बिहार के मदरसों में पढ़ाई जा रही किताब 'तालीम-उल-इस्लाम' में गैर-मुस्लिमों को काफिर बताया
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बिहार के मदरसों में पढ़ाई जा रही किताब ‘तालीम-उल-इस्लाम’ में गैर-मुस्लिमों को काफिर बताया

प्रियंक कानूनगो के मुताबिक 'जब आप वेबसाइट पर जाते हैं और इस लिंक को क्लिक करते हैं तब यह लिंक आपको पाकिस्तान में रीडायरेक्ट करता है और जब हम उसका अंग्रेजी अनुवाद पढ़ते हैं तो उसके पेज नंबर 20 और 22 में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जो लोग एक से ज्यादा भगवान को मानते हैं, वो काफिर हैं।

by WEB DESK
Aug 19, 2024, 08:30 pm IST
in बिहार
मदरसे में बच्चे (प्रतीकात्मक चित्र)

मदरसे में बच्चे (प्रतीकात्मक चित्र)

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पटना, (हि.स.)। बिहार के मदरसों में पढ़ाई जा रही किताब ‘तालीम-उल-इस्लाम’ में गैर-मुस्लिमों को काफिर बताया गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा, तालीम-उल-इस्लाम किताब को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसे किफायतुल्लाह साहब ने लिखा है। अभी बिहार के मदरसों में बच्चों को बड़े पैमाने पर पढ़ायी जा रही है। इन मदरसों में गैर-हिंदुओं के भी दाखिला लेने की खबरें हैं। इस पुस्तक को बिहार राज्य मदरसा बोर्ड ने सेलेक्ट किया है।

प्रियंक कानूनगो के मुताबिक ‘जब आप वेबसाइट पर जाते हैं और इस लिंक को क्लिक करते हैं तब यह लिंक आपको पाकिस्तान में रीडायरेक्ट करता है और जब हम उसका अंग्रेजी अनुवाद पढ़ते हैं तो उसके पेज नंबर 20 और 22 में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जो लोग एक से ज्यादा भगवान को मानते हैं, वो काफिर हैं। बिहार सरकार ने भी माना है कि वहां मान्यता प्राप्त मदरसों में बड़े पैमाने पर हिंदू बच्चे भी पढ़ रहे हैं। इसमें हिंदू बच्चों को ये बताना कि वो एक से ज्यादा भगवान में विश्वास करेंगे तो काफिर कहलाएंगे, एकदम गलत बात है। ऐसे में बच्चों में मनोवैज्ञानिक रूप से गलत असर पड़ेगा। उनके विकास में बाधा उत्पन्न होगी। उनके अंदर एक हीन भावना का विकास होगा। हम राज्य सरकार से लगातार कह रहे हैं कि इन हिंदू बच्चों को मदरसों से बाहर कीजिए।

प्रियंक कानूनगो ने कहा कि इसमें सरकारी फंडिंग के साथ ही यूनिसेफ का पैसा भी शामिल है। यूनिसेफ तो बच्चों के हित और अधिकारियों के लिए काम करती है। ऐसे में कैसे यूनिसेफ इस तरह का सिलेबस तैयार कर दे सकती है। यूनिसेफ ने उन पैसों का गलत इस्तेमाल किया है, जो उन्हें पूरी दुनिया से मिले हैं। इसकी जांच यूएन को करनी चाहिए। हम फिलहाल मदरसे की पूरी अध्ययन सामग्री की जांच कर रहे हैं।

मदरसा बोर्ड के चेयरमैन ने कहा, एनसीपीसीआर से कोई लिखित सूचना नहीं मिली

इस आलोचना के बाद बिहार मदरसा बोर्ड के चेयरमैन बी कार्तिकेय धनजी ने बातचीत में कहा कि आयोग से उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। कार्तिकेय ने कहा कि एनसीपीसीआर की ओर से भी हमें कोई लिखित या मौखिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। जबतक हमें कोई सूचना नहीं मिलती हम इस विषय में कुछ नहीं बोल सकते हैं। यदि इस तरह की कोई रिपोर्ट है तो हमें सूचित करनी चाहिए। हम इस पर जरूर कार्रवाई करेंगे।

मंत्री प्रेम कुमार ने कहा, जांच होनी चाहिए

बिहार सरकार में भाजपा के मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि देश के कई राज्यों में इस बात को लेकर चर्चा हुई है। ये देशहित में नहीं है। उन स्थानों (मदरसा) पर निश्चित तौर पर जांच होनी चाहिए। उनके गतिविधियों की जानकारी सरकार तक होनी चाहिए। यदि कोई सरकार विरोधी या राष्ट्र विरोधी काम कर रहा है तो हमारा मानना है कि ऐसे संस्थाओं की जांच होनी चाहिए। उन पर अंकुश लगनी चाहिए।

Topics: बिहार के मदरस'तालीम-उल-इस्लाम'गैर-मुस्लिम काफिरएनसीपीसीआरप्रियंक कानूनगो
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