देहरादून: कुमायूं क्षेत्र में वन माफिया आए दिन फिल्मी अंदाज में वन संपदा की तस्करी करने में लगे है, जंगल से बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी के साथ साथ अब लीसा की भी तस्करी हो रही है।
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नैनीताल वन प्रभाग के रानीबाग मनोरा चेक पोस्ट पर चेकिंग के दौरान मनोरा रेंजर मुकुल शर्मा ने अपनी टीम को मुखबिर से सूचना के बाद सक्रिय किया और पहाड़ क्षेत्र से आ रहे पेट्रोल के टैंकर को रोक कर तलाशी ली। इसी दौरान टैंकर चालक वाहन छोड़ कर भाग गया। टैंकर के ढक्कन को खोलकर देखा गया तो पाया कि अवैध रूप से लीसा मैदानी नगर की ओर ले जाया जा रहा है।
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सूचना मिलने पर वन विभाग के उच्च अधिकारी भी मौके पर रानीबाग चेक पोस्ट पर पहुंचे जिसके बाद पेट्रोल टेंकर संख्या-यूपी-25 एफटी- 8425 को कब्जे में करते हुए उसे सुल्तानपुर लीसा डिपो में लाकर सीज कर दिया गया। रेंजर मुकुल शर्मा ने बताया कि टैंकर में 365 टिन लीसा बरामद हुआ है। जिसकी कीमत करीब दस लाख रुपये है।
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ये लीसा चीड़ के पेड़ों से निकाला जाता है और इससे पेंट में इस्तेमाल किया जाता है, लीसा से ही तारपीन का तेल वार्निश, फिनायल आदि बनते हैं। वन क्षेत्रों में लीसा का अवैध दोहन को रोकने के लिए वन विभाग खुद ही इसे निकलवाता है। आम तौर पर लीसा निकालने वाले ठेकेदार ही आवंटन से ज्यादा दोहन कर उसकी कालाबाजारी करते हैं। उत्तराखंड में ऐसे लीसा माफिया कई सालों से सक्रिय है। बहरहाल वन विभाग ने इस तस्करी मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
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