह 4 बजे आपातकालीन भवन में प्रवेश करते देखा गया था।
पॉलीग्राफ टेस्ट क्या होता है?
पॉलीग्राफ टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति से प्रश्न पूछते समय उसके शारीरिक संकेतों जैसे दिल की धड़कन, रक्तचाप, सांस और त्वचा की नमी को मापा जाता है। इस टेस्ट का मकसद यह पता लगाना होता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ। हालांकि पॉलीग्राफ टेस्ट के नतीजों को लेकर विवाद है और इन्हें कोर्ट में सबूत के तौर पर नहीं माना जाता।
कोलकाता डॉक्टर केस में पॉलीग्राफ टेस्ट की भूमिका
पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणाम सीबीआई को रॉय के बयानों का पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा पीड़िता के साथ रात को खाना खाने वाले उसके 4 सहकर्मियों का भी पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा रहा है ताकि आखिरी के कुछ घंटों में क्या हुआ इसका पता लगाया जा सके। यह टेस्ट जांचकर्ताओं को संभावित रूप से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे वे आगे की पूछताछ को दिशा दे सके।
वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी करेगी सीबीआई
इस बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंप दी है। अदालत ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल (SIT) से सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने के बाद दिया। जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने सीबीआई को 3 सप्ताह के भीतर जांच संबंधी प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
मामले में अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी, तब अदालत रिपोर्ट की समीक्षा करेगी। यह घटनाक्रम इस बात को दर्शाता है कि जांच एजेंसियां मामले के हर पहलू पर ध्यान दे रही हैं जिससे पीड़िता को न्याय मिल सके।
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