उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र आज तीसरे दिन भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। विधानसभा सदन ने बजट की अनुपूरक मांगों को मंजूरी दे दी तथा राज्य के पहले खेल विश्वविद्यालय को भी मंजूरी दे दी। तकनीकी कारणों से नगर निकाय सीमा विस्तार अध्यादेश को प्रवर समिति को भेजा गया। राज्य विधानसभा का मानसून सत्र तीन दिनों में 18 घंटे 9 मिनट तक चला, जिसमें सरकार ने 5,013 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित किया और सदन में 9 विधेयक और 3 अध्यादेश पेश किए गए। इनमें से सात विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए जबकि दो विधेयक प्रवर समिति को भेज दिए गए हैं।
विधायक द्वारा विधानसभा के मानसून सत्र के लिए 500 प्रश्न भी थे जिनमे से सरकार ने 109 का जवाब दिया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि विधानसभा स्पीकर होने के नाते उनकी यह प्राथमिकता हमेशा से रही है कि सत्र के दौरान ज्यादा से ज्यादा प्रश्न दिए जाएं और विधायकों को सुना जाए इसीलिए सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्रवाई रात करीब 10:30 बजे गतिमान रही।
विपक्ष के वॉकआउट पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कहा कि विपक्ष के विधायक नियम 310 के तहत, आपदा पर चर्चा की मांग कर रहे थे लेकिन समय कम था इसीलिए उन्होंने इस नियम 58 में सुनने के लिए विपक्ष को आधा घंटे का समय दिया लेकिन जिन 6 विधायकों के नाम मिले थे उसमें से आधे घंटे केवल तीन ही विधायक बोल सके और तीन विधायक छूट गए। जिस कारण ये स्थिति पैदा हुई। बेहतर होता कि विपक्ष समय की बाध्यता को समझता, फिर भी विपक्ष ने सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में पूरा सहयोग किया।
संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने तीन दिनों तक चल सत्र के लिए पक्ष विपक्ष के विधानसभा सदस्यों का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय सत्र के दौरान कार्यवाही सुचारू रूप से चली लेकिन तीसरे और अंतिम दिन विपक्ष ने हंगामा किया और सदन से वॉकआउट किया, जबकि इस बार सदन में विपक्षी सदस्यों को पर्याप्त समय दिया गया।उन्होंने कहा कि दो विधायकों का मामला प्रवर समिति को भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट एक माह के भीतर सदन को सौंपनी होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि विधानसभा का मानसून सत्र सभी के सहयोग से बेहतर चला है आगे भी दोनो पक्ष राज्यहित में सकारात्मक रुख अपनाएंगे। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि विधान सभा के मानसून सत्र में तीन दिन का समय कम था, हम आपदा और अन्य गंभीर विषयों पर चर्चा चाहते थे लेकिन स्पीकर ने समय नहीं दिया और सरकार की मंशा सत्र में स्वस्थ बहस के बजाय औपचारिकता पूरी करने की थी, इसलिए हमने वॉकआउट किया। कांग्रेस के धारचूला विधायक अपने ही दल के नेताओं से नाराज दिखे कि उन्हें आपदा जैसे गंभीर विषय पर बोलने नही दिया गया।
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