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लॉ ग्रेजुएट ने मंदिर के दानपात्र पर लगाया अपना क्यूआर कोड, खाते में आए इतने लाख रुपए

Published by
Mahak Singh

चीन से एक ऐसा हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने लोगों के विश्वास को झकझोर कर रख दिया है। लोग अब पैसे ठगने के लिए भगवान और धार्मिक स्थलों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। इस घटना में एक लॉ ग्रेजुएट ने बौद्ध मंदिरों के दानपात्र पर लगे क्यूआर कोड को अपने निजी क्यूआर कोड से बदलकर मंदिर के दान की राशि सीधे अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली। इस धोखाधड़ी के कारण उसने लाखों रुपये की राशि चुरा ली।

कैसे हुआ यह धोखाधड़ी?

यह घटना चीन के उत्तर पश्चिम शानक्सी प्रांत के एक बौद्ध मंदिर की है, जहां श्रद्धालु अपने श्रद्धा और भक्ति के साथ मंदिर में दान देने आते थे। आज के डिजिटल युग में, कई मंदिरों ने दान देने के लिए क्यूआर कोड का उपयोग करना शुरू कर दिया है, ताकि भक्त आसानी से अपने मोबाइल से स्कैन करके दान कर सकें।

इसी व्यवस्था का गलत फायदा उठाते हुए, एक लॉ ग्रेजुएट ने मंदिर में लगे असली क्यूआर कोड को अपने निजी क्यूआर कोड से बदल दिया। जब भी कोई भक्त अपने श्रद्धा से दान करता, तो वह राशि सीधे उस व्यक्ति के बैंक खाते में जमा हो जाती थी। इस योजना को इतनी चालाकी से अंजाम दिया गया कि मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं को इसका पता भी नहीं चला।

कैसे हुआ खुलासा?

इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब मंदिर प्रशासन को दान की राशि में अचानक गिरावट दिखाई दी। मंदिर के अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू की और सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, शानक्सी पुलिस द्वारा जारी किए गए वीडियो में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जब भक्त मूर्ति के सामने झुकते हैं, तो वह व्यक्ति चुपके से दान पेटी के क्यूआर कोड को अपने क्यूआर कोड से बदल देता था।

इस वीडियो फुटेज के सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।

कितनी राशि की चोरी?

बीजिंग यूथ डेली की रिपोर्ट के अनुसार, इस व्यक्ति ने शानक्सी प्रांत के साथ-साथ दक्षिण पश्चिम सिचुआन और चोंगकिंग प्रांत के बौद्ध मंदिरों में भी इसी तरह की धोखाधड़ी की थी। उसने लगभग 4,200 अमेरिकी डॉलर, यानी लगभग 3.5 लाख रुपये चुराए थे।

लॉ ग्रेजुएट

हैरान करने वाली बात यह है कि इस व्यक्ति ने चीन की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती कि वह इस प्रकार की धोखाधड़ी में लिप्त हो जाएगा। आरोपी ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने अन्य प्रांतों के बौद्ध मंदिरों में भी इसी प्रकार की धोखाधड़ी की थी।

समाज में फैली चर्चा

इस घटना के सामने आने के बाद चीन में यह मामला गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ क्या धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए?

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