उत्तरी वजीरिस्तान और अफगानिस्तान से सटे सीमांत क्षेत्र में टीटीपी की तूती बोल रही है। वहां सेना की चौकियों तक पर जिहादियों ने कब्जे कर रखे हैं। लेकिन अब उसके आका माने जाने वाले अफगानी तालिबान ने ही पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह टीटीपी से वार्ता में मध्यस्थता करने को तैयार है!
पाकिस्तानी तालिबान गुट टीटीपी ने जिन्ना के उस ‘आतंकी देश’ में मारकाट मचाई हुई है, उससे सेना में जबरदस्त खलबली है। टीटीपी पाकिस्तान की फौज के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है। उत्तरी वजीरिस्तान और अफगानिस्तान से सटे सीमांत क्षेत्र में टीटीपी की तूती बोल रही है। वहां सेना की चौकियों तक पर जिहादियों ने कब्जे कर रखे हैं। लेकिन अब उसके आका माने जाने वाले अफगानी तालिबान ने ही पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह टीटीपी से वार्ता में मध्यस्थता करने को तैयार है!
और चारा क्या है टीटीपी से आएदिन पिट रही पाकिस्तानी सेना के पास? पाकिस्तान की ही मदद से अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान बंदूकधारियों से वैसे ही उसकी ठनी हुई है’। ऐसे में तालिबान के इस प्रस्ताव पर इस्लामाबाद संशय में है।
जब से काबुल की गद्दी पर तालिबान लड़ाके बैठे हैं यानी अगस्त 2021 से ही पाकिस्तान में टीटीपी की जिहादी ताकत भी बढ़ती गई है। पाकिस्तान में विशेषकर सेना और पुलिस की नाम में टीटीपी ने दम किया हुआ है। 2024 में अभी तक टीटीपी के जिहादी हमले 83 प्रतिशत बढ़ गए हैं। चीन की कथित चेतावनी के बाद, इसके विरुद्ध पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई ‘आतंकवाद विरोधी सैन्य कार्रवाई’ टीटीपी को और आक्रोशित किए हुए है।
मध्यस्थता की पेशकश करते हुए अफगानिस्तान तालिबान लड़ाका सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह ने यह प्रस्ताव रखते हुए भी पाकिस्तानी तालिबान को उस देश का अंदरूनी मामला बता दिया। तालिबान प्रवक्ता का कहना है कि पाकिस्तान की हुकूमत अगर तैयार हो तो अफगानी तालिबान टीटीपी से ‘शांतिवार्ता’ में शामिल हो सकता है। इससे संकेत मिलता है कि दोनों तालिबान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन दोनों ने जिहाद के इलाके आपस में बांट लिए हैं।
जैसा पहले बताया, टीटीपी अफगान—पाकिस्तान सीमांत इलाकों और उत्तरी वजीरिस्तान पर अपना प्रभाव जमाए हुए है। अभी तक इन इलाकों में टीटीपी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिकों ढेर कर चुका है। इसका आतंक इतना है कि 2014 में पाकिस्तान द्वारा चलाए गए सैन्य अभियान से भी इसे कोई फर्क नहीं पड़ा।
पाकिस्तान के ही एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में जबीउल्लाह कहता है कि अफगान तालिबान तो यही चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते मधुर ही रहें। उसके हिसाब से पाकिस्तान और अफगानिस्तान पड़ोसी हैं जिनकी बोली, मजहब एक से हैं। इसके साथ ही जबीउल्लाह ने बड़ा नादान चेहरा बनाते हुए कहा कि अफगान तालिबान बहुत ध्यान रखते हैं कि उनकी धरती से कोई किसी भी दूसरे देश पर हमले न कर पाए।
टीटीपी के कथित आका जिहादी गुट का प्रवक्ता यहां तक कहता है कि ‘अगर इस्लामाबाद को टीटीपी या किसी और से कोई दिक्कत है तो हमें कम से कम बताए तो! परन्तु पाकिस्तान तो बस मीडिया में उल्टे—सीधे बयान देकर हमारे दामन को दाग लगाता रहता है।’
इसी रौ में अफगानी जिहादी लड़ाकों के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष अगर तैयार हों तो अफगान तालिबान ‘शांतिवार्ता’ में सुलह—सफाई करा सकता है। जब तक दोनों तैयार नहीं होंगे तब तक हमारे दखल देने का सवाल ही नहीं उठता। जबीउल्लाह कहता है कि अफगान तालिबान कारोबार तथा सीमा से जुड़े मुद्दे सियासत से दूर रखता है।
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