गत दिनों दिल्ली में बच्चों का एक ऐसा शिविर लगा, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक हो रही है। यह शिविर घुमंतू समाज के बच्चों के लिए था। विशेष बात यह रही कि 48 घंटे के इस आवासीय शिविर में गाड़िया लोहार, सपेरा तथा सिकलीगर समाज के 40 बच्चे, 26 अभिभावक तथा उनके 4 छोटे बालक उपस्थित रहे।
शिविर का उद्देश्य था घुमंतू समाज के लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाना तथा अभिभावकों के मानस को तैयार करना कि किस प्रकार बच्चों का वातावरण बदल जाने से जीवन में परिवर्तन आ जाता है।
बता दें कि घुमंतू समाज के लोग अभी भी अपने बच्चों की शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं देते। इसलिए संघ परिवार ने घुमंतू समाज के लिए अनेक प्रकल्प शुरू किए हैं। इनके जरिए इनके बच्चों को शिक्षा के साथ ही संस्कार भी दिए जा रहे हैं।
दिल्ली में सेवा भारती के कार्यकर्ता घुमंतू समाज के अनेक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इन बच्चों का नामांकन सरस्वती शिशु मंदिरों के साथ ही सरकारी विद्यालयों में करवाया जाता है। इसका अच्छा परिणाम मिल रहा है। इस समाज के बहुत सारे बच्चे शिक्षा लेकर अच्छा जीवन-यापन कर रहे हैं।
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