पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है। एजेंसी ने अदालत में सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस पर बड़े ही गंभीर आरोप लगाए हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने ये भी कहा कि घटनास्थल से छेड़छाड़ की गई थी, जिसके कारण कई सारे सबूत नष्ट हो चुके हैं, जिस कारण से जांच करना बड़ा ही मुश्किल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पहली एफआईआर पीड़िता का अंतिम संस्कार करने के बाद रात के करीब 11:45 बजे दर्ज की गई थी। तुषार मेहता ने कहा कि बंगाल पुलिस ने पहले पीड़िता के पैरेंट्स को बताया गया कि आपकी बेटी ने आत्महत्या कर लिया है। फिर मौत बताया। पीड़िता के दोस्तों ने वीडियोग्राफी करने की बात कही, लेकिन उसे ऐसा नहीं करने दिया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच का रवैया भी सख्त दिखा। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार की पैरवी कर रहे कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि आखिर आपको कब पता चला कि यह अन नैचुरल मौत का मामला है। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि दोपहर 1:45 मिनट पर यह मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद ही पोस्टमार्टम करने का फैसला किया गया।
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इस मौके पर मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला ने यह भी कहा कि मैंने पिछले 30 वर्षों के दौरान इस तरह की घटना नहीं देखी। कोर्ट ने टिप्पणी की कि इस मामले में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। कोर्ट ने ये भी कहा कि जब सुबह के वक्त ही पता चल गया कि यह अप्राकृतिक जांच का मामला है तो फिर क्राइम सीन को चिह्नित करके घेराबंदी करने में देरी क्यों की गई।
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