भारत

संस्कृत को राजभाषा का दर्जा: आधुनिक पहचान और प्राचीन परंपराओं का संगम

Published by
Mahak Singh

संस्कृत, जिसे भारतीय सभ्यता की धरोहर के रूप में जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। यह भाषा न केवल प्राचीन भारतीय धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों का आधार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, साहित्यिक, और वैज्ञानिक परंपराओं का भी प्रतीक है। हालांकि भारत में संस्कृत का व्यापक रूप से प्रयोग नहीं होता है, फिर भी यह भारत के कुछ राज्यों की राजभाषा के रूप में स्थापित की गई है। आइए जानते हैं किन राज्यों ने संस्कृत को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है और इसके पीछे का कारण क्या है।

किन राज्यों में संस्कृत राजभाषा है?
उत्तराखंड

उत्तराखंड वह पहला राज्य है जिसने 2010 में संस्कृत को अपनी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया। इसके साथ ही हिंदी उत्तराखंड की प्रमुख राजभाषा बनी रही। उत्तराखंड में चार धाम—बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री— स्थित हैं, जो संस्कृत भाषा और हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इन धार्मिक स्थलों के साथ जुड़ी हुई धार्मिक परंपराओं और संस्कृत साहित्य को संरक्षित और प्रचारित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश ने 2019 में संस्कृत को अपनी दूसरी राजभाषा के रूप में अपनाया। राज्य के इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य था संस्कृत भाषा के महत्व को पहचानना और इसे पुनर्जीवित करना। हिमाचल प्रदेश में संस्कृत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है, जो राज्य की पहचान का एक हिस्सा है। इस कदम के जरिए सरकार ने संस्कृत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का प्रयास किया।

संस्कृत को राजभाषा बनाने के पीछे के कारण
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

संस्कृत भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपरा की आधारशिला है। ऋग्वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, और कई अन्य प्राचीन ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। इन्हें संरक्षण और प्रोत्साहित करने के लिए संस्कृत का राजभाषा के रूप में चयन किया गया है। विशेष रूप से उन राज्यों में, जहां धार्मिक स्थल और संस्कृत शिक्षा का इतिहास प्राचीन समय से ही मौजूद है, संस्कृत का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

शैक्षणिक और साहित्यिक समृद्धि

संस्कृत में भारतीय दार्शनिक, वैज्ञानिक, और साहित्यिक परंपराओं का विशाल भंडार है। इसे राजभाषा का दर्जा देने से इस भाषा में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है। यह उन क्षेत्रों में संस्कृत के अध्ययन और साहित्यिक कार्यों को पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करता है, जहां इसे संरक्षित करना आवश्यक है।

आधुनिक पहचान और प्राचीन परंपरा का मेल

संस्कृत को राजभाषा का दर्जा देना राज्य की आधुनिक पहचान को उसकी प्राचीन परंपराओं से जोड़ने का एक प्रयास है। यह निर्णय न केवल भाषा के महत्व को पहचानता है, बल्कि इसे वर्तमान समय में प्रासंगिक बनाने का प्रयास भी है।

 

Share
Leave a Comment

Recent News