हाल ही में, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसी भी प्रकार के “सेक्युलर सिविल कोड” या “यूनिफार्म सिविल कोड” (UCC) को स्वीकार नहीं करेंगे। बोर्ड ने जोर देकर कहा कि इस्लामी शरिया कानून उनके लिए सर्वोपरि है, और इसे तोड़ने या संशोधित करने के किसी भी प्रयास का वे कड़ा विरोध करेंगे।
शरिया कानून क्या है?
शरिया कानून एक इस्लामी कानूनी प्रणाली है जो कुरान और इस्लामी विद्वानों के निर्णयों यानी फतवों पर आधारित है। यद्यपि इसे जीवन जीने का एक तरीका माना जाता है, लेकिन शरिया कानून के अनुसार इसमें बताया जाता है कि जीवन के हर पहलू को अल्लाह या खुदा की इच्छा के अनुसार कैसे जीना चाहिए। इसके अलावा इसमें अपराध के बारे में भी जानकारी दी गई है, इस्लाम के जानकारों का कहना है कि शरिया मुख्य रूप से नैतिक आचरण और पूजा-पाठ और दान के बारे में है, लेकिन इसका एक हिस्सा अपराध से जुड़ा हुआ है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का उद्देश्य देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की स्थापना करना है, जो धर्म, जाति, लिंग, या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव न करे। इसके समर्थक यह तर्क देते हैं कि UCC समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा देगा, और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
विवाद और असहमति
AIMPLB का मानना है कि UCC का प्रस्ताव धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत आस्था पर हमला है। उनका मानना है कि शरिया कानून उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा करता है और किसी भी “सेक्युलर” कानून को उन पर थोपने की कोशिश करना अनुचित है।
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