संस्कृत को राजभाषा का दर्जा: आधुनिक पहचान और प्राचीन परंपराओं का संगम
May 17, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

संस्कृत को राजभाषा का दर्जा: आधुनिक पहचान और प्राचीन परंपराओं का संगम

संस्कृत, जिसे भारतीय सभ्यता की धरोहर के रूप में जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है।

by Mahak Singh
Aug 18, 2024, 05:37 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

संस्कृत, जिसे भारतीय सभ्यता की धरोहर के रूप में जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। यह भाषा न केवल प्राचीन भारतीय धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों का आधार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, साहित्यिक, और वैज्ञानिक परंपराओं का भी प्रतीक है। हालांकि भारत में संस्कृत का व्यापक रूप से प्रयोग नहीं होता है, फिर भी यह भारत के कुछ राज्यों की राजभाषा के रूप में स्थापित की गई है। आइए जानते हैं किन राज्यों ने संस्कृत को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है और इसके पीछे का कारण क्या है।

किन राज्यों में संस्कृत राजभाषा है?
उत्तराखंड

उत्तराखंड वह पहला राज्य है जिसने 2010 में संस्कृत को अपनी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया। इसके साथ ही हिंदी उत्तराखंड की प्रमुख राजभाषा बनी रही। उत्तराखंड में चार धाम—बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री— स्थित हैं, जो संस्कृत भाषा और हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इन धार्मिक स्थलों के साथ जुड़ी हुई धार्मिक परंपराओं और संस्कृत साहित्य को संरक्षित और प्रचारित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया।

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश ने 2019 में संस्कृत को अपनी दूसरी राजभाषा के रूप में अपनाया। राज्य के इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य था संस्कृत भाषा के महत्व को पहचानना और इसे पुनर्जीवित करना। हिमाचल प्रदेश में संस्कृत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है, जो राज्य की पहचान का एक हिस्सा है। इस कदम के जरिए सरकार ने संस्कृत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार का प्रयास किया।

संस्कृत को राजभाषा बनाने के पीछे के कारण
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

संस्कृत भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपरा की आधारशिला है। ऋग्वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, और कई अन्य प्राचीन ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। इन्हें संरक्षण और प्रोत्साहित करने के लिए संस्कृत का राजभाषा के रूप में चयन किया गया है। विशेष रूप से उन राज्यों में, जहां धार्मिक स्थल और संस्कृत शिक्षा का इतिहास प्राचीन समय से ही मौजूद है, संस्कृत का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

शैक्षणिक और साहित्यिक समृद्धि

संस्कृत में भारतीय दार्शनिक, वैज्ञानिक, और साहित्यिक परंपराओं का विशाल भंडार है। इसे राजभाषा का दर्जा देने से इस भाषा में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है। यह उन क्षेत्रों में संस्कृत के अध्ययन और साहित्यिक कार्यों को पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करता है, जहां इसे संरक्षित करना आवश्यक है।

आधुनिक पहचान और प्राचीन परंपरा का मेल

संस्कृत को राजभाषा का दर्जा देना राज्य की आधुनिक पहचान को उसकी प्राचीन परंपराओं से जोड़ने का एक प्रयास है। यह निर्णय न केवल भाषा के महत्व को पहचानता है, बल्कि इसे वर्तमान समय में प्रासंगिक बनाने का प्रयास भी है।

 

Topics: उत्तराखंडसंस्कृतहिमाचल प्रदेशसंस्कृत को राजभाषा का दर्जाकिन राज्यों में संस्कृत राजभाषा है
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Love jihad with a hindu girl Uttarakhand

मोहित बनकर अंसार खान ने हिन्दू युवती को फंसाया, रेप किया और हत्या की धमकी भी दी, केस दर्ज

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

उत्तराखंड : नंदप्रयाग में मुरारी बापू की राम कथा में पहुंचे CM धामी, सनातन संस्कृति पर कही बड़ी बात

Uttar Pradesh Rape and conversion case

अफजाल ने नाबालिग भतीजी के साथ की दरिंदगी, दुष्कर्म कर जंगल में छोड़ा, पुलिस ने किया मुकदमा दर्ज

पूजा विश्वास (फाइल फोटो)

उत्तराखंड: लव जिहाद का शिकार हुई पूजा, मुश्ताक ने सिर धड़ से अलग कर शव नाले में फेंका, दिल दहला देगी खौफनाक साजिश

Uttakhand chardham yatra

उत्तराखंड: चारधाम यात्रा सादगी के साथ शुरू, हरिद्वार, ऋषिकेश से जत्थे हुए रवाना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नीरज चोपड़ा

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, पहली बार भाला फेंका 90 मीटर के पार, गोल्डन ब्वॉय ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा

1580 करोड़ की GST चोरी पकड़ी, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और नशा मुक्त राजस्थान की दिशा में भजनलाल सरकार का बड़ा एक्शन

वैश्विक मंदी के बीच भारत बना आर्थिक महाशक्ति : UN ने माना सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था, जारी की रिपोर्ट…

UAE में ट्रंप के स्वागत से बिफरे कट्टरपंथी, कहा- मुस्लिम लड़कियों से क्यों कराया बाल खोलकर डांस

उदयपुर में फिर गला काटने की कोशिश : हिन्दू दुकानदार पर झपट पड़े मजहबी, झुंड में आकर किया हमला

आदमपुर वायुसेना अड्डे पर वायु सैनिकों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

… शस्त्र उठाना हमारी परंपरा

क्यों महत्वपूर्ण है बचपन के प्रारंभिक 6 वर्ष..?

झूठ बोलकर बुरा फंसे पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री : भारत ही नहीं पाकिस्तान के अखबारों ने भी खोल दी पोल

तुर्की के खिलाफ भरी हुंकार : स्वदेशी जागरण मंच ने Türkiye दूतावास के बाहर किया प्रदर्शन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन तुर्की सरकार ने लगभग दस लाख अर्मेनियाई लोगों का कत्लेआम किया था (चित्र प्रतीकात्मक, स्रोत- ग्रोक एआई)

क्या है अर्मेनियाई जीनोसाइड और क्या है इसका तुर्की के साथ संबंध ?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies