छत्तीसगढ़ में वक्फ बोर्ड अवैध तरीके से जमीनों पर कब्जा करके 5000 करोड़ रुपए संपत्ति जुटा ली है। लेकिन, जब से केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक लाई है, तभी से प्रदेश के मुस्लिम लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। बोर्ड का कहना है कि विधेयक में संशोधन के नाम पर टार्गेट किया जा रहा है। जब हम दूसरे समुदाय की किसी समिति में सदस्य नहीं हैं, तो वे हमारी समिति में क्यों शामिल किए जाएं?
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दैनिक भास्कर का कहना है कि छत्तीसगढ़ बोर्ड का कहना है कि उसकी 90 फीसदी जमीनों पर लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये कहना है छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सलाम रिजवी का। इसको लेकर साल 2022 में एक एप्लीकेशन फाइल किया था, जिसमें दावा किया गया था, 1993 में संशोधन के बाद एक अधिनियम लाया गया था। इसमें वक्फ बोर्ड ने आधे दुर्ग शहर को अपना करार दिया था। मामले में तहसीलदार ने दुर्ग ने दावा आपत्ति मंगाई तो स्थानीय लोगों की नाराजगी और बीजेपी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद आज तक लंबित है।
इसी तरह से बिलासपुर जिले के बृहस्पति बाजार स्थित निगम की जमीन पर जनवरी 2017 में वक्फ बोर्ड ने अपना दावा किया था। इस बात का दावा वक्फ बोर्ड ने किया था। हालांकि, जब नगर निगम ने मामले की जांच की तो वक्फ का दावा झूठा निकला। इसी तरह से रायपुर के पंडरी इलाके में भी वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन होने का दावा किया था। बोर्ड ने कहा कि पंडरी बस स्टैंड के सामने जमीन पर ट्रैवल संचालकों और दूसरे धर्म के लोगों का कब्जा है। हालांकि, दस्तावेजों की कमी के कारण अब तक वक्फ संपत्ति पर अपना दावा नहीं कर पाया।
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क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर लगाम लगाने के लिए 8 अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन विधेयक-2024 लोकसभा में पेश किया था। लेकिन, उसी के बाद से देशभर के मुस्लिम लगातार कोशिशें कर रहे हैं। बता दें कि वर्ष 1995 में कांग्रेस सरकार वक्फ संशोधन अधिनियम लाई थी, जिसके तहत वक्फ बोर्ड को असीमित ताकतें दी गई थीं।
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