रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोलैंड में कहा था कि ‘ये युद्ध का युग नहीं है’। ढाई साल के बीतने के बाद भी भारत अपने बयान पर कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के दौरे पर हैं। अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने ये स्पष्ट किया है कि भारत किसी एक का पक्ष नहीं लेगा, लेकिन वह शांति के पुल के तौर पर काम करेगा।
खास बात ये है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के पहले ऐसे नेता हैं, जिनकी मेजबानी रूस और यूक्रेन दोनों ही देश कर रहे हैं। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली यूक्रेन यात्रा है। इस यात्रा में शांति की वकालत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुख्य एजेंडा होने वाला है। केंद्र ने यूक्रेन की यात्रा से पहले ही दो टूक कह दिया है कि भारत, रूस और यूक्रेन के युद्ध के मसले के स्थायी समाधान के लिए कूटनीति और समाधान के पक्ष में हैं।
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प्रधानमंत्री भी पहले से ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं कि हम शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद करने के लिए हर संभव मदद देंगे। सरकार ने इसी सप्ताह एक आधिकारिक ब्रीफिंग में कहा था कि भारत के रूस और यूक्रेन के साथ ठोस और स्वतंत्र संबंध हैं। सरकार ने कहा था कि ये साझेदारियां अपने आप में खड़ी हैं। ये कोई शून्य योग का खेल नहीं है।
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PM मोदी के मॉस्को दौरे का यूक्रेन ने किया था विरोध
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले माह मॉस्को के दौरे पर गए थे, उस दौरान यूक्रेन ने उनके इस दौरे की कड़ी आलोचना की थी। यूक्रेन ने पुतिन को गंभीर अपराधी बताते हुए पीएम मोदी द्वारा उन्हें गले लगाने पर अपनी निराशा व्यक्त की थी। हालांकि, जेलेंस्की अब कीव में पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए बेताब हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं।
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