कतर की क्योंकि पिछले संघर्षविराम में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी इसलिए कतर और उससे पहले इस्राएल के पड़ोसी मिस्र का दौरा ब्लिंकन के एजेंडा को संभवत: गति देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मिलने के बाद इस तरफ से आश्वस्त नजर आए कि गाजा में संघर्षविराम तथा बंधकों की रिहाई में अभी तो बाधाएं आ रही थीं उनको हटाने के लिए नेतन्याहू तैयार हो चुके हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्री एक बार फिर इस्राएल पहुंचकर प्रधानमंत्री नेतन्याहू सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं से मिले और इन बैठकों के बाद, उन्होंने प्रेस के सामने सकारात्मक रुख दर्शाते हुए उम्मीदें जगाई हैं। ब्लिंकन का इस दौर का एकमात्र घोषित एजेंडा संघर्षविराम पर चर्चा करके ‘अंतिम प्रयास’ करना था जिसमें वह संभवत: सफल रहे हैं। ब्लिंकन के बैठक के बाद के बयान से लगता है इस्राएल अपनी ओर से संघर्षविराम के लिए तैयार है और अब बॉल हमास के पाले में है।
ब्लिंकन ने कहा कि इस्राएल ने इस अंतिम प्रयास पर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए बंधकों की रिहाई को महत्व दिया है और अमेरिका की तरफ से तैयार प्रस्ताव को अंगीकार करने का वादा किया है। लेकिन इसमें पेंच फंसा है और वह है इसे हमास की तरफ से भी स्वीकार किया जाना। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमास की इस ओर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ब्लिंकन के दौरे में अगला पड़ाव मिस्र तथा कतर हैं। इस्राएल की राजधानी तेल अवीव में अपने बयान में ब्लिंकन ने यह भी जोड़ा कि इस्राएली बंधकों को छुड़ाने का शायद यह आखिरी अवसर होगा। यहां यह भी संज्ञान में ले लेना जरूरी है कि इस्राएल की नेतन्याहू सरकार अपने यहां बंधकों के मुद्दे पर भारी विरोध का सामना कर रही है। हमास से उन्हें छुड़ाने की साम-दाम-दंड-भेद नीतियां अपनाई गई हैं। लेकिन भीषण यातनाएं झेल रहे शेष 111 बंधकों की मुक्ति का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। इस्राएल में बंधकों के परिजन आएदिन सड़कों पर कैंडल मार्च निकालकर दबाव बढ़ाते जा रहे हैं।
कतर की क्योंकि पिछले संघर्षविराम में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी इसलिए कतर और उससे पहले इस्राएल के पड़ोसी मिस्र का दौरा ब्लिंकन के एजेंडा को संभवत: गति देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मिलने के बाद इस तरफ से आश्वस्त नजर आए कि गाजा में संघर्षविराम तथा बंधकों की रिहाई में अभी तो बाधाएं आ रही थीं उनको हटाने के लिए नेतन्याहू तैयार हो चुके हैं। अब ब्लिंकन ने इस पर आगे बढ़न के लिए हमास की तरफ उम्मीदें बांधी हैं। लेकिन सवाल है कि संघर्षविराम के प्रस्ताव को लेकर हमास ने जो आपत्तियां दर्ज कराई थीं उन्हें अमेरिका ने कहां तक सुधारा है? अगर नहीं सुधारा है तो हमास का प्रस्ताव पर राजी होना संशय में है।
कतर से शायद ब्लिंकन इस ओर कुछ मदद पा सकें। हमास के कई नेताओं के कतर से सीधे तार जुड़े होने के चलते कतर की भूमिका यूं भी महत्व रखती है। मिस्र भी एक मध्यस्थ के नाते गाजा में संघर्षविराम की कोशिशें करता आ रहा है। आज ब्लिंकन के मिस्र के नेताओं से इस्राएल के प्रस्ताव के प्रति सकारात्मक रुख पर बात हो सकती है। मिस्र को लेकर भी अमेरिकी विदेश मंत्री आशान्वित हैं। पिछले सप्ताह दो दिन की दोहा में हुई वार्ता को लेकर हमास नाखुश दिखा था क्योंकि उसके अनुसार उसमें इस्राएल की शर्तें मानी गई थीं।
अमेरिका के विदेश मंत्री द्वारा ‘अब नहीं तो कभी नही’ वाली बात बार—बार दोहराना एक प्रकार से इस्राएल और हमास दोनों पर दबाव बनाए हुए है। यहां बता दें कि गाजा में संघर्ष शुरू होने के बाद से विदेश मंत्री ब्लिंकन का पश्चिम एशिया का यह नौवां दौरा था।
ब्लिंकन के तेल अवीव से रवाना होने के बाद इस्राएल के रक्षा विशेषज्ञ इस बात पर चिंतन कर रहे हैं कि इस ‘आखिरी अवसर’ पर हमास की क्या प्रतिक्रिया होगी, कतर हमास को कितना प्रभावित कर पाएगा? क्या हमास बंधकों को रिहा करने के मुद्दे पर टालमटोल करने की अपनी पैंतरेबाजी छोड़ेगा?
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