राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री रोकेया प्राची तक को नहीं बख्शा गया। वे भी श्रद्धांजलि देने की इच्छा रखती थीं। प्राची ने बंगबंधु शेख के निवास पर हुए एक प्रदर्शन में हिस्सा लेकर मजहबी हिंसा पीड़ितों के साथ न्याय किए जाने की मांग की।
आज जहां भारत अपना 78वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है और शान से तिरंगा लहराते हुए राष्ट्र के लिए बलिदान देने वालों को याद कर रहा है। वहीं दुर्भाग्य से पड़ोस में इस्लामी बांग्लादेश आज ऐसे कट्टरपंथियों की हाथ में जा रहा है जिनमें अपने राष्ट्रनायकों के प्रति किंचित भी सम्मान अथवा गौरव का भाव नहीं बचा है। जिन शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार ने देश को बर्बर पाकिस्तान से आजाद कराया और विकास के रास्ते पर बढ़ाया आज उन्हें शेख मुजीब और उनके परिवार का उस देश का कट्टरपंथियों के हाथों में खेल रहा राज दुश्मन बैठा है।
साल 1975 में आज ही के दिन बांग्लादेश के जनक और राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की गई थी। आज उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने वाले लोगों के साथ मजहबी उन्मादियों ने जो हरकत की है उसने उस देश के गर्त पहुंच जाने की ओर संकेत किया है।
जुलाई में हुए ‘छात्र आंदोलन’ और उसके बाद तख्तापलट के मद में पूरे देश में स्वातंत्र्य समर के योद्धा और देश के जनक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों पर गुस्सा उतारा गया था। उन्हें तोड़ा गया था। उनकी मूर्तियों के साथ जिस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार किया गया, वह दुखद था।
लेकिन शेख की पुण्यतिथि पर जब कुछ साहसी देशभक्त उन्हें श्रद्धांजलि देने लगे तो उनके साथ मारपीट की गई। श्रद्धांजलि देने वालों पर हमला बोला गया। जैसे, शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर पर फूल तक चढ़ाना अपराध हो गया है।
यह घटना बांग्लादेश के धानमंडी 32 इलाके में कल उस वक्त हुई जब कुछ देशभक्त लोग शेख को श्रद्धांजलि देने गए। अचानक कट्टरपंथियों ने उन लोगों पर हिंसक हमला बोल दिया। हैरानी की बात है कि राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री रोकेया प्राची तक को नहीं बख्शा गया। वे भी श्रद्धांजलि देने की इच्छा रखती थीं। प्राची ने बंगबंधु शेख के निवास पर हुए एक प्रदर्शन में हिस्सा लेकर मजहबी हिंसा पीड़ितों के साथ न्याय किए जाने की मांग की। उन्होंने हाथों में मोमबत्तियां ले रखी थीं।
कल देर रात ढाका में बंगबंधु भवन के सामने बनी ‘शहीद वेदी’ पर ये लोग हाथों में मोमबत्तियां लेकर शेख के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचे थे। 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी। देशभक्तों ने वहां बंगबंधु के चित्र के सामने मौन रखकर उन्हें श्रद्धा व्यक्त की।
वहां इकट्ठा हुए चंद देशभक्तों के सामने बहादुर महिला प्राची ने दुखद स्वर में कहा कि हमारा देश आज जल रहा है, हम इस पीड़ा को व्यक्त करने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। हमारा 1971 आग की लपटों से घिर गया है। हम यहां साथ आए हैं क्योंकि हमारे प्रिय बंगबंधु की मूर्तियां जलाई गई हैं। धानमंडी 32 जला दिया गया। प्राची के शब्दों में आज के बांग्लादेश के कराहने की अनुगूंज थी।
लेकिन तभी उन लोगों पर हिंसक मजहबी तत्व टूट पड़े। लाठियों से लैस कट्टर उन्मादियों ने उन लोगों को घेरकर हमला बोला था। अभिनेत्री प्राची के साथ खींचतान की गई, उन्हें मजहबी गुंडों ने जबरन उस जगह से दूर करने की कोशिश की।
धानमंडी में बंगबंधु निवास एक स्मारक के तौर पर पूरे देश के लिए गौरव का स्थल होता था। लेकिन वहां भी उपद्रवियों ने जबरदस्त लूटपाट करके आग लगा दी थी। अब वहां बस दीवारें शेष हैं। बंगबंधु निवास के सामने स्थित ‘शहीद वेदी’ को भी तोड़ डाला गया।
देश में बंगबंधु शेख मुजीब की मूर्तियां, तस्वीरें और स्मारक तोड़ दिए गए हैं। हर उस प्रतीक को जलाने, तोड़ने का प्रयास किया गया और आज भी किया जा रहा है जो बांग्लादेश की स्वतंत्रता से जुड़ा है। मुजीबनगर, मेहरनपुर में कभी बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को दर्शाती 600 प्रतिमाएं हुआ करती थीं, लेकिन अब वे भी जमींदोज की जा चुकी हैं।
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